मृत्यदंड की समाप्ति के पक्ष में मानवाधिकार आयोग
नई दिल्ली, 22 मई (आईएएनएस)। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष अवकाश प्राप्त मुख्य न्यायाधीश एस. राजेंद्र बाबू ने कहा है कि आयोग भारत में मृत्युदंड की वैधता पर स्वतंत्र अध्ययन कर रहा है।
नई दिल्ली, 22 मई (आईएएनएस)। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष अवकाश प्राप्त मुख्य न्यायाधीश एस. राजेंद्र बाबू ने कहा है कि आयोग भारत में मृत्युदंड की वैधता पर स्वतंत्र अध्ययन कर रहा है।
बाबू ने एक साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया,"यद्यपि सरकार ने आयोग को कोई सलाह नहीं दी है फिर भी संयुक्त राष्ट्र महासभा के मृत्युदंड के खिलाफ प्रस्ताव को ध्यान में रखकर मानवाधिकार आयोग ने इस पर शोध शुरू किया है।"
बाबू ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने पूरी दुनिया से मृत्युदंड को समाप्त करने का प्रस्ताव पास किया है।
बाबू का बयान संसद भवन हमले में मृत्यु दंड की सजा पाए अफजल गुरु के मामले में महत्वपूर्ण हो सकता है। अफजल की दया याचिका राष्ट्रपति के पास विचाराधीन है।
कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने दुनिया भर से मृत्युदंड की समाप्ति के लिए प्रदर्शन भी किए हैं।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार आयोग के इस दावे को खारिज कर दिया कि भारतीय सेना का मानव अधिकार रिकार्ड बदतर है।
बाबू ने कहा कि भारतीय सेना का मानवाधिकार संबंधी रिकार्ड खराब नहीं है।
उन्होंने इस संदर्भ में कहा, "उत्तर-पूर्व में सशस्त्र सेना (विशेष अधिकार) कानून को खत्म करने के संबंध में कई पक्षों ने मांग की थी लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने कानून को वैध घोषित कर दिया है।"
राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग के अध्यक्ष ने देश में जेलों की खराब हालत पर चिंता जाहिर करते हुए बिहार की जेलों की स्थिति को उन्होंने बदतर बताया।
बाबू का कहना है कि देश की सभी जेलों में क्षमता से अधिक कैदी भरे हुए हैं। उन्होंने एशिया की सबसे बड़ी और प्रमुख भारतीय जेल तिहाड़ का उदाहरण देते हुए कहा कि 6,250 कैदियों की क्षमता वाली तिहाड़ जेल में 12,000 कैदी भरे हुए हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
**