अब संसद में बढ़ेगी आम आदमी पार्टी की पावर, समझिए पूरा गणित
तीन महीने पहले बहुमत के साथ पंजाब में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी जल्द ही राज्यसभा में DMK के साथ संयुक्त रूप से चौथी सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी।
नई दिल्ली, 12 जून: पंजाब चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी की संसद में पावर बढ़ने वाली है। जी हां, तीन महीने पहले बहुमत के साथ सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी जल्द ही राज्यसभा में DMK के साथ संयुक्त रूप से चौथी सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी। वहीं, शिरोमणि अकाली दल यानी SAD घटकर जीरो और बसपा 1 तक सिमट कर रह जाएगी। हाल में उच्च सदन की 57 सीटों पर चुनाव हुए हैं और उसके बाद समीकरण बदल गए हैं। हालांकि इससे पक्ष या विपक्ष में कोई बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को नहीं मिलेगा, पर आम आदमी पार्टी की बल्ले-बल्ले है। मार्च में संसद के उच्च सदन में AAP की तीन सीटें थीं जो जुलाई में बढ़कर 10 हो जाएंगी। पंजाब से राज्यसभा के दो सांसद रिटायर हो रहे हैं। इससे राज्यसभा में अरविंद केजरीवाल की पार्टी की राजनीतिक ताकत बढ़ जाएगी।
हाल के चुनावों से भाजपा और कांग्रेस के खेमे में एक ही जैसी स्थिति है। भगवा दल ने उत्तर प्रदेश में तीन सीटें जीती हैं और एक उत्तराखंड से बढ़ी है लेकिन उसने आंध्र प्रदेश में तीन और एक झारखंड में सीट गंवा दी है। भाजपा को उम्मीद है कि सात सदस्यों के नामांकन से उसका आंकड़ा एक बार फिर तीन अंकों में पहुंच जाएगा। नए नामित सदस्य भाजपा जॉइन कर सकते हैं। वर्तमान में पांच में से चार नामित सदस्य भाजपा के सदस्य हैं।
अभी
8
सांसद
हैं
AAP
के
उच्च
सदन
में
आम
आदमी
पार्टी
के
नेता
राघव
चड्ढा,
अशोक
मित्तल,
संजीव
अरोड़ा,
हरभजन
सिंह
और
संदीप
पाठक
हाल
ही
में
राज्यसभा
पहुंचे।
इसके
साथ
ही
उच्च
सदन
में
AAP
की
सीटें
बढ़कर
आठ
हो
गईं।
अब
2
सीटें
पंजाब
से
जीतने
के
बाद
जुलाई
में
पार्टी
दहाई
में
पहुंच
जाएगी।
पंजाब
की
2
सीटों
पर
जीत
से
पहले
ही
AAP
के
संजय
सिंह,
एनडी
गुप्ता,
सुशील
गुप्ता,
हरभजन
सिंह,
राघव
चड्ढा,
डॉ.
संदीप
पाठक,
अशोक
कुमार
मित्तल,
संजीव
अरोड़ा
राज्यसभा
सांसद
हैं।
हालांकि सरकार इन नामित सीटों को जल्दी भरने के मूड में नहीं दिख रही क्योंकि ये सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डाल सकते हैं। ऐसे में यह विषय संसद के मॉनसून सत्र तक रुक सकता है। हां, एक बात जरूर है कि भले ही नामित सदस्य भाजपा में न शामिल हों लेकिन किसी मसले पर वोटिंग की स्थिति में वे निश्चित तौर पर सरकार के साथ खड़े दिखेंगे।
भाजपा
फिर
100
से
नीचे
फिसली
अप्रैल
में
उच्च
सदन
में
100
के
आंकड़े
पर
पहुंचने
वाली
भाजपा
के
सदस्यों
की
संख्या
फिर
से
घट
गई
है।
जी
हां,
राज्यसभा
की
57
सीटों
के
लिए
शुक्रवार
को
हुए
द्विवार्षिक
चुनावों
के
बाद
भाजपा
95
से
घटकर
91
पर
आ
गई।
वर्तमान
में
उच्च
सदन
के
कुल
232
सदस्यों
में
भाजपा
के
95
सदस्य
हैं।
सेवानिवृत्त
हो
रहे
सदस्यों
में
भाजपा
के
26
सदस्य
शामिल
हैं
जबकि
इस
द्विवार्षिक
चुनाव
में
उसके
22
सदस्यों
ने
जीत
दर्ज
की।
इस
प्रकार
उसे
चार
सीटों
का
नुकसान
हुआ
है।
निर्वाचित सदस्यों के शपथ लेने के बाद भाजपा के सदस्यों की संख्या 95 से घटकर 91 रह जाएगी। यानी फिर से 100 के आंकड़े तक पहुंचने के लिए भाजपा को अभी और इंतजार करना पड़ेगा। अभी भी राज्यसभा में सात मनोनीत सदस्यों सहित कुल 13 खाली सीटें हैं। मनोनीत सदस्यों की नियुक्ति और खाली सीटों को भरे के जाने के बाद भाजपा के सदस्यों की संख्या 100 के करीब पहुंच सकती है क्योंकि कुछ अपवादों को छोड़ दें तो आमतौर पर मनोनीत सदस्य अपने मनोनयन के छह माह के भीतर खुद को किसी दल से (आमतौर पर सत्ताधारी दल से) जुड़ जाते हैं।
असम, त्रिपुरा और नगालैंड में एक-एक सीटों पर जीत हासिल करने के बाद भाजपा अपने इतिहास में पहली बार उच्च सदन में 100 के आंकड़े पर पहुंची थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा सहित पार्टी के कई नेताओं ने इसे भाजपा की बड़ी उपलब्धि करार दिया था। राज्यसभा की 57 सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनावों की घोषणा के बाद उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पंजाब, तेलंगाना, झारखंड और उत्तराखंड में सभी 41 उम्मीदवारों को पिछले शुक्रवार को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया था। इनमें भाजपा के 14 उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए थे। भाजपा को उत्तर प्रदेश में तीन सीटों का फायदा हुआ। वहां से उसके पांच सदस्य सेवानिवृत्त हुए थे जबकि उसके आठ सदस्य निर्वाचित हुए हैं।
बिहार और मध्य प्रदेश में भाजपा को दो-दो सीटें और उत्तराखंड और झारखंड में एक-एक सीटें मिलीं। हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक की 16 सीट के लिए शुक्रवार को चुनाव हुए। इनमें से भाजपा महाराष्ट्र और कर्नाटक में तीन-तीन सीटें और हरियाणा और राजस्थान में एक-एक सीट जीतने में सफल रही। भाजपा के बेहतर चुनाव प्रबंधन के कारण पार्टी के दो उम्मीदवार और उसके समर्थन वाले एक निर्दलीय उम्मीदवार ने कर्नाटक, महाराष्ट्र और हरियाणा में जीत हासिल की जबकि उनके जीतने की संभावनाएं बेहद कम थीं। इस प्रकार इन चार राज्यों में भाजपा को कुल आठ सीटें मिलीं। इस प्रकार कुल 57 सीटों में से 22 सीटों पर उसके उम्मीदवारों को जीत मिली। हरियाणा में निर्दलीय चुनाव जीतने वाले कार्तिकेय शर्मा को भाजपा और उसकी सहयोगी जननायक जनता पार्टी ने समर्थन दिया था। राजस्थान में भाजपा ने निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा का समर्थन किया था लेकिन वह चुनाव हार गए।
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