India wheat export : रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत से मार्च-अप्रैल में 650 मिलियन US डॉलर का गेहूं निर्यात
भारत गेहूं निर्यात पर बैन के फैसले पर अटल है। केंद्र सरकार ने गेहूं एक्सपोर्ट बैन से पहले दो महीनों में हुए गेहूं निर्यात का आंकड़ा शेयर किया है। मार्च और अप्रैल में 650 मिलियन अमेरिकी डॉलर के गेहूं का निर्यात हुआ है।
नई दिल्ली, 26 मई : भारत ने मार्च में 177 मिलियन अमेरिकी डॉलर और अप्रैल में 473 मिलियन डॉलर का गेहूं निर्यात किया है। बता दें कि बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के मकसद से भारत ने गत 14 मई को गेहूं निर्यात पर बैन लगा दिया है। बुधवार को आईएमएफ चीफ ने भारत से गेहूं एक्सपोर्ट पर बैन के फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील की थी। हालांकि, भारत गेहूं निर्यात पर बैन वाले फैसले पर अटल है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2022-23 में भारत में लगभग 105 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) गेहूं का अनुमानित उत्पादन हुआ है। लगातार बढ़ती ईंधन की कीमतों और इसके प्रभाव से बढ़ रही खाद्य पदार्थों के दाम को नियंत्रित करने के मकसद से केंद्र सरकार ने गत 14 मई को गेहूं एक्सपोर्ट बैन करने का ऐलान किया था। हालांकि, केंद्र सरकार ने कहा था कि गेहूं एक्सपोर्ट के लिए पहले से हो चुकी डील को लेकर भारत पीछे नहीं हटेगा और डील के मुताबिक संबंधित आयातकों को गेहूं सप्लाई सुनिश्चित की जाएगी।
एक्सपोर्ट
बैन
से
भारत
भी
प्रभावित
गेहूं
के
निर्यात
पर
प्रतिबंध
लगाने
के
हफ्तों
बाद,
केंद्र
सरकार
ने
बुधवार
को
घोषणा
कहा,
प्रमुख
खाद्य
उत्पादक
देश
निर्यात
प्रतिबंध
का
इस्तेमाल
करते
रहे
हैं।
यह
नियमित
है।
निर्यात
पर
बैन
से
भारत
पर
भी
प्रतिकूल
प्रभाव
पड़ा
है।
दूसरी
ओर,
भारत
ने
पड़ोसी
देशों
और
कमजोर
देशों
में
खाद्य
सुरक्षा
सुनिश्चित
करने
के
लिए
गेहूं
निर्यात
का
नियमन
करने
की
दिशा
में
कदम
उठाया
है।
भीषण
गर्मी
के
कारण
गेहूं
की
फसल
पर
असर
24
फरवरी,
2022
को
शुरू
हुए
रूस
और
यूक्रेन
की
लड़ाई
के
संदर्भ
में
बुधवार
को
जारी
बयान
में
कहा
गया,
संघर्ष
शुरू
होने
के
बाद,
भारत
ने
अत्यधिक
गर्मी
के
कारण
कम
गेहूं
उत्पादन
की
चुनौतियों
का
सामना
किया।
इसके
बावजूद
मार्च
2022
में
177
मिलियन
अमेरिकी
डॉलर
और
अप्रैल
में
473
मिलियन
अमेरिकी
डॉलर
मूल्य
के
गेहूं
का
निर्यात
किया
है।
प्रचंड
गर्मी
और
लू
के
कारण
देश
के
उत्तरी
भाग
में
अनाज
उत्पादन
प्रभावित
हुआ
प्रति
एकड़
गेहूं
की
उपज
में
गिरावट
आई।
घरेलू
बाजार
में
गेहूं
वितरण
गौरतलब
है
कि
भारत
की
130
करोड़
आबादी
के
लिए
भी
बड़ी
मात्रा
में
गेहूं
की
जरूरत
पड़ती
है।
राष्ट्रीय
खाद्य
सुरक्षा
योजनाओं
(NFSA)
के
लिए
30
मिलियन
मीट्रिक
टन
गेहूं
की
जरूरत
होती
है।
एनएफएसए
के
अलावा
प्रधानमंत्री
गरीब
कल्याण
अन्न
योजना
(PMJKAY)
और
अन्य
कल्याणकारी
योजनाओं
के
तहत
लगभग
80
करोड़
गरीब
और
कमजोर
आबादी
को
अनाज
बांटे
जाते
हैं।
पड़ोसी
देशों
और
अन्य
कमजोर
देशों
को
भी
मानवीय
सहायता
दी
जाती
है।
निर्यातकों
की
रैंकिंग
में
भारत
सरकार
ने
कहा
है
कि
निर्यात
के
अलावा
भारत
में
जनता
के
बीच
वित्त
वर्ष
2021-22
में
एनएफएसए
(National
Food
Security
Act-NFSA)
और
पीएमजीकेएवाई
(Pradhan
Mantri
Garib
Kalyan
Anna
Yojana
-PMJKAY))
के
तहत
42.7
एमएमटी
गेहूं
का
वितरण
किया
गया
है।
सरकारी
आंकड़ों
में
कहा
गया,
गेहूं
निर्यातक
देशों
में,
भारत
2020
में
19वें
स्थान
पर
रहा।
इससे
पहले
भारत
निर्यातकों
की
सूची
में
नीचे
था।
साल | वैश्विक गेहूं निर्यात में स्थान |
2019 | 35 |
2018 | 36 |
2017 | 36 |
2016 | 37 |
भारत
ने
सात
देशों
को
दिखाया
आइना
निर्यात
बढ़ने
को
लेकर
भारत
ने
कहा,
रैंकिंग
में
उछाल
ये
दर्शाता
है
कि
निर्यात
में
भारत
की
हिस्सेदारी
नगण्य
(0.47
प्रतिशत)
है।
सरकार
के
मुताबिक
पिछले
पांच
वर्षों
में
गेहूं
निर्यात
की
कुल
मात्रा
में
सात
देशों-
(रूस,
यूएसए)
,
कनाडा,
फ्रांस,
यूक्रेन,
ऑस्ट्रेलिया,
अर्जेंटीना)
का
हिस्सा
सबसे
बड़ा
है।
भारत
ने
कहा
कि
संघर्ष
के
बजाय
बातचीत-आधारित
दृष्टिकोण
अपनाने
पर
यूक्रेन
और
रूस
से
लगभग
एक
चौथाई
गेहूं
निर्यात
पर
लगी
रोक
खत्म
हो
सकती
है।
प्राइवेट
कंपनियों
का
दखल
बढ़ा
एएनआई
की
रिपोर्ट
के
मुताबिक
इस
महीने
की
शुरुआत
में
सूत्रों
ने
कहा
था
कि
निर्यात
में
प्राइवेट
कंपनियों
के
बढ़ते
दखल
और
आक्रामक
खरीद
के
कारण
मार्केटिंग
वर्ष
2022-23
में
सरकार
की
गेहूं
खरीद
एक
साल
पहले
की
तुलना
में
53
प्रतिशत
कम
हो
गई
है।
गेहूं
एक्सपोर्ट
पर
बैन
इन
देशों
ने
भी
लगाए
भारत
के
अलावा
मिस्र,
तुर्की,
कजाकिस्तान,
किर्गिस्तान,
कुवैत,
कोसोवो,
यूक्रेन,
बेलारूस
जैसे
देशों
ने
भी
गेहूं
पर
प्रतिबंध
लगाए
हैं।
मिस्र
और
तुर्की
भी
भारत
से
बड़ी
मात्रा
में
गेहूं
का
आयात
कर
रहे
हैं।
ऐसे
में
उन्हें
भारत
के
निर्यात
प्रतिबंध
पर
हस्तक्षेप
का
अधिकार
(locus
standi)
नहीं
है।
सरकार
ने
कहा
कि
पिछले
कुछ
महीनों
में
अर्जेंटीना
और
हंगरी
जैसे
कुछ
अन्य
देशों
ने
भी
गेहूं
निर्यात
पर
प्रतिबंध
लगाया
था,
लेकिन
अब
प्रतिबंध
खत्म
हो
गए
हैं।
रूस
ने
निर्यात
शुल्क
हटा
दिया,
लेकिन
पश्चिमी
देशों
द्वारा
व्यापार
प्रतिबंध
के
कारण,
वह
निर्यात
करने
में
सक्षम
नहीं
है।
इंडोनेशिया
से
तेल
बैन,
भारत
पर
असर
कुछ
अन्य
देशों
से
इंपोर्ट
के
मामले
में
यह
जानना
भी
अहम
है
कि
गेहूं
के
अलावा,
कई
अन्य
खाद्य
उत्पादों
का
निर्यात
भी
प्रतिबंधित
हुआ
है।
इनमें
इंडोनेशिया
(पाम
ऑयल),
अर्जेंटीना,
कजाकिस्तान,
कैमरून,
कुवैत
से
आने
वाले
वनस्पति
तेल
शामिल
हैं।
इंडोनेशिया
से
पाम
तेल
निर्यात
पर
प्रतिबंध
के
फैसले
से
भारत
के
अलावा
बांग्लादेश
और
पाकिस्तान
जैसे
देशों
पर
बड़ा
असर
पड़ा
है।
वनस्पति
तेल
की
घरेलू
जरुरतों
को
पूरा
करने
के
लिए
तीनों
देश
इंडोनेशिया
पर
बहुत
अधिक
निर्भर
थे।
वैश्विक
वनस्पति
तेल
शिपमेंट
में
लगभग
60
प्रतिशत
पाम
ऑयल
होता
है।
बता
दें
कि
सभी
वनस्पति
तेल
निर्यात
का
लगभग
एक
तिहाई
हिस्सा
इंडोनेशिया
से
एक्सपोर्ट
होता
है।
तेल
निर्यात
पर
बैन
के
कारण
कई
चीजों
की
कीमतें
बढ़ीं,
और
भारत
पर
भी
इसका
प्रभाव
हुआ।
इस
साल
कम
गेहूं
खरीदा
गया
आंकड़ों
के
मुताबिक
2022-23
में
रबी
मार्केट
सीजन
(RMS)
के
दौरान
सरकार
ने
महज
180
लाख
मीट्रिक
टन
(एलएमटी)
गेहूं
खरीदा।
इससे
पहले
RMS
2021-22
के
दौरान
400
एलएमटी
गेहूं
खरीदा
गया
था।
यानी
इस
साल
55
फीसद
कम
गेहूं
खरीदा
गया।
लगातार
घटी
गेहूं
की
खरीद
कम
गेहूं
खरीद
का
कारण
खुले
बाजार
में
किसान
को
न्यूनतम
समर्थन
मूल्य
(एमएसपी)
से
बेहतर
कीमत
मिलना
रहा।
बाजार
सर्वेक्षण
रिपोर्ट
और
फील्ड
ऑफिस
के
आंकड़ों
से
भी
इसकी
पुष्टि
हुई।
सरकार
की
ओर
से
कम
गेहूं
खरीदे
जाने
का
मामला
इससे
भी
स्पष्ट
होता
है
कि
16
मई,
2022
को
31,349
मीट्रिक
टन
और
17
मई,
2022
को
27,876
मीट्रिक
टन
गेहूं
खरीदा
गया।
पिछले
वर्ष
इन्हीं
दो
दिनों
में
क्रमश:
3,80,200
और
1,46,782
मीट्रिक
टन
गेहूं
खरीदा
गया।
किसानों
को
वित्तीय
सुरक्षा
रबी
मार्केट
सीजन
(RMS)
2022-23
के
दौरान
180
लाख
मीट्रिक
टन
गेहूं
की
खरीद
बाकी
है।
केंद्र
सरकार
द्वारा
सूखे
गेहूं
के
उचित
औसत
गुणवत्ता
(Fair
Average
Quality
-FAQ)
मानदंडों
में
छूट
के
कारण
कम
खरीद
हुई
है।
इससे
किसान
सरकार
को
एमएसपी
पर
उपज
बेच
पा
रहे
हैं।
खुले
बाजार
में
गेहूं
की
बिक्री
कम
कीमतों
पर
हो
रही
थी।
उचित
औसत
गुणवत्ता
मानदंडों
के
कारण
किसानों
को
वित्तीय
सुरक्षा
मिल
रही
है।