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माया से मतभेदों के बाद उप्र के मुख्य सचिव का इस्तीफा (लीड)

By Staff
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लखनऊ, 23 मई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक घटनाक्रम के तहत मुख्य सचिव प्रशांत कुमार मिश्रा ने आज अचानक 'स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति' (वीआरएस) लेकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके स्थान पर अतुल कुमार गुप्ता को प्रदेश का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है।

लखनऊ, 23 मई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक घटनाक्रम के तहत मुख्य सचिव प्रशांत कुमार मिश्रा ने आज अचानक 'स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति' (वीआरएस) लेकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके स्थान पर अतुल कुमार गुप्ता को प्रदेश का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है।

प्रशांत कुमार मिश्रा ने खुद तो अपने इस्तीफे के कारणों का खुलासा नहीं किया लेकिन उनके द्वारा लिखा गया एक पत्र इशारा करता है कि उनके साथ कुछ ऐसा हुआ जो उनको आहत कर गया और उन्होंने आनन-फानन में वीआरएस लेने का कदम उठा लिया।

पी़ के. मिश्रा ने यह पत्र प्रदेश के सभी आईएएस अधिकारियों को लिखा है। अंग्रेजी में लिखे इस पत्र में उन्होंने दार्शनिक अंदाज में कविता और मुहावरों का सहारा लिया है और वह उन लोगों पर तंज कसने में भी नहीं चूके जिनके चलते उन्होंने वीआरएस लेने का निर्णय किया।

पत्र की शुरुआत में 1972 बैच के आईएएस अधिकारी ने एक कविता की छह पंक्तियां लिखी हैं, जिसका अभिप्राय यह है कि जो थोड़ा प्राप्त करेगा वह थोड़ा बलिदान देगा, जो ज्यादा प्राप्त करेगा वह ज्यादा बलिदान करेगा और जिसकी प्राप्तियां उच्च कोटि की होंगी उसका बलिदान भी महान होगा।

अपने पत्र में उन्होंने 'बेड ऑफ रोजेस', 'मिड समर नाइट्स ड्रीम', 'टेम्पेस्ट', 'विन्टर्स टेल', 'यू टेक इट ऐज यू लाइक इट' और 'प्रिंसिपल्स ऑफ लाइफ ' के सहारे बताया कि जीवन दरअसल क्या है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण नहीं है कि जीवन रूपी क्रीज पर आप कितनी देर रुके। महत्व इसका है कि आप ने कितनी तेजी से स्कोर किया। पत्र के आखिर में उन्होंने कहा कि जीवन में अर्थहीन आर्थिक लाभ से सिद्धांत अधिक प्रिय होना चाहिए।

यही आखिरी वाक्य उनकी पीड़ा की ओर भी इशारा करता है। मायावती सरकार बनने के बाद उन्हें प्रदेश सरकार के अनुरोध पर केन्द्र की प्रतिनियुक्ति से उत्तर प्रदेश बुलाया गया और मुख्य सचिव की जिम्मेदारी दी गई। यह अलग बात है कि तब तक मुख्य सचिव का पद नवसृजित कैबिनेट सचिव पद के आगे अपना महत्व खो चुका था।

मुख्य सचिव बनने के बाद शुरुआती दिनों में तो उन्हें किनारे रखा गया लेकिन इसका संदेश गलत न जाए इसलिए फिर उन्हें महत्व मिलने लगा। बाद में कैबिनेट सचिव की नियुक्ति को जब अदालत में चुनौती दी गयी तो प्रदेश के प्रशासनिक प्रमुख के अधिकार को पुन: मुख्य सचिव में निहित कर दिया गया और मुख्य सचिव पद का खोया गौरव काफी हद तक लौट आया।

जानकारों का कहना है कि मायावती के बेहद करीबी माने जाने वाले एक नेता के एक मामले में मिश्र की असहमति ने हालात ऐसे बना दिए कि उनके लिए आगामी सितम्बर तक भी इंतजार कर पाना संभव न हुआ और उन्हें तत्काल वीआरएस लेना पड़ा। प्रदेश सरकार ने भी झट से उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया। मिश्रा को सितंबर में रिटायर होना था।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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