परमाणु संधि पर आगे बना कांग्रेस के लिए घातक : माकपा
नई दिल्ली, 21 मई (आईएएनएस)। कांग्रेस के कुछ नेता बेशक भारत-अमेरिकी असैनिक परमाणु संधि को आगे ले जाने को लेकर आशान्वित हों, लेकिन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (माकपा) का कहना है कि ऐसा कोई भी प्रयास कांग्रेस के लिए घातक साबित होगा।
माकपा नेताओं के अनुसार परमाणु संधि पर पार्टी किसी भी कीमत पर सरकार का सहयोग नहीं करेगी। उल्लेखनीय है कि परमाणु संधि पर विमर्श के लिए कांग्रेस और वाममोर्चा की 28 मई को बैठक हो रही है।
एक वरिष्ठ माकपा नेता ने आईएएनएस को जानकारी दी, "वाममोर्चा 28 मई की बैठक में अपना पक्ष दोहराएगा और सरकार से और अधिक जानकारी मांगेगा। सरकार अभी तक संधि पर वाममोर्चा को भरोसे में नहीं ले सकी है।"
वाम नेताओं का दावा है कि वह आम चुनावों से कुछ पहले सरकार द्वारा परमाणु संधि लागू किए जाने की सूचनाओं से चिंतित नहीं हैं। उनका कहना है कि वामदल और अन्य पार्टियां चुनावों के दौरान संधि को मुख्य मुद्दा बनाएगी।
उधर कुछ कांग्रेसी नेताओं ने भी पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से परमाणु करार पर आगे बढ़ने का कोई भी प्रयास न करने को कहा है, क्योंकि इससे कांग्रेस और वामदलों के बीच रिश्ते सदा के लिए बिगड़ सकते हैं।
दूसरी ओर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल का मानना है कि सरकार को बिना किसी हिचक के परमाणु संधि की दिशा में कार्य करना चाहिए।
वाम नेताओं का कहना है कि सरकार उन्हें अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) से बात करने पर राजी करने का प्रयास कर चुकी है। सरकार का तर्क है कि इससे भारत अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में अलग-थलग पड़ने से बच सकेगा।
इसके विपरीत माकपा नेता एस. रामचंद्र पिल्लई का कहना है कि आईएईए और एनएसजी की समूची प्रक्रिया 123 समझौते को लागू करने की दिशा में की जा रही है। इसलिए इनसे बात करने का कोई मतलब नहीं है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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