हिन्दू परम्पराओं के पीछे छिपे 20 वैज्ञानिक तर्क
भारत में जितने राज्य, जितने शहर, जितने गांव उतनी ही परम्पराएं हैं। ऐसी परम्पराएं, जिन्हें देख तमाम लोग ताज्जुब करते हैं, कई लोग हॉंसते हैं तो कुछ कहते हैं, "ये क्या ढकोसला है"। हिंदू परम्पराआं पर हँसने वाले और उसे ढकोसला कहने वाले लोगों की सोच शायद यह लेख पढ़कर बदल जायेगी। जी हां, क्योंकि हम यहां बताने जा रहे हैं हिंदू परम्पराओं के पीछे छिपे वैज्ञानिक कारण या यूं कहिये राज़। [अजब गजब खबरें]
जी हां हम आपको बतायेंगे कि उन परम्पराओं के बारे में जिनसे आप हर रोज रू-ब-रू होते हैं। भारतीय सभ्यता के पीछे छिपे इन कारणों को जानने के बाद न केवल आपका ज्ञानवर्धन होगा, बल्कि भविष्य में अगर कोई बच्चा आपसे पूछेगा कि हम नमस्ते क्यों करते हैं, तो आप उसका वैज्ञानिक कारण बता सकें।
अगर भविष्य में कोई आपसे यह पूछेगा कि महिलाएं बिछिया क्यों पहनती हैं, तो भी आप उसका सही तर्क दे सकेंगे।
तो चलिये स्लाइडर में पढ़ते हैं, हिंदू परंपराओं के पीछे के वैज्ञानिक तर्क-
हिंदू परम्पराओं के पीछे का विज्ञान
हम इस स्लाइडर में आपको बतायेंगे कि हिंदू परम्पराओं के पीछे ऐसे कौन से वैज्ञानिक तर्क हैं, जिस वजह से इस धर्म से जुड़े लोग अपनी परम्पराओं को सदियों से मानते आ रहे हैं।
हाथ जोड़कर नमस्ते करना
जब किसी से मिलते हैं तो हाथ जोड़कर नमस्ते अथवा नमस्कार करते हैं।
वैज्ञानिक तर्क- जब सभी उंगलियों के शीर्ष एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है। एक्यूप्रेशर के कारण उसका सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है, ताकि सामने वाले व्यक्ति को हम लंबे समय तक याद रख सकें। दूसरा तर्क यह कि हाथ मिलाने (पश्चिमी सभ्यता) के बजाये अगर आप नमस्ते करते हैं तो सामने वाले के शरीर के कीटाणु आप तक नहीं पहुंच सकते। अगर सामने वाले को स्वाइन फ्लू भी है तो भी वह वायरस आप तक नहीं पहुंचेगा।
पीपल की पूजा
तमाम
लोग
सोचते
हैं
कि
पीपल
की
पूजा
करने
से
भूत-प्रेत
दूर
भागते
हैं।
वैज्ञानिक
तर्क-
इसकी
पूजा
इसलिये
की
जाती
है,
ताकि
इस
पेड़
के
प्रति
लोगों
का
सम्मान
बढ़े
और
उसे
काटें
नहीं।
पीपल
एक
मात्र
ऐसा
पेड़
है,
जो
रात
में
भी
ऑक्सीजन
प्रवाहित
करता
है।
माथे पर कुमकुम/तिलक
महिलाएं
एवं
पुरुष
माथे
पर
कुमकुम
या
तिलक
लगाते
हैं।
वैज्ञानिक
तर्क-
आंखों
के
बीच
में
माथे
तक
एक
नस
जाती
है।
कुमकुम
या
तिलक
लगाने
से
उस
जगह
की
ऊर्जा
बनी
रहती
है।
माथे
पर
तिलक
लगाते
वक्त
जब
अंगूठे
या
उंगली
से
प्रेशर
पड़ता
है,
तब
चेहरे
की
त्वचा
को
रक्त
सप्लाई
करने
वाली
मांसपेशी
सक्रिय
हो
जाती
है।
इससे
चेहरे
की
कोशिकाओं
तक
अच्छी
तरह
रक्त
पहुंचता
है।
भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से
जब
भी
कोई
धार्मिक
या
पारिवारिक
अनुष्ठान
होता
है
तो
भोजन
की
शुरुआत
तीखे
से
और
अंत
मीठे
से
होता
है।
वैज्ञानिक
तर्क-
तीखा
खाने
से
हमारे
पेट
के
अंदर
पाचन
तत्व
एवं
अम्ल
सक्रिय
हो
जाते
हैं।
इससे
पाचन
तंत्र
ठीक
तरह
से
संचालित
होता
है।
अंत
में
मीठा
खाने
से
अम्ल
की
तीव्रता
कम
हो
जाती
है।
इससे
पेट
में
जलन
नहीं
होती
है।
कान छिदवाने की परम्परा
भारत
में
लगभग
सभी
धर्मों
में
कान
छिदवाने
की
परम्परा
है।
वैज्ञानिक
तर्क-
दर्शनशास्त्री
मानते
हैं
कि
इससे
सोचने
की
शक्ति
बढ़ती
है।
जबकि
डॉक्टरों
का
मानना
है
कि
इससे
बोली
अच्छी
होती
है
और
कानों
से
होकर
दिमाग
तक
जाने
वाली
नस
का
रक्त
संचार
नियंत्रित
रहता
है।
जमीन पर बैठकर भोजन
भारतीय
संस्कृति
के
अनुसार
जमीन
पर
बैठकर
भोजन
करना
अच्छी
बात
होती
है।
वैज्ञानिक
तर्क-
पलती
मारकर
बैठना
एक
प्रकार
का
योग
आसन
है।
इस
पोजीशन
में
बैठने
से
मस्तिष्क
शांत
रहता
है
और
भोजन
करते
वक्त
अगर
दिमाग
शांत
हो
तो
पाचन
क्रिया
अच्छी
रहती
है।
इस
पोजीशन
में
बैठते
ही
खुद-ब-खुद
दिमाग
से
एक
सिगनल
पेट
तक
जाता
है,
कि
वह
भोजन
के
लिये
तैयार
हो
जाये।
दक्षिण की तरफ सिर करके सोना
दक्षिण
की
तरफ
कोई
पैर
करके
सोता
है,
तो
लोग
कहते
हैं
कि
बुरे
सपने
आयेंगे,
भूत
प्रेत
का
साया
आ
जायेगा,
आदि।
इसलिये
उत्तर
की
ओर
पैर
करके
सोयें।
वैज्ञानिक
तर्क-
जब
हम
उत्तर
की
ओर
सिर
करके
सोते
हैं,
तब
हमारा
शरीर
पृथ्वी
की
चुंबकीय
तरंगों
की
सीध
में
आ
जाता
है।
शरीर
में
मौजूद
आयरन
यानी
लोहा
दिमाग
की
ओर
संचारित
होने
लगता
है।
इससे
अलजाइमर,
परकिंसन,
या
दिमाग
संबंधी
बीमारी
होने
का
खतरा
बढ़
जाता
है।
यही
नहीं
रक्तचाप
भी
बढ़
जाता
है।
सूर्य नमस्कार
हिंदुओं
में
सुबह
उठकर
सूर्य
को
जल
चढ़ाते
हुए
नमस्कार
करने
की
परम्परा
है।
वैज्ञानिक
तर्क-
पानी
के
बीच
से
आने
वाली
सूर्य
की
किरणें
जब
आंखों
में
पहुंचती
हैं,
तब
हमारी
आंखों
की
रौशनी
अच्छी
होती
है।
सिर पर चोटी
हिंदू
धर्म
में
ऋषि
मुनी
सिर
पर
चुटिया
रखते
थे।
आज
भी
लोग
रखते
हैं।
वैज्ञानिक
तर्क-
जिस
जगह
पर
चुटिया
रखी
जाती
है
उस
जगह
पर
दिमाग
की
सारी
नसें
आकर
मिलती
हैं।
इससे
दिमाग
स्थिर
रहता
है
और
इंसान
को
क्रोध
नहीं
आता,
सोचने
की
क्षमता
बढ़ती
है।
व्रत रखना
कोई
भी
पूजा-पाठ
या
त्योहार
होता
है,
तो
लोग
व्रत
रखते
हैं।
वैज्ञानिक
तर्क-
आयुर्वेद
के
अनुसार
व्रत
करने
से
पाचन
क्रिया
अच्छी
होती
है
और
फलाहार
लेने
से
शरीर
का
डीटॉक्सीफिकेशन
होता
है,
यानी
उसमें
से
खराब
तत्व
बाहर
निकलते
हैं।
शोधकर्ताओं
के
अनुसार
व्रत
करने
से
कैंसर
का
खतरा
कम
होता
है।
हृदय
संबंधी
रोगों,
मधुमेह,
आदि
रोग
भी
जल्दी
नहीं
लगते।
चरण स्पर्श करना
हिंदू
मान्यता
के
अनुसार
जब
भी
आप
किसी
बड़े
से
मिलें,
तो
उसके
चरण
स्पर्श
करें।
यह
हम
बच्चों
को
भी
सिखाते
हैं,
ताकि
वे
बड़ों
का
आदर
करें।
वैज्ञानिक
तर्क-
मस्तिष्क
से
निकलने
वाली
ऊर्जा
हाथों
और
सामने
वाले
पैरों
से
होते
हुए
एक
चक्र
पूरा
करती
है।
इसे
कॉसमिक
एनर्जी
का
प्रवाह
कहते
हैं।
इसमें
दो
प्रकार
से
ऊर्जा
का
प्रवाह
होता
है,
या
तो
बड़े
के
पैरों
से
होते
हुए
छोटे
के
हाथों
तक
या
फिर
छोटे
के
हाथों
से
बड़ों
के
पैरों
तक।
क्यों लगाया जाता है सिंदूर
शादीशुदा
हिंदू
महिलाएं
सिंदूर
लगाती
हैं।
वैज्ञानिक
तर्क-
सिंदूर
में
हल्दी,
चूना
और
मरकरी
होता
है।
यह
मिश्रण
शरीर
के
रक्तचाप
को
नियंत्रित
करता
है।
चूंकि
इससे
यौन
उत्तेजनाएं
भी
बढ़ती
हैं,
इसीलिये
विधवा
औरतों
के
लिये
सिंदूर
लगाना
वर्जित
है।
इससे
स्ट्रेस
कम
होता
है।
तुलसी के पेड़ की पूजा
तुलसी
की
पूजा
करने
से
घर
में
समृद्धि
आती
है।
सुख
शांति
बनी
रहती
है।
वैज्ञानिक
तर्क-
तुलसी
इम्यून
सिस्टम
को
मजबूत
करती
है।
लिहाजा
अगर
घर
में
पेड़
होगा,
तो
इसकी
पत्तियों
का
इस्तेमाल
भी
होगा
और
उससे
बीमारियां
दूर
होती
हैं।
मूर्ति पूजन
हिंदू
धर्म
में
मूर्ति
का
पूजन
किया
जाता
है।
वैज्ञानिक
तर्क-
यरि
आप
पूजा
करते
वक्त
कुछ
भी
सामने
नहीं
रखेंगे
तो
आपका
मन
अलग-अलग
वस्तु
पर
भटकेगा।
यदि
सामने
एक
मूर्ति
होगी,
तो
आपका
मन
स्थिर
रहेगा
और
आप
एकाग्रता
ठीक
ढंग
से
पूजन
कर
सकेंगे।
चूड़ी पहनना
भारतीय
महिलाएं
हाथों
में
चूड़ियां
पहनती
हैं।
वैज्ञानिक
तर्क-
हाथों
में
चूड़ियां
पहनने
से
त्वचा
और
चूड़ी
के
बीच
जब
घर्षण
होता
है,
तो
उसमें
एक
प्रकार
की
ऊर्जा
उत्पन्न
होती
है,
यह
ऊर्जा
शरीर
के
रक्त
संचार
को
नियंत्रित
करती
है।
साथ
ही
ढेर
सारी
चूड़ियां
होने
की
वजह
से
वो
ऊर्जा
बाहर
निकलने
के
बजाये,
शरीर
के
अंदर
चली
जाती
है।
मंदिर क्यों जाते हैं
मंदिर वो स्थान होता है, जहां पर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। मंदिर का गर्भगृह वो स्थान होता है, जहां पृथ्वी की चुंबकीय तरंगें सबसे ज्यादा होती हैं और वहां से ऊर्जा का प्रवाह सबसे ज्यादा होता है। ऐसे में अगर आप इस ऊर्जा को ग्रहण करते हैं, तो आपका शरीर स्वस्थ्य रहता है। मस्तिष्क शांत रहता है।
हवन या यज्ञ करना
किसी
भी
अनुष्ठान
के
दौरान
यज्ञ
अथवा
हवन
किया
जाता
है।
वैज्ञानिक
तर्क-
हवन
सामग्री
में
जिन
प्राकृतिक
तत्वों
का
मिश्रण
होता
है,
वह
और
कर्पुर,
तिल,
चीनी,
आदि
का
मिश्रण
के
जलने
पर
जब
धुआं
उठता
है,
तो
उससे
घर
के
अंदर
कोने-कोने
तक
कीटाणु
समाप्त
हो
जाते
हैं।
कीड़े-मकौड़े
दूर
भागते
हैं।
महिलाएं क्यों पहनती हैं बिछिया
हमारे
देश
में
शदीशुदा
महिलाएं
बिछिया
पहनती
हैं।
वैज्ञानिक
तर्क-
पैर
की
दूसरी
उंगली
में
चांदी
का
बिछिया
पहना
जाता
है
और
उसकी
नस
का
कनेक्शन
बच्चेदानी
से
होता
है।
बिछिया
पहनने
से
बच्चेदानी
तक
पहुंचने
वाला
रक्त
का
प्रवाह
सही
बना
रहता
है।
इसे
बच्चेदानी
स्वस्थ्य
बनी
रहती
है
और
मासिक
धर्म
नियमित
रहता
है।
चांदी
पृथ्वी
से
ऊर्जा
को
ग्रहण
करती
है
और
उसका
संचार
महिला
के
शरीर
में
करती
है।
क्यों बजाते हैं मंदिर में घंटा
हिंदू
मान्यता
के
अनुसार
मंदिर
में
प्रवेश
करते
वक्त
घंटा
बजाना
शुभ
होता
है।
इससे
बुरी
शक्तियां
दूर
भागती
हैं।
वैज्ञानिक
तर्क-
घंटे
की
ध्वनि
हमारे
मस्तिष्क
में
विपरीत
तरंगों
को
दूर
करती
हैं
और
इससे
पूजा
के
लिय
एकाग्रता
बनती
है।
घंटे
की
आवाज़
7
सेकेंड
तक
हमारे
दिमाग
में
ईको
करती
है।
और
इससे
हमारे
शरीर
के
सात
उपचारात्मक
केंद्र
खुल
जाते
हैं।
हमारे
दिमाग
से
नकारात्मक
सोच
भाग
जाती
है।
हाथों-पैरों में मेंहदी
शादी-ब्याह,
तीज-त्योहार
पर
हाथों-पैरों
में
मेंहद
लगायी
जाती
है,
ताकि
महिलाएं
सुंदर
दिखें।
वैज्ञानिक
तर्क-
मेंहदी
एक
जड़ी
बूटी
है,
जिसके
लगाने
से
शरीर
का
तनाव,
सिर
दर्द,
बुखार,
आदि
नहीं
आता
है।
शरीर
ठंडा
रहता
है
और
खास
कर
वह
नस
ठंडी
रहती
है,
जिसका
कनेक्शन
सीधे
दिमाग
से
है।
लिहाजा
चाहे
जितना
काम
हो,
टेंशन
नहीं
आता।
अगर पसंद आया तो शेयर कीजिये
अगर हिंदू परम्पराओं से जुड़े ये वैज्ञानिक तर्क आपको वाकई में पसंद आये हैं, तो इस लेख को शेयर कीजिये, ताकि आगे से कोई भी इस परम्परा को ढकोसला न कहे।