
हेमंत सरकार ने केंद्र से मांगे 9682.79 करोड़, सुखाड़ प्रभावित किसानों को राहत की उम्मीद नहीं
Jharkhand News कम बारिश के कारण झारखंड के पलामू प्रमंडल में इस साल अकाल जैसे हालात हैं। खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान की पांच फीसद भी रोपनी नहीं हुई। हालात का जायजा लेने के बाद 22 जुलाई को राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा था कि 30 साल पहले पड़े अकाल जैसी स्थिति है। झारखंड सरकार ने पलामू प्रमंडल के पालमू के 21, गढ़वा के 20 और लातेहार के 9 समेत राज्य के 22 जिलों के 226 प्रखंडों को सुखाड़ घोषित किया है। हालांकि प्रभावित किसानों को राहत और मुआवजा मुहैया कराने में जैसी तेजी दिखनी चाहिए नहीं दिख रही है। अब तक जिस स्टेज में पूरा मामला यह तय है कि किसानों को इस साल के अंतर तक मुआवजा मिलने नहीं जा रहा है। उन्हें काफी लंबा इंतजार करना पड़ेगा।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में 30 अक्टूबर को राज्य आपदा प्रबंधन की बैठक हुई थी। इसमें राज्य के 226 प्रखंडों को सुखाड़ग्रस्त घोषित किया गया। साथ ही सुखाड़ प्रभावित प्रत्येक किसान को आपदा प्रबंधन से 3500 रुपये सूखा राहत राशि के रूप में देने का निर्णय लिया गया। इसके तहत राज्य के 31 लाख किसानों के बीच सूखा राहत राशि के रूप में करीब 10000 करोड रुपए का भुगतान करना होगा। रुपया दिया जाएगा। जिसमें पलामू जिले के उन 1,07,415 किसानों को लाभ मिलने की संभावना है। जिन्होंने फसल राहत योजना के तहत आवेदन दिया है। 4 नवंबर को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर में थे। उन्होंने कहा था कि शिविर लगाकर प्रत्येक किसान को फौरी राहत के तौर पर 3500 रुपये दिए जाएंगे। इस दिशा में अब तक कोई प्रगति नहीं है। जिला सहकारिता पदाधिकारी अश्विनी कुमार ओझा बताते है कि विभाग की ओर से कोई गाइडलाइन नहीं आया है। गाइडलाइन आने के बाद ही कुछ कहने की स्थिति में होंगे।
क्या है प्रक्रिया
सुखाड़ आपदा के तहत आता है। प्रखंडों को सुखाड़ घोषित करने के बाद राज्य सरकार केंद्र को संकल्प पत्र भेजती है। इसके बाद केंद्रीय टीम सुखाड़ प्रभावित इलाके का दौरा कर केंद्र सरकार को रिपोर्ट देती है। इस आधार केंद्र सरकार सुखाड़ जिला घोषित करती है। इसके बाद आपदा के तहत मुआवजा (कृषि इनपुट) का भुगतान की प्रक्रिया शुरू होती है। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने केंद्र सरकार को संकल्प पत्र भेज दिया है। 15 नवंबर के बाद केंद्र से राशि प्राप्त करने के लिए डिमांड भेजा गया है। यह डिमांड 9682 करोड रुपये का है। पूरा मामला जिस स्टेज में उससे साफ है कि इस साल तो मुआवजा नहीं मिलने जा रहा है। चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 के अंतिम महीने मार्च तक मिल जाय तो बहुत है।
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क्या कहते है पलामू के सांसद
पलामू के सांसद वीडी राम का कहना है कि झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के एजेंडे में किसान हैं ही नहीं। जून से सितंबर तक मानसून होता है। राज्य सरकार को अक्टूबर के पहले सप्ताह में केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेज देनी चाहिए। रिपोर्ट जाती तो अब तक केंद्रीय टीम सुखाड़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट दे चुकी होती।