षटतिला एकादशी के दिन एक चीज के दान से भरेंगे धन के भंडार
नई दिल्ली। माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है। जैसा कि नाम से ज्ञात है षट यानी छह और तिला या तिल। इस एकादशी के दिन तिल को छह प्रकार से प्रयोग में लाया जाता है। इस दिन तिल से स्नान करना, तिल का उबटन लगाना, तिल से हवन करना, तिल से तर्पण करना, तिल का भोजन करना और तिलों का दान करना ये छह प्रकार बताए गए हैं। षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु का तिल से पूजन करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। इस वर्ष षटतिला एकादशी का व्रत 31 जनवरी को रखा जाएगा।
क्या करें व्रत के दिन
षटतिला एकादशी के व्रत से एक दिन पूर्व से ही व्रती को संयमित जीवन अपना लेना चाहिए। यानी दशमी के दिन व्यक्ति रात्रि भोजन ना करें। काम, क्रोध, लोभ, मोह और किसी के प्रति तिरस्कार की भावना को मन से निकालते हुए पूर्ण शुद्ध मन से षटतिला एकादशी का व्रत रखे। एकादशी के दिन प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में जागकर स्नानादि से निवृत्त होकर अपने घर के पूजा स्थान में भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें और उनके सामने एकादशी व्रत का संकल्प लें। इस व्रत में पूरे दिन निराहर रहा जाता है। आवश्यकता के अनुसार फलों का सेवन करें। शाम के समय भगवान विष्णु का पूजन करें। तुलसी के समीप घी का दीपक लगाएं। अगले दिन यानी द्वादशी के दिन व्रत का पारणा करें। इसके लिए एक ब्राह्मण दंपती को भोजन करवाकर उचित दान-दक्षिणा प्रदान करें और आशीर्वाद लें।
क्या है लाभ?
-
षटतिला
एकादशी
का
व्रत
करने
से
आयु
और
आरोग्य
की
प्राप्ति
होती
है।
-
इस
दिन
तिल
का
छह
प्रकार
से
प्रयोग
करने
से
व्यक्ति
को
रोगों
से
मुक्ति
मिलती
है।
आयु
में
वृद्धि
होती
है।
-
षटतिला
एकादशी
का
व्रत
करने
से
नेत्र
के
रोग
दूर
होते
हैं।
-
इस
व्रत
को
करने
से
भगवान
विष्णु
और
लक्ष्मी
की
पूर्ण
कृपा
प्राप्त
होती
है।
धन-संपदा
में
वृद्धि
होती
है।
सुहागनों को अखंड सौभाग्यवती बनाता है ये व्रत
-
यह
व्रत
सौभाग्यदायक
कहा
गया
है।
जो
सुहागिन
स्त्रियां
यह
व्रत
करती
है
वे
अखंड
सौभाग्यवती
रहती
हैं।
-
दंपतियों
को
जोड़े
से
यह
व्रत
करना
चाहिए।
इसके
लिए
शास्त्रों
में
भी
निर्देश
हैं।
-
इस
दिन
किसी
योग्य
ब्राह्मण
को
तिल
से
भरा
कलश
दान
करना
चाहिए।
इससे
आपके
घर
में
धन-संपदा
के
भंडार
भरे
रहते
हैं।
-
व्रत
के
प्रभाव
से
समस्त
पापों
का
नाश
होता
है।
मोक्ष
का
मार्ग
प्रशस्त
होता
है।