Dev Prabodhini Ekadashi 2022: इस बार देव प्रबोधिनी एकादशी है बेहद खास, जानिए क्यों?
Dev Prabodhini Ekadashi 2022: कार्तिक शुक्ल एकादशी 4 नवंबर 2022 शुक्रवार को 117 दिन की योगनिद्रा से भगवान श्रीहरि जागने वाले हैं। देव का उत्थान होने वाला है, देव का प्रबोधन होने वाला है, देव उठने वाले हैं, देव जागने वाले हैं। सप्तलोकों में घंटे, घड़ियाल, शंख की मंगल ध्वनि गूंज उठेगी। चारों ओर भगवान श्रीहरि की जय-जयकार होगी। इस बार देवोत्थान एकादशी के दिन माता लक्ष्मी के प्रिय दिन शुक्रवार का संयोग भी आ रहा है। इसलिए यह दिन श्रीहरि के साथ मां लक्ष्मी की कृपा पाने का भी सबसे उत्तम दिन बन गया है।
देव उठनी एकादशी इस बार खास होगी। बड़ी एकादशी पर जब भगवान विष्णु निद्रा से जागेंगे तो उस दिन माता लक्ष्मी का प्रिय दिन शुक्रवार रहेगा। इस कारण मां लक्ष्मी की आराधना भी होगी। यह दिन देव दीवाली के रूप में भी मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार एकादशी व्रत का फल सौ राजसूय यज्ञ तथा एक सहस्त्र अश्वमेध यज्ञ के फल के बराबर होता है। इस एकादशी के दिन जो भी मनुष्य श्रद्घापूर्वक जो कुछ भी जप-तप और स्नान-दान करते हैं, वह सब अक्षय फलदायक होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करके, दिनभर निराहार व्रत रखकर रात्रि जागरण करने समस्त कर्म सुफल देते हैं मनुष्य जीवित रहते हुए पृथ्वी पर समस्त सुखों का भोग करता है। व्रती के अनजाने में किए गए पापों का नाश होता है तथा मृत्यु के उपरांत श्रीहरि के विमान में बैठकर बैकुंठ लोक को जाता है। देवोत्थान एकादशी के दिन बिल्वपत्र को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए।
इस दिन शाम के समय सुंदर मंडप सजाकर उसमें भगवान विष्णु की मूर्ति को विराजित उन्हें उठाया जाता है। इस दौरान यह मंगल गीत गाया जाता है- बोर भाजी आंवला, उठो देव सांवला। भगवान का उत्थान करवाकर उन्हें स्नानादि करवाया जाता है। पूजन कर नैवेद्य लगाया जाता है।
एकादशी तिथि
- प्रारंभ : 3 नवंबर को सायं 7.30 बजे
- पूर्ण : 4 नवंबर को सायं 6.06 बजे
- पारणा : 5 नवंबर को प्रात:
तुलसी विवाह भी इसी दिन
कार्तिक मास में स्नान करने वाली स्ति्रयां कार्तिक शुक्ल एकादशी को शालिग्राम और तुलसी का विवाह रचाती हैं। समस्त विधि विधानपूर्वक गाजे बाजे के साथ एक सुंदर मंडप के नीचे यह कार्य संपन्न होता है। विवाह में स्ति्रयां गीत तथा भजन गाती हैं।
Devutthana Ekadashi 2022 Date: कब है देव उठनी एकादशी? क्या है विवाह के मुहर्त?