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इस साल की पहली तिमाही में ही 11.2 करोड़ लोग हुए बेरोजगार, ILO ने भारत को दिया ये सुझाव

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नई दिल्ली, 24 मई। जिस तरह से दुनियाभर को कोरोना ने अपनी चपेट में लिया उससे ना सिर्फ लाखों लोगों की जान चली गई है बल्कि करोड़ों लोग बेरोजगार भी हो गए। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन की ओर से जो आंकड़े जारी किए गए हैं उसमे दावा किया गया है कि 2021 की आखिरी तिमाही में दुनियाभर में 11.2 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई। आईएलओ की ओर से कहा गया है कि दुनियाभर में काम करने के घंटे में बड़ी गिरावट देखने को मिली है, 2022 के पहले क्वार्टर में बड़ी गिरावट देखने को मिली है, महामारी के पहले के समय की तुलना में काम करने के घंटों में वर्ष 2022 की पहली तिमाही में 3.8 फीसदी की गिरावट हुई है। ऐसे में इस काल के दौरान तकरीबन 11.2 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई।

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काम करने के घंटों में बड़ी गिरावट

काम करने के घंटों में बड़ी गिरावट

रिपोर्ट में भारत में जेंडर गैप को लेकर भी आंकड़े साझा किए गए हैं। इसमे कहा गया है कि भारत में 2020 की दूसरी तिमाही में महिला और पुरुष के बीच काम करने के घंटों में बड़ा अंतर आया है। हालांकि महिलाओं के काम करने के घंटे में आई गिरावट का उतना बड़ा असर देखने को नहीं मिलता है, जबकि पुरुषों के काम करने के घंटों में कमी का बड़ा व्यापक असर देखने को मिलता है। इन आंकड़ों के बारे में आईएलओ के अदिकारी ने कहा कि महामारी से पहले अगर 100 महिलाएं काम कर रही थीं तो उसमे से 12.3 महिलाओं का रोजगार चला गया है।

महिला-पुरुष में असमानता

महिला-पुरुष में असमानता

आधिकारिक आंकड़ों की बात करें तो अगर 100 पुरुष काम करने की तुलना महिलाओं से करें तो उनका रोजगार 7.4 फीसदी कम हुआ होता। लिहाजा महामारी ने यह स्पष्ट तर पर जाहिर किया है कि महिला और पुरुषों के काम में समानता नहीं है। देश में रोजगार में महिला और पुरुष के बीच बराबरी की भागीदारी नहीं है। चीन में जिस तरह से फिर से लॉकडाउन लगाया गया, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ और वैश्विक स्तर पर महंगाई बढ़ी, खाद्य पदार्थों के दाम बढ़े, तेल के दाम बढ़े उसके चलते लोगों के रोजगार पर असर देखने को मिला है।

आईएलओ का सुझाव

आईएलओ का सुझाव

आईएलओ ने अपने सदस्य देशों से अपील की है कि इस स्थिति से निपटने के लिए मानवीय पहलू को ध्यान में रखें। वित्तीय संकट कर्ज को बढ़ाता है, वैश्विक निर्यात बाधित होता है, जिससे आने वाले समय में 2022 में काम के घंटों में और कमी देखने को मिल सकती है। यही नहीं इसका आने वाले समय में कामगारों पर भी बड़ा असर देखने को मिलेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमीर और गरीब अर्थव्यवस्थाओं के बीच का अंतर बढ़ रहा है। अधिक आय वाले देशों में काम करने के घंटों में सुधार देखने को मिल रहा है जबकि कम आय वाले या मध्यम आय वाले देशों की अर्थव्यवस्था अधिक प्रभावित हो रही है।

ट्रेड यूनियंस की केंद्र से अपील

ट्रेड यूनियंस की केंद्र से अपील

आईएलओ की रिपोर्ट पर ट्रेड यूनियंस का कहना है कि केंद्र सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए। भारत में महिलाओं का रोजगार कम हुआ है, खासकर कि स्वास्थ्य सेक्टर में। आईएलओ की रिपोर्ट दर्शाती है कि लोगों की खरीदने की क्षमता कम हुई है, लिहाजा इसे बढ़ाने की जरूरत है। आईएलओ लोगों को बेहतर रोजगार और सैलरी देने की वकालत कर रहा है। हमारे पास देश में रोजगार नहीं है। अधिकतर लोग कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे हैं और उन्हें सामाजिक सुरक्षा भी मुहैया नहीं कराई जा रही है। अगर लोगों को सम्मानजनक सैलरी नहीं दी जाएगी तो उनकी खरीदने की शक्ति कम होगी।

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English summary
Global Employment crisis 11.2 crore lost job in first quarter of 2022.
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