हरियाणा: अब सरकारी स्कूलों की प्रार्थना सभा में पीटी की जगह होंगी योग क्रियाएं
सिरसा: नई शिक्षा नीति के तहत राजकीय विद्यालयों में इसी सत्र से विद्यार्थियों को योग शिक्षा देना अनिवार्य कर दिया गया है। इसलिए अब इन विद्यालयों में विभाग पीटी के बजाय योग पर ध्यान दे रही है। इससे न केवल विद्यार्थी स्कूलों में योगाभ्यास करेंगे। बल्कि अनिवार्य विषय के रूप में भी पढ़ेंगे और दिनचर्या में योग को शामिल करते हुए अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाएंगे। इसी के अंतर्गत अब राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद गुरुग्राम द्वारा प्रत्येक जिले में कार्यरत 100 डीपीई, पीटीआई व अन्य सामान्य शिक्षकों को दो दिवसीय विशेष ट्रेनिंग कराई जाएगी।
ट्रेनिंग कार्यक्रम में शारीरिक शिक्षकों को योग का विशेष रूप से प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिसके पश्चात वे विद्यार्थियों को योग क्रियाओं का प्रशिक्षण देंगे। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद गुरुग्राम ने सभी जिलों के समग्र शिक्षा के जिला परियोजना समन्वयकों को पत्र जारी कर 14 मई तक पहले चरण में शामिल होने वाले डीपीई, पीटीआई व सामान्य शिक्षकों की सूची मांगी है।
दरअसल एससीईआरटी गुरुग्राम से पाठ्यक्रम तैयार कराने के बाद विभाग की ओर से योग को कक्षा दसवीं के पाठ्यक्रम में अनिवार्य विषय के रूप में भी शामिल कर दिया गया है। इसके अनुसार रोजाना प्रार्थना सभा में 30 मिनट तक विद्यार्थी योग का अभ्यास करेंगे। साथ ही प्रत्येक माह के प्रथम शनिवार को योग प्रशिक्षण दिवस के रूप में भी मनाया जाएगा ताकि प्रत्येक विद्यार्थी स्वस्थ रहे। हालांकि सात मई को योग प्रशिक्षण दिवस की शुरुआत होनी थी, लेकिन जानकारी के अभाव में कुछ स्कूलों को छोड़कर अन्य स्कूलों में योग प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन नहीं हो पाया। अब जून माह के प्रथम शनिवार को स्कूलों में योग प्रशिक्षण दिवस मनाया जाएगा। लेकिन अगर स्कूलों में अगले महीने ग्रीष्मकालीन अवकाश हो जाते है तो योग प्रशिक्षण दिवस की शुरुआत जुलाई में होगी।
92
शिक्षकों
को
मिलेगी
ट्रेनिंग
सिरसा
जिला
से
इस
ट्रेनिंग
कार्यक्रम
के
पहले
चरण
में
92
शिक्षक
भाग
लेंगे।
जिसमें
रानियां
खंड
के
39,
डबवाली
खंड
के
52
व
ऐलनाबाद
खंड
का
एक
शिक्षक
शामिल
होगा।
उपरोक्त
शिक्षकों
को
2020-21
में
भी
प्रशिक्षण
दिया
गया
था।
ट्रेनिंग
कार्यक्रम
जिलास्तर
पर
23
व
24
मई
को
आयोजित
होगा।
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योग
भारत
की
प्राचीन
जीवन
पद्धति
योग
शिक्षकों
के
अनुसार,
योग
भारत
की
प्राचीन
जीवन
पद्धति
है।
योग
के
माध्यम
से
शरीर,
मन
और
मस्तिष्क
को
पूर्ण
रूप
से
स्वस्थ
रखा
जा
सकता
है।
शरीर,
मन
एवं
मस्तिष्क
के
स्वस्थ
रहने
से
व्यक्ति
स्वयं
को
अपने
आप
स्वस्थ
महसूस
करता
है।
इसी
बात
को
ध्यान
में
रखते
हुए
सरकार
ने
प्रदेश
की
भावी
पीढ़ी
के
शरीर,
मन
और
मस्तिष्क
को
पूर्ण
रूप
से
स्वस्थ
रखने
के
लिए
नई
शिक्षा
नीति
में
स्कूली
शिक्षा
के
पाठ्यक्रम
में
योग
को
अनिवार्य
विषय
के
रूप
में
शामिल
किया
है।