'किसानों की आय दोगुनी' इस वादे पर मोदी सरकार ने कितना काम किया ? MSP से समझिए पूरा गणित
खरीफ फसलों की एमएमपी बढ़ाने (kharif crops msp hike) और किसानों की आमदनी में सुधार का क्या कोई कनेक्शन है ? जानिए, पिछले आठ साल में एमएसपी कितनी बढ़ी। किसानों की आय दोगुनी करने पर क्या है पीएम मोदी का विजन
नई दिल्ली, 09 जून : मई 2014 में सत्ता में आने के बाद केंद्र सरकार लगातार किसानों के हक में खड़े होने के दावे करती है। साल 2014-15 और 2022-23 के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) कई बार बढ़ा चुकी है। अब जबकि 8 जून को खरीफ फसलों की एमएसपी बढ़ाने का ऐलान किया गया, ये जानना काफी दिलचस्प है कि अलग-अलग खरीफ फसलों की कीमत गत 8 साल के दौरान कितनी बढ़ी। खुद सरकार ने बाकायदा ग्राफिक्स के माध्यम से एमएसपी में बढ़ोतरी का अंतर समझाया है।
पाठक खुद करें फैसला
प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की ओर से जारी इन आंकड़ों की मदद से समझें, क्या सच में इसी साल यानी 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी ? वनइंडिया हिंदी अपनी इस रिपोर्ट में कृषि और अर्थव्यवस्था की समझ रखने वाले लोगों की कुछ राय समग्र रूप में पेश कर रहा है। इसके आधार पर पाठक समझ सकते हैं कि किसानों की फसलों को सही दाम दिलाने में मोदी सरकार गत 8 साल में कितनी सफल रही है। एक नजर डालें 14 खरीफ फसलों की बढ़ाई गई एमएसपी पर और पढ़िए ये स्पेशल रिपोर्ट
फसलों की MSP है क्या ?
MSP यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस। हिंदी में न्यूनतम समर्थन मूल्य। ये कीमत सरकार इसलिए तय करती है कि किसानों को अपनी फसल बाजार में लागत से कम कीमत पर बेचने पर मजबूर न होना पड़े। अधिकांश फसलों की एमएसपी कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की ओर से तय की जाती है। गन्ने की एमएसपी के लिए गन्ना आयोग बनाया गया है।
तेल के बीज की एमएसपी में उछाल
तेल के बीज की एमएसपी में उछाल देखा गया है। तीन प्रमुख बीजों- सूरजमुखी, बादाम और सोयाबीन के एमएसपी में पिछले 6-7 साल के बीच का अंतर देखें-
बादाम 2014-15 में प्रति क्विंटल 4000, जबकि 2022-23 में 5850 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदने का ऐलान किया गया।
सूरजमुखी के बीज की MSP में भी जबरदस्त उछाल देखा गया। 2014 के 3750 रुपये प्रति क्विटल तुलना में 2022-23 में इस तेल की MSP 6400 रुपये रखी गई। रहा था।
सोयाबीन के बीज की MSP 2022-23 में 4300 रुपये रखी गई है। 2014-15 में एमएसपी 2560 प्रति क्विंटल थी।
धान की एमएसपी पर सबसे ज्यादा बात
धान की एमएसपी पर सबसे ज्यादा बात की गई। सामान्य धान की MSP 680 रुपये जबकि ग्रेड-ए वाले धान की एमएसपी 660 रुपये बढ़ाई गई है। 2014-15 में सामान्य धान की एमएसपी 1360 रुपये प्रति क्विंटल थी, 2022-23 में 2060 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीद होगी। पिछले साल के मुकाबले एमएसपी 100 रुपये बढ़ाई गई है।
मक्के का न्यूनतम समर्थन मूल्य
2014-15 की तुलना में मक्के की एमएसपी में 652 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। 2014-15 में एक क्विंटल मक्का 1310 रुपये में खरीदा गया, जबकि 2022-23 में एक क्विंटल मक्का 1962 रुपये में खरीदने की घोषणा की गई है।
कपास की खरीद पर जोर, छह साल में इतना बढ़ा दाम
कपास को दो कैटेगरी में बांटा गया है। मध्यम रेशे वाले कपास की खरीद 2014-15 में 3750 की एमएसपी पर एक क्विंटल कपास खरीदा गया था। 2022-23 में मध्यम रेशे वाले कपास 6080 रुपये प्रति क्विंटल खरीदने का ऐलान किया गया है। पिछले साल के मुकाबले एमएसपी 354 रुपये बढ़ाई गई है। लंबे रेशे वाले कपास की एमएसपी पिछले साल की तुलना में 355 रुपये बढ़ाई गई है।
भारत में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन !
सरकार ने बताया है कि इस साल भारत में खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है। पिछले पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21) में जितना औसत खाद्यान्न उत्पादन हुआ है, इसकी तुलना में 2021-22 का उत्पादन 23.80 मिलियन टन अधिक है। 2021-22 में तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार देशभर में लगभग 314.51 मिलियन टन खाद्यान्न की पैदावार होने की उम्मीद है। ये वित्त वर्ष 2020-21 के खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 3.77 मिलियन टन अधिक होगा।
कितनी है किसानों की आय ?
साल 2012-13 में 70वें नेशनल सैंपस सर्वे (NSS) के आंकड़ों के मुताबिक देश में खेती से जुड़े परिवारों की सालाना कमाई 77,112 रुपये थी। महीने में कुल 6426 रुपये; इसमें फसल उत्पादन से 3081 रुपये, और पशुपालन से 763 रुपये की कमाई। 2018-19 में 77वें NSS में एक परिवार की सालाना कमाई 1,22,616 रुपये आंकी गई। महीने के 10,218 रुपये। इसमें फसल उत्पादन से 3798 रुपये की कमाई। पशुपालन से 1582 रुपये। इस आधार पर पशुपालन से हुई आमदनी में छह साल में 763 रुपये का उल्लेखनीय इजाफा हुआ।
किसानों की इनकम डबल, समिति गठित
भारत सरकार ने साल 2016 में अशोक दलवाई (Ashok Dalwai) की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था। इस समिति को ये सुझाव देना था कि किन उपायों और नीतियों की मदद से 2022 तक किसानों की आय दोगुनी की जा सकती है। अक्टूबर 2021 में उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व चीफ सेक्रेट्री आलोक रंजन (Alok Ranjan) ने डेलीपायोनियर में प्रकाशित आलेख में कहा था कि अशोक दलवाई की समिति की रिपोर्ट के मुताबिक किसानों की दोगुनी आय कई चीजों पर निर्भर करती है। जैसे-
- फसल उत्पादकता में वृद्धि
- पशुधन उत्पादकता में वृद्धि
- संसाधन उपयोग दक्षता लाने या उत्पादन लागत में बचत
- फसल उत्पादन तीव्रता (cropping intensity) में वृद्धि
- उच्च मूल्य वाली फसलों में विविधता (diversification)
प्राइवेट कंपनी और सरकार, दोनों लगाएं पैसे
अशोक दलवाई समिति की रिपोर्ट में किसान के लिए वास्तविक कीमतों में वृद्धि और खेती-किसानी के अलावा गैर-कृषि व्यवसायों में जाने के विकल्प भी बताए गए। आलोक रंजन कहते हैं कि रिपोर्ट के अधिकांश सुझाव कृषि क्षेत्र से संबंधित हैं। ऐसे में कृषि क्षेत्र में 10.4 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर हासिल करने के बाद ही किसानों की वास्तविक आय दोगुनी करना संभव है। इसके लिए सिंचाई, कृषि बाजार और सड़क, बिजली और परिवहन जैसी चीजों को बेहतर बनाने और 'निवेश' की जरूरत है। बकौल आलोक, सार्वजनिक और प्राइवेट दोनों क्षेत्रों को मिलकर तेजी से पूंजी निवेश करना होगा।
बुनियादी ढांचे का विकास जरूरी
मई 2022 में दी हिंदू बिजनेस लाइन में प्रकाशित आलेख में राधेश्याम जाधव ने ये समझने का प्रयास किया कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य अभी भी एक सपना क्यों है। उन्होंने लिखा, किसानों का कहना है कि सरकारी योजनाएं उनकी आय को दोगुना करने में तब तक मददगार नहीं होंगी, जब तक कृषि पर सरकार की नीतियां व्यापक नहीं होंगी। प्रौद्योगिकी और बाजार की स्वतंत्रता प्रदान मिलनी चाहिए। बुनियादी ढांचे के विकास में अधिक पैसा लगाने की जरूरत है।
किसानों की अनदेखी कर ग्राहकों को खुश कर रही सरकार ?
महाराष्ट्र में शेतकारी संगठन जैसे शीर्ष किसान संगठनों का कहना है कि तदर्थ नीतियों (ad hoc policies) और योजनाओं से किसानों को तब तक मदद नहीं मिलेगी जब तक सरकार उपभोक्ताओं को खुश रखने के प्रयास बंद नहीं करती। शेतकारी का आरोप है कि कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार बाजार में हस्तक्षेप करती है और किसानों की अनदेखी कर ग्राहकों को खुश किया जाता है।
किसानों की इनकम डबल के लिए पांच उपाय जरूरी
जून 2021 में टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशिल आलेख में आशीष कोटाडिया ने कुछ उपाए सुझाए और बताया कि भारत कैसे 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य हासिल कर सकता है। उन्होंने पांच बिंदुओं में पहले में लिखा, प्रति इकाई भूमि की उत्पादकता में सुधार के माध्यम से कृषि उत्पादन को बढ़ाना होगा। अन्य चार बिंदुओं पर एक नजर-
- टोटल फैक्टर प्रोडक्टिविटी (TFP) में सुधार उत्पादन वृद्धि का महत्वपूर्ण स्रोत है। इससे लागत में कमी आती है। किसानों की बचत होती है। इसी के साथ आय में भी वृद्धि होती है।
- उच्च मूल्य वाली फसलों (HVCs) की खेती का रुख करने से किसानों की आय में सुधार की काफी गुंजाइश है। प्रधान फसलें (अनाज, दालें, तिलहन) 77 प्रतिशत हिस्से में बोई जाती हैं, लेकिन कुल उत्पादन में केवल 41% होता है। दिलचस्प है कि महज 19 फीसद जमीन पर फल, सब्जियां, फाइबर, आदि जैसी HVCs की बुआई से भी लगभग 41 फीसद उत्पाद हासिल होता है। इसलिए किसानों की आय और उत्पादकता बढ़ाने के लिए फसलों का विभाजन (crops' bifurcation) सबसे महत्वपूर्ण है।
फसल उत्पादकता बढ़ाना सबसे जरूरी है। भारत में दो मुख्य फसल वाले मौसम हैं- खरीफ और रबी। एक ही जमीन पर प्रति वर्ष दो फसलों की खेती की जाती है। भूमि उपयोग के आंकड़ों के मुताबिक दूसरी फसल की रोपाई 38.9% हिस्से पर ही की जाती है। इसका मतलब ये हुआ कि देश में 60% से अधिक कृषि भूमि पर उत्पादन के लगभग आधे समय कोई कृषि कार्य नहीं होता। ऐसे में फसल की सघनता में बढ़ाने (crop intensity increase) से किसानों को लाभ होगा। उनकी आय भी बढ़ेगी।
किसानों को खेती का सीजन खत्म होने पर गैर कृषि कार्यों या सहायक कृषि गतिविधियों की ओर रुख करना चाहिए।
बेहतर समन्वय के साथ योजनाएं लागू करना जरूरी
इंडियन एक्सप्रेस ऑनलाइन की एक रिपोर्ट में डेलॉयट इंडिया (एग्रीकल्चर) से जुड़े पार्टनर अरिंदम गुहा ने जून, 2019 में बताया था कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए वैल्यू ऐडेड फसलों पर ध्यान देने की जरूरत है। हॉर्टिकल्चर में संभावनाएं हैं। MSP बढ़ाने के बारे में उन्होंने कहा कि MSP कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन से कम से कम 50 फीसद अधिक होता है, लेकिन भारत में बंपर उत्पादन होता है। ऐसे में खेत से मार्केट के बीच सीधा लिंक बनाना बहुत जरूरी है। कोल्ड स्टोरेज, फार्म एक्सेस प्वाइंट और सिंचाई से जुड़ी समस्याओं को एक साथ बेहतर समन्वय के साथ लागू किए जाने की जरूरत है। ऐसा करने पर ही किसानों की आय बढ़ेगी।
किसानों का दोगुनी आय पर पीएम मोदी का विजन
किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में केंद्र सरकार के प्रयासों पर पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 10वीं किस्त जारी करने के मौके पर जनवरी 2022 में कहा था कि भारत के किसानों का बहुत बड़ा संबल बनी है। हर साल हजारों करोड़ रुपये का ट्रांसफर और बिचौलियों के होता है। किसान सम्मान निधि की मदद से छोटे किसान अच्छी क्वालिटी के बीज और खाद खरीद रहे हैं।
बायो फ्यूल से बढ़ेगी किसानों की आय
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में एक जनसभा में पीएम मोदी ने कहा था कि आजादी के बाद पहली बार छोटे किसानों के हित में फैसले लेने वाली सरकार बनी है। उन्होंने अपनी सरकार की योजनाएं गिनाते हुए कहा कि वैश्विक बाजार में भारत अपनी अलग पहचान बना रहा है। 11 दिसंबर 2021 को इस सभा में पीएम मोदी ने कहा था कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए बायो फ्यूल के विकल्प इस्तेमाल बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि 'झाड़ी के तेल' यानी बायो फ्यूल बनाने के लिए कई फैक्ट्रियां लगाई गई हैं। बकौल पीएम मोदी, गन्ने से इथेनॉल बनाने पर तेजी से काम हो रहा है। गन्ना किसानों की आर्थिक स्थिति सुधर रही है।
पीएम मोदी के चार सूत्री उपाय
सितंबर 2018 में पीएम मोदी ने किसानों से सीधा संवाद किया था। उन्होंने कहा था कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है। पुरानी नीतियों और रुकावटों को दूर करना है। पीएम मोदी ने कहा, जब आय दोगुनी करने की बात कही, लोगों ने मजाक उड़ाया। निराश करने का वातावरण बनाने का प्रयास किया गया, लेकिन हमें अपने किसानों पर भरोसा है। किसानों ने मेहनत से अपनी काबिलियत साबित की है। बकौल पीएम मोदी, किसानों की आय दोगुनी करने के लिए चार बिंदुओं पर काम करना है-
- कच्चे माल की लागत को कम से कम कैसे किया जाए
- किसानों की उपज का उचित दाम मिले
- किसानों की पैदावार की बर्बादी रूके
- किसानी के बाद आमदनी के वैकल्पिक श्रोत तैयार किए जाएं
पीएम मोदी ने कहा था कि फसलों की उचित कीमत मिले इसके लिए बजट में अहम फैसले किए गए हैं।
अच्छी गुणवत्ता के उत्पाद तैयार करें
सितंबर 2016 में CSIR की प्लैटिनम जुबली के समारोह में पीएम मोदी ने कहा था कि 2022 में भारत की आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं। उन्होंने कहा था कि देश के किसानों की इनकम डबल करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। CSIR के वैज्ञानिकों से उन्होंने फसलों की उन्नत किस्में विकसित करने का आह्वान किया था। पीएम मोदी ने वैज्ञानिक तरीकों के इस्तेमाल और जेनेटिक साइंस को किसानों तक पहुंचाना है। किसान कुछ नया करना चाहते हैं। उन्होंने सब्जियों की किस्में भी विकसित करने का आह्वान किया था। पीएम मोदी ने कहा कि गल्फ देशों के दौरे पर उन्हें एहसास हुआ कि भारत में उत्पादन क्षमता बढ़ाने और बड़ी मात्रा में निर्यात की क्षमता भी है। ऐसे में अच्छी गुणवत्ता के उत्पाद तैयार किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि गल्फ देशों में भारत से कृषि उत्पाद निर्यात की अपार संभावनाएं हैं।