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कुंडली में छुपा है सफल बिजनेसमैन बनने का राज

आप नौकरी करेंगे या बिजनेस यह कुंडली देखकर पता लगाया जा सकता है। व्यापार-व्यवसाय का प्रतिनिधि ग्रह बुध होता है।

By पं. गजेंद्र शर्मा
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लखनऊ। पैसा कमाना और अपने परिवार का भविष्य सुरक्षित करना जीवन के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है। कई लोग नौकरी करते हैं और कई बिजनेस। आप जीवन में किसी मार्ग से पैसा कमाएंगे यह आपकी जन्म कुंडली में स्पष्ट लिखा हुआ होता है।

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आप नौकरी करेंगे या बिजनेस यह कुंडली देखकर पता लगाया जा सकता है। व्यापार-व्यवसाय का प्रतिनिधि ग्रह बुध होता है। बुध की अच्छी-बुरी स्थिति देखकर पता लगाया जाता है कि आप किस तरह का व्यापार करेंगे। जन्मकुंडली का दशम स्थान कर्म स्थान होता है। इसलिए दशम स्थान में जो ग्रह स्थित हो उसके गुण-स्वभाव के अनुसार व्यक्ति का व्यवसाय होता है।

आइये जानते हैं दशम भाव में ग्रहों के अनुसार क्या स्थिति बनती है..

जो ग्रह सबसे बलवान होता है...

जो ग्रह सबसे बलवान होता है...

  • यदि दशम भाव में एक से अधिक ग्रह हों तो जो ग्रह सबसे बलवान होता है उसके अनुसार व्यक्ति का व्यापार होता है।
  • यदि दशम भाव में कोई ग्रह न हो तो दशमेश यानी दशम ग्रह की राशि का जो स्वामी होता है उसके अनुसार व्यवसाय होता है।
  • दशमेश जिन ग्रहों के साथ होता है उनके अनुसार व्यक्ति व्यापार करता है।
  • जिन ग्रहों की दशम स्थान पर दृष्टि हो, उनका व्यापार किया जाता है।
  • लग्नेश का भी व्यापार-व्यवसाय पर प्रभाव पड़ता है।
  • सूर्य के साथ जो ग्रह स्थित हो...

    सूर्य के साथ जो ग्रह स्थित हो...

    • जो ग्रह लग्न में स्थित हों या अपनी दृष्टि से लग्न एवं लग्नेश को प्रभावित कर रहे हों, उनके अनुसार व्यापार होता है।
    • सूर्य के साथ जो ग्रह स्थित हो वह भी व्यवसाय पर असर दिखाता है।
    • एकादश भाव या एकादशेश जहां स्थित हो उस राशि की दिशा से लाभ होता है।
    • पार्टनरशिप में व्यापार सफल होगा या नहीं यह सप्तम भाव से तथा निजी व्यापार का विचार दशम भाव से किया जाता है।
    • बुध संबंधित भाव एवं भावेश की स्थिति अनुकूल होने पर व्यापार से लाभ होता है।
    • बुध का दशम भाव से संबंध व्यक्ति को व्यापार की ओर प्रवृत्त करता है।
    • लग्नेश एवं भाग्येश अष्टम में न हों...

      लग्नेश एवं भाग्येश अष्टम में न हों...

      • छठे, आठवें और 12हवें भाव में कोई ग्रह न हो और यदि हो तो स्वराशि या उच्च राशि में हो तो व्यक्ति स्वयं के प्रयासों से बहुत बड़ा व्यापारी बनता है।
      • लग्नेश एवं भाग्येश अष्टम में न हों। शनि दशम या अष्टम में न हों तो व्यक्ति अकेला ही बिजनेस लीडर बनता है।
      • यदि बुध, शुक्र, चंद्र एक-दूसरे से द्वितीयस्थ या द्वादशस्थ हों तो जातक अपने पारिवारिक व्यवसाय को आगे बढ़ाता है।
      • दिवालिया योग

        दिवालिया योग

        ग्रहों की चाल बदलती रहती है। ये एक राशि से निकलकर दूसरी, तीसरी, चौथी, आदि द्वादश राशियों में भ्रमण करते रहते हैं। इन्हीं के अनुसार ये अपना फल प्रदान करते हैं। कभी-कभी अचानक ग्रहों की चाल ऐसी बदलती है कि व्यक्ति अरबपति से सीधा जमीन पर आ जात है। यानी उसे व्यापार में भयंकर घाटा उठाना पड़ता है और वह दिवालिया हो जाता है। आखिर ग्रहों की वे कौन-सी स्थितियां बनती हैं जब व्यक्ति दिवालिया हो जाता है।

        निश्चित रूप से दिवालिया होता है...

        निश्चित रूप से दिवालिया होता है...

        • अष्टम भाव का स्वामी यदि 4, 5, 9 या 10वें स्थान में हों और लग्न का स्वामी निर्बल हो तो ऐसी कुंडली वाला व्यक्ति जीवन में निश्चित रूप से दिवालिया होता है। उसे बिजनेस में भयंकर हानि का सामना करना पड़ता है।
        • लाभेश व्यय स्थान में हो या भाग्येश और दशमेश व्यय स्थान यानी बारहवें भाव में हो तो दिवालिया होने का योग बनता है।
        • यदि पंचम भाव में शनि तुला राशि का हो तो भी यही योग बनता है।
        • इसके अलावा द्वितीयेश 9, 10, 11वें भावों में हो तो व्यक्ति अत्यंत अपव्ययी होने के कारण दिवालिया हो जाता है, लेकिन द्वितीयेश गुरु के दशम और मंगल के एकादश भाव में होने से यह योग खंडित हो जाता है।
        • लग्नेश वक्री होकर 6, 8, 12वें भाव में हो तो भी जातक दिवालिया होता है।

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English summary
Vedic astrology has given useful ways of crafting a perfect professional life.
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