अमेरिका के लोगों ने खाद्यान्न संकट की जिम्मेदारी स्वीकारी
वाशिंगटन, 21 मई (आईएएनएस)। दुनिया में खाद्यान्नों की बढ़ती कीमतों के लिए भारतीय मध्य वर्ग को जिम्मेदार ठहराने के राष्ट्रपति जार्ज बुश के बयान के प्रति भारत की कड़ी प्रतिक्रिया ने अमेरिकी लोगों को यह अहसास करा दिया है कि बुश का आरोप सबसे अधिक उन पर लागू होता है।
वाशिंगटन, 21 मई (आईएएनएस)। दुनिया में खाद्यान्नों की बढ़ती कीमतों के लिए भारतीय मध्य वर्ग को जिम्मेदार ठहराने के राष्ट्रपति जार्ज बुश के बयान के प्रति भारत की कड़ी प्रतिक्रिया ने अमेरिकी लोगों को यह अहसास करा दिया है कि बुश का आरोप सबसे अधिक उन पर लागू होता है।
डलास मार्निग ने मंगलवार को अपने संपादकीय में लिखा है कि अमेरिकी केवल ऊर्जा के ही नहीं बल्कि भोजन के भी लिए भूखे हैं। अखबार के अनुसार अमेरिकी न केवल अधिक खाते हैं वरन काफी अधिक भोजन बर्बाद भी करते हैं।
सोमवार को 'अमेरिका भोजन का कूड़ाघर' नामक एक संपादकीय में अखबार ने लिखा है कि करीब दो तिहाई अमेरिकी औसत से अधिक वजन के हैं।
डलास मार्निग के अनुसार औसत अमेरिकी के प्रतिदिन 3,770 कैलोरी भोजन ऊर्जा ग्रहण करने की तुलना में भारतीयों को केवल आधा ही मिलता है।
अमेरिकी लोग भारतीय की तुलना में 57 गुना और चीन की तुलना में 7 गुना मक्का का उपभोग करते हैं। अमेरिकी चीन की तुलना में आठ गुना गोमांस और छह गुना चिकन का उपभोग करते हैं। भारत द्वारा उपभोग किए जाने वाले गोमांस और चिकन की तुलना में अमेरिकी मात्रा कई सौ गुना अधिक है।
न्यूयार्क टाईम्स ने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए लिखा है कि अमेरिकी नागरिक जितना खाते हैं उसका करीब 27 प्रतिशत भाग बर्बाद कर देते हैं।
इन सबके ऊपर अनाज से इथेनाल के उत्पादन ने भी दुनिया में खाद्यान्न की कीमतें बढ़ाने में योगदान दिया है। अमेरिका में किराना निर्माता संघ ने खाद्यान्न की कीमतों के बढ़ने में इथेनाल निर्माण के योगदान को दर्शाने वाला एक पत्र तैयार किया है। यह रिपोर्ट कई राज्यों के गवर्नरों को भेजा जाएगा। इस संघ की सदस्य कोका-कोला, जनरल मिल्स और प्राक्टर एंड गैंबल जैसी कंपनियां हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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