भाजपा वन फैमिली-वन टिकट फॉर्मूले से राजस्थान में गड़बड़ा जाएगा कई वरिष्ठ नेताओं का राजनीतिक गणित
भाजपा वन फैमिली-वन टिकट फॉर्मूले से राजस्थान में गड़बड़ा जाएगा कई वरिष्ठ नेताओं का राजनीतिक गणित
जयपुर, 13 जून। संगठन के गलियारों से सत्ता की चकाचौंध में जाने को लेकर बीजेपी में बदलाव की बयार चल रही है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हाल ही में भोपाल में कहा कि बीजेपी अपनी पार्टी में नेताओं के बच्चों को टिकट नहीं देगी. अगर बेटे को टिकट दिलाना है तो पिता को टिकट दावेदारी से हटना पड़ेगा. इसके अलावा बीजेपी 70 प्लस नेताओं को भी टिकट न देने पर विचार कर रही है. इन नए फार्मूलों से राजस्थान के कई वरिष्ठ नेताओं का राजनीतिक गणित गड़बड़ा जाएगा. इसकी जद में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी आ सकती हैं.
बीजेपी में वन फैमिली-वन टिकट का फॉर्मूला लोकसभा से लेकर निकाय सहित सभी चुनाव पर भी लागू होगा. इससे राजस्थान के दो दर्जन से ज्यादा राजनीतिक परिवारों को झटका लगा है. कई बीजेपी नेता चुनावों में बेटों-बहुओं या सगे संबंधियों को टिकट दिलाने का सपना देख रहे थे.
वन फैमिली-वन टिकट के पक्ष में बीजेपी अध्यक्ष
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक जून को मध्य प्रदेश में परिवारवाद के कॉन्सेप्ट को समझाया. नड्डा ने संकेतों में समाजवादी पार्टी पर प्रहार करते हुए कहा कि पिता अध्यक्ष, बेटा जनरल सेक्रेटरी. पार्लियामेंट्री बोर्ड में चाचा-ताया-ताई. हमारा मानना है कि यह परिवारवाद है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यूपी के कई सांसदों के बेटे राजनीति में अच्छा काम कर रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया. वहां कह दिया गया है कि नेताओं के बेटे फिलहाल संगठन के काम में लगे रहें.
मिड-डे
मील
योजना
:
एक
जुलाई
से
स्कूलों
में
बच्चों
को
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पिलाएगी
राजस्थान
की
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गहलोत
सरकार
इन संकेतों के आधार पर राजस्थान की पड़ताल करें तो कई कद्दावर सियासी परिवारों के समीकरण बदल जाएंगे. यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके बेटे सांसद दुष्यंत सिंह भी पार्टी की नई नीति में फंस सकते हैं. राजस्थान में 2023 में विधानसभा और 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. टिकट के लिए आयु सीमा और वन फैमिली-वन टिकट फॉर्मूला लागू होने के चलते कयास अभी से लगने लगे हैं कि वसुंधरा-दुष्यंत में से किसे टिकट मिलेगा. और किसका पत्ता कट सकता है. आइये जानते हैं राजस्थान के कद्दावर सियासी परिवारों की राजनीति, रणनीति, कमजोर और मजबूत पक्ष.
विधानसभा चुनाव से समय राजे हो जाएंगी 70 पार
साल 2003 में वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके बेटे दुष्यंत सिंह को वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव का टिकट मिला. इसके बाद हुए हर विधानसभा चुनाव में राजे और हर लोकसभा चुनाव में न सिर्फ दोनों को टिकट मिला, बल्कि वसुंधरा-दुष्यंत जीते भी. दुष्यंत सिंह लगातार चार बार से सांसद हैं और राजे दो बार मुख्यमंत्री रहीं.
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल के भी आड़े आएगी उम्र
अर्जुन राम मेघवाल लगातार तीन बार से लोकसभा का चुनाव जीत रहे हैं. उनके बेटे रवि मेघवाल भी राजनीति में सक्रिय हैं. हालांकि उनको पहले चुनाव में ही तेज झटका लगा और पिछला पंचायत चुनाव बुरी तरह हार गए. इससे पंचायत चुनाव जिताकर प्रमुख बनाने की योजना फेल हो गई.
शेखावत के भतीजे के बेटे की खुल सकती है लॉटरी
पूर्व उप राष्ट्रपति और राजस्थान में बीजेपी की राजनीति के सबसे कद्दावर नेता रहे भैरों सिंह शेखावत के भतीजे नरपत सिंह राजवी अभी अगला चुनाव लड़ने के मूड में है. हालांकि उम्र के बंधन में पेंच फंस सकता है. तब उनके बेटे अभिमन्यु राजवी की लॉटरी लग सकती है.
नड्डा का फार्मूला इन परिवारों पर भारी पड़ेगा
सांसद राहुल कस्वां का पूरा परिवार ही राजनीति में सक्रिय है. उनके पिता राम सिंह कस्वा पूर्व सांसद रहे हैं. राहुल कस्वां की मां कमला पूर्व विधायक और समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष रह चुकी हैं. इसके अलावा सांसद नरेंद्र खीचड़, उनकी बहु हर्षिनी कुलहरी जिला प्रमुख झुंझुनूं, बेटी नीलम नगर परिषद पार्षद, बेटा अतुल खीचड़ भी राजनीति में सक्रिय और टिकट का दावेदार है.
टिकट फाइनल करना आलाकमान का काम
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां के मुताबिक प्रदेश नेतृत्व का काम उम्मीदवारों के सीटवार पैनल बनाकर देने का होता है. विधानसभा हो या लोकसभा या फिर कोई भी और चुनाव, पार्टी में टिकट वितरण आलाकमान के निर्देशानुसार ही होता है. बीजेपी परिवारवाद को बढ़ावा नहीं देती. इसलिए पिता, पुत्र या किसी अन्य रिश्तेदार में से किसी एक जिताऊ उम्मीदवार को ही टिकट दिया जा सकता है.