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Vaikuntha Chaturdashi 2022: बैकुंठ चतुर्दशी आज, जानिए कथा और महत्व

By Gajendra Sharma
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Vaikuntha Chaturdashi 2022: आज कार्तिक शुक्ल की बैकुंठ चतुर्दशी है। आज भगवान विष्णु अर्थात हरि और भगवान शिव अर्थात् हर के मिलन का दिन है। चातुर्मास में भगवान विष्णु के योगनिद्रा में चले जाने के कारण सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव के पास होता है। इसके बाद देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं। तब चतुर्दशी के दिन बैकुंठ के द्वार खुलते हैं और भगवान शिव सृष्टि का कार्यभार पुन: विष्णुजी को सौंपने बैकुंठ जाते हैं। इसी उपलक्ष्य में बैकुंठ चतुर्दशी मनाई जाती है।

Vaikuntha Chaturdashi 2022

इस मौके पर मंदिरों में विशेष अनुष्ठान संपन्न किए जाते हैं। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु और शिव दोनों की पूजा की जाती है। बैकुंठ चतुर्दशी के दिन निशिथकाल में हरि और हर का मिलन करवाया जाता है। मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल ज्योतिर्लिग में इस रात्रि में विशेष अनुष्ठान संपन्न होता है।

बैकुंठ चतुर्दशी की कथा

एक बार नारदजी पृथ्वीलोक का भ्रमण करके बैकुंठ में भगवान विष्णु के पास पहुंचे। विष्णुजी ने नारदजी से आने का कारण पूछा। नारदजी ने कहा- हे भगवन! आपको पृथ्वीवासी कृपानिधान कहते हैं किंतु उससे तो केवल आपके प्रिय भक्त ही तर पाते हैं। साधारण नर-नारी नहीं। इसलिए कोई ऐसा उपाय बताइए जिससे साधारण नर-नारी भी आपकी कृपा के पात्र बन जाएं। इस पर भगवान बोले- हे नारद! कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को जो नर-नारी व्रत का पालन करते हुए भक्तिपूर्वक मेरी पूजा करेंगे उनको स्वर्ग प्राप्त होगा। इसके बाद भगवान विष्णु ने जय-विजय को बुलाकर आदेश दिया किकार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को बैकुंठ के दरवाजे खुले रखे जाएं। भगवान ने यह भी बताया किइस दिन जो मनुष्य किंचित मात्र भी मेरा नाम लेकर पूजा करेगा उसे बैकुंठधाम प्राप्त होगा।

बैकुंठ चतुर्दशी का महाउपाय

सुख समृद्धि, धन-धान्य, स्वर्णाभूषण, सुख-शांति, पारिवारिक प्रेम की प्राप्ति के लिए बैकुंठ चतुर्दशी के दिन एक महाउपाय सभी को अवश्य करना चाहिए। इस दिन सायंकाल के समय घर के पूजा स्थान में एक चौकी पर थोड़े से अक्षत की ढेरी लगाकर इसके मध्य में एक मिट्टी का दीपक रखें। इस दीपक में चार बातियां और शुद्ध घी डालकर प्रज्जवलित करें। प्रज्वलित करने से पहले दीपक का पूजन करें। इसके सामने बैठकर विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें। या ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र की 11 माला स्फटिक की माला से करें। दीपक पूर्ण हो जाने के बाद चावल की ढेरी में से थोड़े से चावल एक लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें। शेष चावल जल में प्रवाहित कर दें।

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English summary
Vaikuntha or Baikunth Chaturdashi on 6th November. here is Puja Vidhi, Katha and Significance.
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