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हरियाणा के CM खट्टर ने बेरोजगारों के लिए नौकरियां दिलाने की ये स्कीम शुरू की, भ्रष्टाचार से मुक्ति भी मिली

By Oneindia Staff
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पंचकूला। हरियाणा में होने वाली सरकारी भर्तियों में जब मौजूदा भाजपा सरकार के मुखिया मनोहर लाल ने राजनीतिक हस्तक्षेप बंद करने की शुरुआत की, तब उन्हीं की पार्टी के कई नेताओं, सांसदों और विधायकों ने इसका प्रबल विरोध किया था। विरोध की वजह यह थी कि सरकारी नौकरियों की लाइन में लगे हजारों युवा और उनके परिवार के सदस्य अक्सर इन राजनीतिक लोगों के कार्यक्रमों, सम्मेलनों तथा रैलियों में भीड़ का हिस्सा बना करते थे। उन्हें उम्मीद होती थी कि यदि नारे लगाकर सरकारी नौकरी मिल गई तो राजनीतिक दलों के लिए की गई उनकी मेहनत जाया नहीं जाएगी।

Haryana CM Khattar

सरकारी नौकरी की चाह में युवा न तो खुद का कोई रोजगार शुरू करने की पहल करते थे और न ही परिवार का पुश्तैनी काम अथवा खेती-बाड़ी का धंधा संभालते थे। नतीजा यह होता था कि सरकारी नौकरी चाहने वालों की लिस्ट काफी लंबी होती चली गई। जिसके पास किसी राजनेता की पर्ची यानी सिफारिश और खुद की खर्ची यानी मोटी रकम होती थी, उसे नौकरी मिल जाया करती थी।

पर्ची और खर्ची के इस बरसों पुराने सिस्टम के आगे प्रतिभा और योग्यता फेल थी। गरीब अभिभावकों और उनके बच्चों ने योग्यता के बल पर नौकरी मिलने की आस ही छोड़ दी थी। हर कोई अपना राजनीतिक कनेक्शन जोड़ने की जुगत में लगा रहता थ। घर, दुकान, जमीन और गहने बेचकर नौकरी लगने के लिए पैसे का इंतजाम करना पड़ता था। कभी-कभी तो कर्ज तक उठाना पड़ जाया करता था, लेकिन पिछले सात सालों में मनोहर लाल ने जिस तरह नौकरियों में पारदर्शिता और शुचिता को महत्व देते हुए योग्यता को सरकारी नौकरी का पैमाना माना, उससे पढ़े लिखे और गरीब लोगों में सरकार की साख तो बनी ही, साथ ही पुराने भ्रष्टाचारी सिस्टम पर कड़ी चोट होने के साथ प्रतिभावान युवाओं को नौकरियां मिलने की आस जगी है।

हरियाणा की मनोहर सरकार ने अपने सात साल के कार्यकाल में करीब 85 हजार युवाओं को सरकारी नौकरियां दी हैं। ऐसे-ऐसे युवाओं के घर में सरकारी नौकरियां गईं, जिनके माता-पिता के लिए सामान्य जीवन बसर करना भी मुश्किल था। रिक्शा चलाने वाले, रेहड़ी पर फल बेचने वाले तथा जूते-चप्पल ठीक करने वाले लोगों के घर में जब सरकारी नौकरी गई तो पूरे प्रदेश में बड़ा संदेश गया कि अब नौकरियों में पर्ची-खर्ची का सिस्टम नहीं चलता। योग्यता है तो नौकरी लगेगी। ऐसी-ऐसी लड़कियां पुलिस में भर्ती हुईं, जिन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका नंबर आ सकता है। हरियाणा लोक सेवा आयोग यानी एचसीएस से आइएएस बनाने का कोटा सिस्टम खत्म हुआ। इसमें भी योग्यता को वरीयता दी गई। एचसीएस की परीक्षा होने के कुछ घंटों बाद रिजल्ट घोषित करने का रिकार्ड भी इसी सरकार के कार्यकाल में बना। योग्यता एवं मेरिट के पैमाना बनने के बाद न केवल राजनेताओं की सिरदर्दी कम हुई है, बल्कि उनका रुतबा भी बढ़ा है। जो नेता अपनी ही सरकार में पर्ची-खर्ची तथा राजनीतिक हस्तक्षेप बंद हो जाने का विरोध किया करते थे, अब उन्होंने ही इसे सराहना शुरू कर दिया है।

Haryana CM Khattar

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दो कदम आगे बढ़ते हुए सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार के पुराने सिस्टम पर प्रहार करने जारी रखे। कई ऐसे गिरोह, जालसाज और माफिया को उजागर किया, जिनकी जड़ें हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग तथा हरियाणा लोक सेवा आयोग के साथ अन्य सरकारी दफ्तरों तक में फैली हुई थीं। पेपर लीक और नौकरी के लिए डील के कई मामलों का पर्दाफाश हुआ। सिस्टम में जमे नौकरी माफिया को जड़ से उखाड़ फेंकने का साहस मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार ने किया।

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पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला जेबीटी शिक्षक भर्ती मामले में दस साल की सजा काटकर लौटे हैं। कांग्रेस राज के दौरान ऐसे-ऐसे गांवों की सूची इस सरकार के हाथ लगी है, जहां एक ही गांव के कई-कई य़ुवा सरकारी नौकरियों में लगे। जिलों, जाति तथा क्षेत्र को ध्यान में रखकर नौकरियां दी गईं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देश पर विजिलेंस प्रमुख शत्रुजीत कपूर और सीआइडी प्रमुख आलोक मित्तल ने जिस तरह नौकरियां बेचने वाले माफिया को पकड़ा, उससे सरकार की विश्वसनीयता बढ़ी है। इससे सरकारी नौकरी हासिल करने की लाइन में लगे लाखों युवाओं को पता चला कि सिस्टम में भ्रष्टाचार किस कदर अंदर तक घुसा हुआ था।

हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के मुखिया भोपाल सिंह खदरी, तत्कालीन मुखिया भारत भूषण भारती और हरियाणा लोक सेवा आयोग के चेयरमैन आलोक कुमार वर्मा ने नौकरियों में भ्रष्टाचार के मामलों का पता चलने पर इन्हें दबाया नहीं, बल्कि उन्हें उजागर करने में सरकार की मदद की। मुख्यमंत्री मनोहर लाल चाहते तो इन मामलों को दबाया भी जा सकता था, लेकिन ऐसे मामलों को दबाने के बजाय सरकार ने बोर्ड, निगमों तथा विश्वविद्यालयों में भी कर्मचारी चयन आयोग तथा लोक सेवा आयोग के जरिये भर्तियों की नई शुरुआत की। और तो और अब अनुबंध के आधार पर होने वाली भर्तियों के लिए सरकार ने हरियाणा रोजगार कौशल निगम बना दिया है, ताकि कच्ची नौकरियों में भी राजनीतिक हस्तक्षेप खत्म हो सके और योग्य तथा वास्तविक जरूरतमंद युवाओं को प्राथमिकता के आधार पर ये कच्ची नौकरियां मिल सकें।

राजनीतिक नफे-नुकसान की परवाह किए बिना मुख्यमंत्री का यह फैसला नि:संदेह माफिया के इरादों पर तो कड़ा प्रहार है ही, साथ ही पढ़े लिखे, जरूरतमंद एवं योग्य युवाओं के लिए एक आदर्श माडल से कम नहीं है। ऐसा साहस अगर दूसरी राज्य सरकारें भी कर पाएं तो नौकरियों की शुचिता और पवित्रता बढ़ेगी ही।

English summary
Haryana CM Khattar new scheme to provide jobs for the unemployed youths
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