Makar Sankranti 2019:क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति, जानिए वैज्ञानिक महत्व और रोचक बातें
नई दिल्ली। जब सूर्यदेव अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते है, तब उसे मकर संक्रांति कहा जाता है। जब सूर्य की गति उत्तरायण होती है तो कहा जाता है कि उस समय से सूर्य की किरणों से अमृत की बरसात होने लगती है। इसे 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन गंगा स्नान व दान-पुण्य अत्यन्त शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम प्रयाग में सभी देवी-देवता अपना स्वरूप बदलकर स्नान करने आते है। इसलिए इस अवसर पर गंगा स्नान व दान-पुण्य का विशेष महात्म्य है। मकर संक्रांति त्योहार विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। अस त्यौहार का निर्धारण सूर्य की गति के अनुसार होता है और सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने के कारण यह पर्व 'मकर संक्रांति' व 'देवदान पर्व' के नाम से जाना जाता है। आइए जानें इस त्यौहार को क्यों मनाते है और इसका वैज्ञानिक महत्व क्या है?
क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति?
पौष मास के शुक्ल पक्ष में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है। शास्त्रों में उत्तारायण की अवधि को देवी-देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात के तौर पर माना गया है। मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान, तप, जप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान आदि का अत्यधिक महत्व है। शास्त्रों के अनुसार इस अवसर पर किया गया दान सौ गुना होकर प्राप्त होता है। मकर संक्रांति के दिन घी और कंबल के दान का भी विशेष महत्व है। इस त्योहार का संबंध केवल धर्मिक ही नहीं है बल्कि इसका संबंध ऋतु परिवर्तन और कृषि से है। इस दिन से दिन एंव रात दोनों बराबर होते है।
मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व
सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क और मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश अत्यन्त फलदायक है। मकर संक्रांति के समय नदियों में वाष्पन क्रिया होती है। इससे तमाम तरह के रोग दूर हो सकते हैं। मकर संक्रांति के समय उत्तर भारत में ठंड का मौसम रहता है। इस मौसम में तिल-गुड़ खाने हेल्थ के लिए अच्छा होता है। चिकित्सा विज्ञान भी कहता है। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है। यह ऊर्जा सर्दी में शरीर को गर्म रखता है। इस दिन लोग खिचड़ी का सेवन करते है। खिचड़ी खाने का वैज्ञानिक कारण है कि खिचड़ी पाचन को दुरुस्त रखती है। वहीं अदरक और मटर मिलाकर खिचड़ी बनाने पर यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है।
संक्रांति अर्थ
जानकारों के मुताबिक सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहते हैं। एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास है। ज्योतिष के मुताबिक सूर्य संक्रांति 12 हैं, लेकिन इनमें से चार संक्रांति महत्वपूर्ण हैं जिनमें मेष, कर्क, तुला, मकर संक्रांति हैं। मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्नानए दान और पुण्य के शुभ समय का विशेष महत्व है।