किसे अपना आर्दश मानते थे मिसाइलमैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम
नई दिल्ली, 15 अक्टूबर: भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइलमैन के नाम से मशहूर महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज 90वीं जयंती है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलबदीन कलाम था। इनका जन्म 5 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम हुआ था। अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। फिजिक्स और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले एपीजे अब्दुल कलाम ने चार दशक तक डीआरडीओ और इसरो में वैज्ञानिक के तौर पर काम किया था। 2002 में अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने थे। भारत रत्न से सम्मानित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को लेकर हमेशा लोगों के मन में ये सवाल रहता है कि जो लाखों छात्रों के प्रेरणास्त्रोत रहें, असल में वह अपना आर्दश और गाइड किसको मानते थे।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम अपने जीवन में अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम अंबालाल साराभाई (विक्रम साराभाई) से बहुत अधिक प्रभावित थे। विक्रम साराभाई को देश के महान वैज्ञानिक और अंतरिक्ष कार्यक्रमों का जनक कहा जाता है। इसरो (ISRO) का जनक भी विक्रम साराभाई को ही कहा जाता है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम विक्रम साराभाई अनुसंधान संस्थान के छात्र भी थे। विक्रम साराभाई का जिक्र कलाम ने अपनी बॉयोग्राफी में भी किया है।
हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि डॉ. कलाम के जीवन को बदलने वाले गुरु ऋषिकेश के स्वामी शिवानंद थे। जिनका जन्म तिरुनेलवेली जिले के पथमदई में हुआ था लेकिन वे ऋषिकेश में बस गए थे। लेकिन एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी बॉयोग्राफी में विक्रम साराभाई का जिक्र कई बार किया है।
विक्रम साराभाई से प्रेरित होकर कलाम पढ़ डाली थी पूरी भगवद्गीता
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम विक्रम साराभाई से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने संपूर्ण भगवद्गीता और रामायण पढ़ ली थी। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने एक बार विक्रम साराभाई को भगवद्गीता पढ़ते हुए देख लिया था। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी आत्मकथा में लिखा है, ''गीता एक विज्ञान है और भारतीयों के लिए सांस्कृतिक विरासत का गर्व का बड़ा विषय है।''
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विक्रम साराभाई के साथ अपने रिश्ते को लेकर एपीजे अब्दुल कलाम ने कही थी ये बात
विक्रम साराभाई और अब्दुल कलाम दोनों भारत के दूरदर्शी वैज्ञानिक और नेता थे जिन्होंने भारत को महान ऊंचाइयों पर पहुंचाया। विक्रम साराभाई के अंडर कई प्रोजेक्ट में एपीजे अब्दुल कलाम ने काम किया है। अब्दुल कलाम विक्रम साराभाई के अधीन काम करने वाली INCOSPAR समिति का भी हिस्सा थे।
विक्रम साराभाई के साथ अपने रिश्तों के बारे में बात करते हुए एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था, "विक्रम साराभाई के साथ मेरा रिश्ता बहुत अधिकत भावनात्मक और बौद्धिक था। साराभाई ने अपने सामने बैठे युवा (खुद के बारे में) एक रॉकेट इंजीनियर के सारे सवालों का बहुत ही ईमानदारी और स्पष्टता के साथ हमेशा जवाब दिया। मैंने कब उनकी बातों से इतना प्रभावित हो गया, मुझे पता ही नहीं चला। उन्होंने (विक्रम साराभाई) मुझे रॉकेट और मिसाइल बनाने के लिए अपनी टीम में लिया। संकट के वक्त में, असफलता और सफलता के समय उन्होंने हमेशा मेरा मार्गदर्शन किया, जरूरी होने पर मुझे सही रास्ता भी बताया। वह एक महान इंसान थे और भाग्यशाली था कि मैं उसकी छाया में बढ़ सका।''