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कौन हैं भारत माता और कहां से आया 'भारत माता की जय'

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नई दिल्‍ली। पिछले कुछ समय से 'भारत माता' और 'भारत माता की जय,' इसे लेकर देशभर में खूब विवाद हो रहा है। कोई पार्टी कहती है कि यह नारा देश के लिए आपके समर्पण भाव को दिखाता है तो कोई पार्टी कहती है कि इस नारे का मकसद देश का भगवाकरण करना है।

कोई व्‍यक्ति कहता है कि वह भारत माता की जय नहीं बोलेगा तो कोई कहता है कि वह जोर-शोर से इस नारे को कहेगा।

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खैर हम यहां पर विवादों पर कोई टिप्‍पणी नहीं करना चाहते हैं। लेकिन हम चाहते हैं कि आप भारत माता और भारत माता की जय, क्‍या है और इसका क्‍या महत्‍व रहा है।

दरअसल यह किस्‍सा देश की आजादी से पहले का है जब देश में आजादी की लड़ाई आगे बढ़ाई जा रही थी। उसी समय देश को भारत माता माना गया था।

आइए जानिए भारत माता के इतिहास और इससे जुड़े खास तथ्‍यों के बारे में।

सन 1873 में पहली बार नजर आईं भारत माता

सन 1873 में पहली बार नजर आईं भारत माता

भारत माता की जो तस्‍वीर आज आप देखते हहैं उसे 19वीं सदी के आखिरी में स्‍वतंत्रता संग्राम में तैयार किया गया था। किरन चंद्र बनर्जी ने एक नाटक लिखा था जिसका टाइटम था, 'भारत माता,' इस नाटक का प्रदर्शन सन 1873 में किया गया था। यहीं से 'भारत माता की जय' इस नारे के शुरू होने के बारे में बातें कही गई हैं।

वंदे मातरम की प्रेरणा

वंदे मातरम की प्रेरणा

सन 1882 में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्‍याय ने 'आनंदमठ' नामक नॉवेल लिखा। इस नॉवेल के साथ उन्‍होंने पहली बार 'वंदेमातरम' जैसा गीत देश को दिया। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि इसकी प्रेरणा कहीं न कहीं 'भारत माता' नाटक से उन्‍हें मिली थी।

बिपिन चंद्र पाल ने दिया अलग स्‍वरूप

बिपिन चंद्र पाल ने दिया अलग स्‍वरूप

बिपिन चंद्रपाल ने इसे एक विस्‍तृत रूप दे दिया। उन्‍होने भारत माता को हिंदु दर्शन और आधात्मिक कार्यों से जोड़ा। उन्‍होंने भारत माता को एक विश्‍व और एक देश जैसे विचारों के साथ जोड़ना शुरू किया था।

कैसे बनी भारत माता की तस्‍वीर

कैसे बनी भारत माता की तस्‍वीर

भारत माता का एक तस्‍वीर में वर्णन करने का श्रेय अबानींद्रनाथ टैगोर को जाता है। उन्‍होंने भारत माता को चार भुजाओं वाली देवी दुर्गा के रूप की तरह दिखाते हुए एक पेंटिंग तैयार की थी। यह देवी हाथ में एक पुस्तिका पकड़े है और सफेद रंग के कपड़े पहने थी। इस तस्‍वीर ने उन दिनों देशवासियों की भावनाओं को देश के लिए मजबूत करने का काम किया था।

सिस्‍टर निवेदिता का योगदान

सिस्‍टर निवेदिता का योगदान

स्‍वामी विवेकानंद की शिष्‍या रहीं सिस्‍टर निवेदिता ने इस पेंटिंग को और विस्‍तृत किया। उन्‍होंने भारत माता को हरियाली से संपूर्ण धरती पर खड़ा दिखाया जिनके पीछे एक नीला आसमान था और उनके पैरों पर कमल के चार फूल थे। चार भुजाएं आधायात्मिक ताकत का पर्याय बनीं।

भारत माता का उपहार

भारत माता का उपहार

सिस्‍टर निवेदिता ने इस पेंटिंग से यह दर्शाने की कोशिश की थी कि भारत माता ने देश के बच्‍चों को शिक्षा, दीक्षा, अन्‍न और वस्‍त्र जैसे उपहार दिए हैं।

फिर मां गंगा के रूप में

फिर मां गंगा के रूप में

इसके बाद सुब्रहमण्‍यम भारती जो कि आजादी की लड़ाई में सक्रिय थे उन्‍होंने भारत माता की व्‍याख्‍या गंगा की धरती के तौर पर की और भारत माता को प्राशक्ति के तौर पर पहचाना। उन्‍होंने कहा था कि उन्‍होंने अपनी गुरु सिस्‍टर निवेदिता से मिलने के साथ ही भारत माता का दर्शन किया है।

1936 में बना पहला मंदिर

1936 में बना पहला मंदिर

वर्ष 1936 में महात्‍मा गांधी ने वाराणसी स्थित काशी यूनिवर्सिटी में भारत माता के मंदिर का उद्घाटन किया था।

वीएचपी के बनाए मंदिर का इंदिरा ने किया उद्घाटन

वीएचपी के बनाए मंदिर का इंदिरा ने किया उद्घाटन

इसके बाद हरिद्वार में विश्‍व हिंदु परिषद (वीएचपी) की ओर से एक मंदिर का निर्माण वर्ष 1983 में किया गया था। उस समय तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस मंदिर का उद्घाटन किया था।

इंडियन आर्मी को जोश देने वाला

इंडियन आर्मी को जोश देने वाला

'भारत माता की जय' अब इंडियन आर्मी का ध्‍येय वाक्‍य बन गया है।

Comments
English summary
From past few days a lot has been said and a lot has been heard about Bharat Mata and slogan 'Bharat Mata Ki Jai.' Have a look upon who is Bharat Mata and from where this chant "Bharat Mata Ki Jai' has come.
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