झारखंड में पिछड़ों का आरक्षण कोटा बढ़ने से भाजपा-आजसू की उड़ी नींद
रांची,20 नवंबर- राजनीति में जातीय समीकरण को साधना आवश्यक है। जिस समुदाय की जितनी ज्यादा संख्या होती है, उसी मुताबिक उसे प्राथमिकता देने की परंपरा है। झारखंड भी इससे अछूता नहीं है। यहां भी विभिन्न समुदायों का समीकरण साध
रांची,20 नवंबर- राजनीति में जातीय समीकरण को साधना आवश्यक है। जिस समुदाय की जितनी ज्यादा संख्या होती है, उसी मुताबिक उसे प्राथमिकता देने की परंपरा है। झारखंड भी इससे अछूता नहीं है। यहां भी विभिन्न समुदायों का समीकरण साधने में सभी दलों के बीच जोर-आजमाइश चल रही है। फिलहाल इसमें सत्तारूढ़ झामुमाे-कांग्रेस-राजद गठबंधन आगे निकलता दिख रहा है। आदिवासी केंद्रित राजनीति को विस्तार देते हुए सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पिछड़ा वर्ग के आरक्षण प्रतिशत को 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की अनुशंसा संबंधित विधेयक विधानसभा से पारित किया है।
भाजपा
ने
पिछड़ों
का
आरक्षण
घटाया
था:
झामुमो-कांग्रेस
पिछड़े
वर्गों
के
संगठनों
की
यह
पुरानी
मांग
है।
इन
संगठनों
का
दावा
है
कि
झारखंड
में
पिछड़ा
वर्ग
की
आबादी
55
प्रतिशत
है।
इसी
मुकाबले
इस
समुदाय
को
आरक्षण
मिलना
चाहिए।
इसके
अलावा
राज्य
पिछड़ा
वर्ग
आयोग
ने
भी
आरक्षण
बढ़ाने
की
सिफारिश
झारखंड
सरकार
से
की
थी।
आयोग
ने
पिछड़ा
वर्ग
का
आरक्षण
36
प्रतिशत
से
50
प्रतिशत
तक
करने
की
अनुशंसा
की
थी।
बहरहाल
हेमंत
सोरेन
सरकार
ने
आरक्षण
बढ़ाने
संबंधी
विधेयक
को
पारित
किया
है।
इसके
तहत
पिछड़े
वर्ग
की
अनुसूची
एक
में
शामिल
जातियों
को
15
प्रतिशत
और
अनुसूची
दो
में
शामिल
जातियों
को
12
प्रतिशत
आरक्षण
का
प्रविधान
किया
गया
है।
सत्तारूढ़
गठबंधन
ने
यह
भी
आरोप
लगाया
कि
पूर्ववर्ती
भाजपा
सरकार
ने
पिछड़ों
का
आरक्षण
प्रतिशत
घटाया
था।
अब
इसे
लेकर
पक्ष
और
विपक्ष
में
रस्साकशी
तेज
होगी।
सरकार
के
फैसले
से
भाजपा
व
आजसू
खेमे
में
हलचल
झारखंड
सरकार
के
फैसले
से
मुख्य
विरोधी
दल
भाजपा
और
उसकी
सहयोगी
आजसू
पार्टी
में
हलचल
है।
दोनों
दलों
ने
बगैर
पिछड़ा
वर्ग
को
आरक्षण
के
स्थानीय
निकाय
चुनाव
कराने
की
राज्य
सरकार
की
घोषणा
को
एजेंडा
बनाया
है।
उल्लेखनीय
है
कि
राज्य
में
बगैर
पिछड़ा
वर्ग
आरक्षण
के
स्थानीय
निकाय
का
चुनाव
होगा।
इससे
पूर्व
पंचायत
चुनाव
में
भी
पिछड़ा
वर्ग
को
आरक्षण
नहीं
मिला
था।
भाजपा
की
सहयोगी
आजसू
पार्टी
इससे
एक
कदम
आगे
बढ़
गई
है।
आजसू
पार्टी
के
अध्यक्ष
सुदेश
महतो
ने
राज्य
में
जातीय
जनगणना
की
मांग
उठाई
है।
वे
इसे
लेकर
राज्यव्यापी
अभियान
भी
चला
रहा
है।
आजसू
पार्टी
लगातार
इसे
लेकर
विभिन्न
क्षेत्रों
में
सम्मेलन
का
भी
आयोजन
कर
रही
है।