संविधान देश का सवोच्च कानून .उच्चतम न्यायालय
नयी दिल्ली 16 अक्टूबर. वार्ता. उच्चतम न्यायालय ने संविधान को सवोच्च बताते हुए व्यवस्था दी है कि वह भी ऐसा कोई फैसला नहीं दे सकता है जो संविधान का उल्लंघन करता हो
न्यायमूर्ति ए के माथुर और न्यायमूर्ति माकडे काटजू की खंडपीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड .यूपीएसईबी. द्वारा दायर अपील पर यह व्यवस्था दी है1 बोर्ड ने सहकारी विद्युत आपूर्ति सोसायटी के 34 दैनिक वेतनभोगी मजदूरों की सेवा नियमित करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील की थी
याचिकाकर्ताओं ने बोर्ड से उसके 28 नवंबर 1996 के फैसले के अनुप अपनी सेवाएं नियमित करने की मांग की थी1 बोर्ड ने चार मई 1990 से पहले से काम कर रहे दैनिक वेतनभोगियों की सेवाएं नियमित करने का फैसला किया था
उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा.. रिट याचिकाकर्ताओं कोे सोसायटी में उनकी नियुक्ति की मूल तारीख से विद्युत बोर्ड में नियुक्त माना जाना चाहिए1 ये सभी लोग चार मई 1990 से पहले सोसायटी में नियुक्त किये गये थे इसलिए बोर्ड में इस तिथि से पहले से काम कर रहे कर्मचारियों की सेवा को नियमित करने के 28 नवंबर 1996 के यूपीएसईबी के फैसले से उन्हें वंचित नहीं किया जा सकता1. खंडपीठ ने कहा कि विपरीत दृष्टिकोण अपनाना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है1 न्यायालय ने कहा.. संविधान देश का सवोच्च कानून है और कोई भी फैसला. चाहे वह उच्चतम न्यायालय का ही क्यों न हो. इसका उल्लंघन नहीं कर सकता है1.सुमन अजय जगबीर2018वार्ता