ये ग्रह स्थितियां हैं जो व्यक्ति को कराती है दूर देश की यात्रा
नई दिल्ली। ग्लोबल इकोनॉमी के दौर में आजकल विदेश जाना कोई बड़ी बात नहीं रह गई है। सिर्फ जॉब और बिजनेस के सिलसिले में ही नहीं, बल्कि आजकल लोग टूरिज्म के लिहाज से भी विदेश यात्राएं करते हैं। हाल ही में गर्मी की छुट्टियों में भारत से लाखों लोगों ने फैमेली के साथ विदेश टूर किया होगा, लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह है कि कई लोग कई सालों तक सोचते ही रहते हैं, प्लान ही बनाते रहते हैं लेकिन वे विदेश जाने में सफल नहीं हो पाते हैं। हर बार उनकी यात्रा किसी ना किसी कारण से टल जाती है। इसी बात को यदि ज्योतिषीय पक्ष से विचार करें तो इसके कई पहलू देखने में आते हैं। आखिर वे कौन से योग होते हैं जो व्यक्ति को विदेश यात्राएं करवाते हैं।
आइए जानते हैं विस्तार से...
विदेशों में जॉब करने या विदेश यात्रा का योग
ज्योतिषीय दृष्टि से देखें तो हमारी जन्मकुंडली में बने कुछ विशेष ग्रहयोग ही हमारे जीवन में विदेशों में जॉब करने या विदेश यात्रा का योग बनाते हैं। विदेश यात्राओं के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए जन्मकुंडली के दसवें और बारहवें भाव का विचार किया जाता है। हमारी जन्मकुंडली में बारहवें भाव का संबंध विदेश से जोड़ा गया है। सामान्य परिभाषा में इसे व्यय भाव कहा जाता है, लेकिन वास्तव में इससे विदेश यात्राओं के बारे में सटीक अनुमान लगाया जा सकता है। ग्रहों की बात करें तो चंद्र को विदेश यात्रा का नैसर्गिक कारक ग्रह माना गया है। कुंडली का दशम भाव हमारी आजीविका को व्यक्त करता है तथा शनि आजीविका का नैसर्गिक कारक ग्रह होता है। अत: विदेश यात्रा के लिए कुंडली का बारहवां भाव, चंद्रमा, दशम भाव और शनि का विशेष महत्व होता है।
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ये ग्रह योग करवाते हैं विदेश यात्रा
- यदि लग्न का स्वामी बारहवें भाव में और बारहवें भाव का स्वामी लग्न में हो तो व्यक्ति विदेश यात्रा करता है।
- शनि आजीविका का कारक है अत: कुंडली में शनि और चंद्र का योग भी विदेश यात्रा या विदेश में आजीविका का योग बनाता है।
- नवम स्थान यानी भाग्य स्थान में बैठा राहु विदेश यात्रा का योग बनाता है।
- चंद्र यदि सप्तम भाव या लग्न में हो तो भी विदेशों से व्यापार करने का योग बनता है।
- यदि कुंडली में दशम का स्वामी बारहवें भाव में और बारहवें भाव का स्वामी दसवें भाव में हो तो विदेश में या विदेश से जुड़कर काम करने का योग होता है।
- यदि कुंडली के बारहवें भाव में चंद्र स्थित हो, तो विदेश यात्रा या विदेश से जुड़कर आजीविका अर्जन का योग बनता है।
- चंद्रमा यदि कुंडली के छठे भाव में हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है।
- यदि नवम स्थान का स्वामी बारहवें भाव में और बारहवें भाव का स्वामी नवम स्थान में हो तो भी विदेश यात्रा का योग बनता है।
- यदि सप्तमेश बारहवें भाव में हो और बारहवें भाव का स्वामी सातवें भाव में हो तो जातक परिवार के साथ विदेश यात्रा करता है।
- चंद्र यदि दसवें भाव में हो या दसवें भाव पर चंद्रमा की पूर्ण दृष्टि हो तो विदेश यात्रा योग बनता है।
विदेश यात्रा योग
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