'भाजपा कार्यकर्ताओं का थाने में आना मना है', जानिए मेरठ में लगे इस बैनर की क्या है सच्चाई?
मेरठ, 28 मई: मेरठ मेडिकल पुलिस स्टेशन के बाहर लगा 'भाजपा कार्यकर्ताओं का थाने में आना मना है' बैनर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। थाने के बाहर लगा बैनर का यह मामला अब लखनऊ तक भी पहुंच गया है। थाने के बाहर लगे बैनर की तस्वीर वायरल होने के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी इस ट्वीट किया है। तो वहीं, अब इस मामल में मेरठ पुलिस ने ट्वीट कर सफाई दी है। दअसल, यह बैनर मेरठ पुलिस की तरफ से नहीं लगाया गया। बल्कि, पुलिस की छवि धूमिक करने के लिए कुछ असामाजित तत्वों द्वारा लगाया गया था।
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क्या है पूरा मामला
दरअसल, यह मामला पूजा नाम की महिला से जुड़ा है। इंचौली थानाक्षेत्र के मसूरी गांव निवासी पूजा की शादी चार साल पहले नौचंदी क्षेत्र के वैशाली कॉलोनी निवासी अवधेश से हुई थी। करीब सात महीने पहले पूजा के पति अवधेश की बीमारी के चलते मौत हो गई। पति के नाम गढ़ रोड पर मेडिकल क्षेत्र में एक दुकान है। आरोप है कि इस दुकान पर उससे ससुर और देवर ने कब्जा कर लिया है। पति की मौत के बाद ससुर व देवर उसे खाली नहीं कर रहे हैं। चार दिन पहले वह भाई के साथ दुकान पर गई थीं। इस दौरान उनके साथ अभद्रता की गई।
दुकान खाली कराने के लिए गई थी पुलिस के पास
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूजा दुकान को खाली करने के लिए शुक्रवार (27 मई) को थाना मेडिकल पुलिस के पास आई थी। ऐसा बताया जा रहा है कि इस दौरान उसके साथ कुछ भाजपा के कार्यकर्ता भी थे। पुलिस ने महिला के ससुर और देवर को भी थाने बुला लिया था। इस दौरान दोनों पक्षों में बात नहीं बनी। इसके बाद थाना प्रभारी संतशरण सिंह ने भाजपाइयों को थाने से बाहर जाने को कह दिया। इसके बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी। वहीं, जानकारी मिलने के बाद भाजपा नेता राजेश निगम, राहुल कस्तला, कुलदीप मसूरी समेत कई भाजपाई भी थाने पहुंचे और धरने पर बैठ गए।
भाजपाइयों ने थाने के बाहर लगाया बैनर
इस दौरान उन्होंने अभद्रता करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। काफी देर चले हंगामे के बाद थाने पहुंचे सीओ सिविल लाइन देवेश कुमार ने भी समझाने का प्रयास किया। इसी दौरान भाजपाइयों ने थाने के बाहर एक बैनर लगा दिया। इसमें लिखा था, 'भाजपा कार्यकर्ताओं का थाने में आना मना है', इसके नीचे थानेदार का नाम भी छपा है। वहीं, अब यह पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
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अखिलेश ने भी कसा तंज
थाना मेडिकल के बाहर लगे बैनर का यह मामला अब लखनऊ तक भी पहुंच गया। बैनर की तस्वीर वायरल होने के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी इस ट्वीट कर योगी सरकार पर तीखा तंज कसा है। अखिलेश ने लिखा, ऐसा पहली बार हुआ है इन पांच-छह सालों में, सत्तापक्ष के लोगों का आना मना हुआ थानों में. ये है उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार का बुलंद इकबाल!
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क्या कहा एसपी सिटी ने
मेरठ के एसपी सिटी विनीत भटनागर ने कहा कि थाना मेडिकल में कुछ व्यक्ति प्रॉपर्टी खाली कराने का अनुचित दबाव पुलिस पर बना रहे थे। मानवता के नाते दोनों पक्षों की वार्ता भी कराई गई। पुलिस के द्वारा किसी का कब्जा नहीं हटाया जा सकता। दबाव बनाने के लिए भीड़ जमा की गई। धरना प्रदर्शन भी किया। उन्होंने कहा कि यह भी जानकारी में आया है कि यही व्यक्ति पोस्टर लेकर आए, जिसमें एक खास राजनीतिक दल का नाम लिखते हुए थाने में लगा दिया। एसपी ने कहा कि वीडियो से प्रमाणित हो रहा है कि पुलिस की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से यह लोग स्वयं पोस्टर थाने लेकर आए थे। जिन्होंने भी ऐसा काम किया है, इस पूरे प्रकरण की जांच की जा रही है। पोस्टर कहां छापे गए, कैसे यहां आए, यहां किसने लगाया, सभी बातों का खुलासा किया जाएगा। नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस की छवि धूमिक करने का किया गया प्रयास
मेरठ पुलिस ने वायरल बैनर के संबंध एक प्रेस ब्रीफ भी जारी की है। जिसमें बताया गया है कि देवर भाभी के मध्य विद्यमान पारिवारिक विवाद में असामाजिक तत्वों द्वार पुलिस पर कब्जा परिवर्तन कराने का अनुचित दबाव बनाया जा रहा था। थाना द्वारा इस अवैधानिक कार्य में सहयोग प्रदान न किए जाने के कारण इन असामाजिक तत्वों द्वारा पुलिस की छवि धूमिल करने हेतु स्वयं एक पोस्टर बनवा कर थाने की दीवार पर चस्पा कर दिया गया, जिस पर अंकित था कि एक राजनीतिक दल विशेष के कार्यकर्ताओं का थाना में प्रवेश वर्जित है। इस में से कुछ व्यक्तियों की पहचान कर ली गई है, जिनका पूर्व में भी आपराधिक इतिहास ज्ञात हुआ है। नियमानुसार अभियोग पंजीकृत कर वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।
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Fact Check
दावा
'भाजपा कार्यकर्ताओं का थाने में आना मना है', मेरठ मेडिकल पुलिस स्टेश के बाहर लगा एक बैनर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
नतीजा
यह बैनर मेरठ पुलिस की तरफ से नहीं लगाया गया। बल्कि, पुलिस की छवि धूमिक करने के लिए कुछ असामाजित तत्वों द्वारा लगाया गया था।
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