छत्तीसगढ़ सरकार से तत्काल कोयला खनन शुरू करने के लिए बार-बार मिन्नतें करना दुर्भाग्यपूर्ण-राजेंद्र राठौड़
जयपुर, 18 जून। राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा है कि ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी की ओर से राजस्थान को ब्लैक आउट से बचाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार से तत्काल कोयला खनन शुरू करने के लिए बार-बार मिन्नतें करना दुर्भाग्यपूर्ण है। जबकि राजस्थान व छत्तीसगढ़ दोनों ही प्रदेशों में कांग्रेस शासित सरकारें हैं, इसके बावजूद कोयला खनन को लेकर गतिरोध का अब तक समाधान नहीं होना राज्य सरकार की नाकामी व घोर विफलता है।
राठौड़ ने एक बयान में कहा कि नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी से ईडी से पूछताछ करने के दौरान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ घंटों-घंटों साथ रहे, अगर उस समय थोड़ा सा समय निकालकर गहलोत राजस्थान में जारी कोयला संकट को लेकर उनसे बात कर लेते तो आज प्रदेश में कोयला संकट के कारण विद्युत आपूर्ति ठप्प नहीं होती।
दोनों राज्य में कांग्रेस, फिर भी समस्या दूर नहीं
राठौड़
ने
कहा
कि
इससे
बड़ा
दुर्भाग्य
क्या
होगा
कि
दोनों
ही
राज्यों
में
कांग्रेस
पार्टी
की
सरकार
होने
के
बावजूद
इस
मामले
का
समाधान
नहीं
हो
पाया
जबकि
मुख्यमंत्री
अशोक
गहलोत
पारसा
कोल
ब्लॉक
में
खनन
को
लेकर
कांग्रेस
अध्यक्ष
सोनिया
गांधी
को
पत्र
लिखकर
छत्तीसगढ़
के
मुख्यमंत्री
भूपेश
बघेल
की
शिकायत
भी
कर
चुके
हैं।
उसके
बावजूद
भी
समाधान
नहीं
होने
के
कारण
आज
एक
बार
फिर
से
प्रदेश
में
राजस्थान
में
कोयले
का
अभूतपूर्व
संकट
आ
गया
है।
राठौड़
ने
कहा
कि
विगत
25
मार्च
को
मुख्यमंत्री
अशोक
गहलोत
ने
रायपुर
पहुंचकर
छत्तीसगढ़
के
मुख्यमंत्री
भूपेश
बघेल
से
मुलाकात
कर
राजस्थान
में
कोयले
की
कमी
से
उत्पन्न
बिजली
संकट
तथा
छत्तीसगढ़
में
आवंटित
पारसा
कोल
ब्लॉक
खान
से
कोयला
खनन
की
स्वीकृति
जारी
करने
के
बारे
में
चर्चा
कर
खनन
करने
की
सहमति
व्यक्त
की
थी।
मुख्यमंत्री
को
अब
स्पष्ट
करना
चाहिये
कि
छत्तीसगढ़
सरकार
के
साथ
परसा
कोल
ब्लॉक
में
खनन
स्वीकृति
देने
की
सहमति
का
क्या
हुआ
?
राठौड़
ने
कहा
कि
छत्तीसगढ़
के
पारसा
में
राजस्थान
के
हिस्से
की
माइंस
आवंटित
है।
मुख्यमंत्री
प्रतिदिन
केन्द्र
सरकार
को
बेवजह
आरोपों
के
कटघरे
में
खड़ा
करते
हैं
जबकि
केन्द्र
सरकार
ने
पहले
ही
इस
माइंस
के
लिए
एन्वार्यमेंट
क्लीयरेंस
जारी
कर
दी
थी,
उसके
बाद
भी
छत्तीसगढ़
सरकार
की
हठधर्मिता
के
कारण
कोयला
खनन
की
स्वीकृति
जारी
नहीं
करवा
पाना
राजस्थान
सरकार
की
अकर्मण्यता
व
विफलता
को
दर्शा
रहा
है,
वो
भी
तब
जब
वहां
पर
कांग्रेस
की
ही
सरकार
है।
राठौड़
ने
कहा
कि
कोयला
संकट
के
कारण
राज्य
में
सूरतगढ़
थर्मल
की
सुपर
क्रिटिकल
व
सब
क्रिटिकल,
कालीसिंध
थर्मल
पावर,
छबड़ा
पावर
प्लांट
और
कोटा
थर्मल
पावर
प्लांट
को
मिलाकर
राज्य
विद्युत
उत्पादन
निगम
की
8
यूनिटों
में
2720
मेगावाट
का
बिजली
उत्पादन
ठप्प
हो
चुका
है
और
राजस्थान
में
ब्लैक
आउट
का
खतरा
फिर
से
मंडरा
रहा
है।
कोयले
संकट
की
आपदा
को
अवसर
में
बदलकर
सरकार
पहले
ही
इंडोनेशिया
से
मंहगी
दरों
में
कोयला
खरीदकर
चांदी
कूटने
में
लगी
है
और
इसका
हवाला
देकर
अब
फ्यूल
चार्ज
में
बढ़ोतरी
करने
का
आधार
तय
करके
राज्य
के
1.52
करोड़
विद्युत
उपभोक्ताओं
की
कमर
तोड़ने
का
काम
करेगी।