Culture: कान के झूमके केवल दिल नहीं चुराते बल्कि हेल्दी भी रखते हैं...
नई दिल्ली। कर्णफूल यानी की 'ईयर रिंग' जिसे पहन कर हर महिला इतराती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये केवल सजावट या श्रृंगार की वस्तु नहीं बल्कि इसका वैज्ञानिक लाभ भी है। कहते हैं कि कान की नसें स्त्री की नाभि से लेकर पैर के तलवे तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इससे उसकी सहिष्णुता निर्धारित होती है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि कान और नाक में छिद्र ना होने पर स्त्री के लिए प्रसव पीड़ा सहन करना अत्यंत कठिन हो जाती है। वक्त ने आज कर्णफूल के रूप-रंग को बदल दिया है, आज कर्णफूल के रूप में मार्केट में कई इयर रिंग अलग-अलग तरह से मौजूद है जिनकी मांग बहुत ज्य़ादा है। कान के बाहरी भाग में एक्यूप्रेशर प्वाइंट होता है और झूमके या टॉप्स पहनने से उस प्वाइंट पर दवाब पड़ता है, जिससे कि महिला की किडनी स्वस्थ रहती है।
ये वो ही कर्णफूल हैं जो हमारे साहित्यकारों का मनपसंद विषय है। उन्होंने नारी के झुमकों में ऐसी रचनाएं लिखी हैं जिन्हे पढ़कर और सुनकर आज भी लोग रोमांचित हो जाते हैं। वाकई में कान के श्रृंगार के बिना नारी की सजावट फीकी है। यही नहीं, कहा जाता है कि कान के निचले हिस्से में एक प्वाइंट होता है, जो मस्तिष्क के बाएं और दाएं गोलार्द्ध से जुड़ा होता है, जब इसके बीच में छेद होता है तो दिमाग बढ़ता है और इसी कारण सदियों से लड़कियों के कान छिदवाने की परंपरा चली आ रही है। वैसे अब तो डॉक्टर्स भी कहते हैं कि कान छेदने से इंसान का स्ट्रेस कम होता है।
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