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Som Pradosh Vrat June 2021: सोम प्रदोष व्रत आज, जानिए महत्व और पूजा विधि

By गजेंद्र शर्मा
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नई दिल्ली, 7 जून। पवित्र ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में सोम प्रदोष का शुभ संयोग 7 जून 2021 को बन रहा है। भरणी नक्षत्र में आ रहा प्रदोष व्रत करने से भगवान भोलेनाथ आपके सारे संकटों का नाश करेंगे और सुख-समृद्धि प्रदान करेंगे। इसी दिन सायंकाल 5.01 बजे ठीक प्रदोषकाल में धन-संपत्ति का प्रतिनिधि ग्रह मंगल पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेगा जो सुख संपत्ति में वृद्धिकारक सिद्ध होगा।

सोम प्रदोष व्रत आज, जानिए महत्व और पूजा विधि

प्रदोष का अर्थ है सायंकाल और रात्रि के मध्य का समय। प्रदोष व्रत में शिवजी का पूजन इसी समय किया जाता है। सामान्यत: प्रदोषकाल सूर्यास्त के एक घंटे बाद तक का माना जाता है। प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को किया जाता है। व्रत का मुख्य उद्देश्य संकटों का नाश, उत्तम संतान सुख की प्राप्ति और संपत्ति धन आदि की प्राप्ति है। इस व्रत को स्त्री-पुरुष दोनों ही कर सकते हैं और इसके उपास्य देव भगवान शंकर है।

सोम प्रदोष विशेष फलदायी होता है

सायंकाल को व्रत करने वालों को शिव शंकर की पूजा करके फलाहार लेना चाहिए। कृष्ण पक्ष का शनि और सोम प्रदोष विशेष फलदायी होता है और इस बार 7 जून को सोम प्रदोष का संयोग बना है। शिवजी का दिन भी सोमवार ही है इसलिए यह सोम प्रदोष व्रत करने वालों के जीवन से सारे संकटों का नाश कर देगा।

सोम प्रदोष की कथा

प्राचीन काल में एक स्त्री विधवा हो गई। वह किसी तरह अपना तथा अपने पुत्र का जीवन निर्वाह करती थी। वह काम की तलाश में प्रात: अपने पुत्र को लेकर निकलती और रात्रि में घर लौटती थी। दिन में जो भी छोटा मोटा काम के बदले पैसा भोजन मिलता उसी से उन दोनों का जीवन चलता था। एक दिन उस स्त्री को विदर्भ देश का राजकुमार मिला जो अपने पिता की मृत्यु के कारण इधर-उधर मारा-मारा फिर रहा था। स्त्री को राजकुमार पर दया आ गई और उसे अपने साथ घर ले आई। उसने उसे पुत्रवत पाला।

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राजकुमार अंशुमति नामक गंधर्व कन्या से बात करने लगा

एक दिन वह दोनों बालकों को लेकर शांडिल्य ऋषि के आश्रम में गई। ऋषि से भगवान शंकर के पूजन की विधि जानकर वह प्रदोष व्रत करने लगी। एक दिन दोनों बालक वन में घूम रहे थे। उन्होंने वहां गंधर्व कन्याओं को क्रीड़ा करते हुए देखा। स्त्री का बालक को अपने घर लौट आया किंतु राजकुमार अंशुमति नामक गंधर्व कन्या से बात करने लगा। वह देर से घर लौटा। दूसरे दिन भी उसी स्थान पर राजकुमार पहुंच गया। अंशुमति अपने माता-पिता के साथ बैठी हुई थी। माता-पिता ने राजकुमार से कहा किभगवान शंकर की आज्ञा से अंशुमति के साथ तुम्हारा विवाह कर देंगे। राजकुमार विवाह के लिए तैयार हो गया। दोनों का विवाह हो गया। उसने गंधर्व राजा विद्रविक की विशाल सेना लेकर विदर्भ पर अधिकार कर लिया। उसने उस स्त्री और उसके पुत्र को महल में आदर के साथ रखा। प्रदोष व्रत के प्रभाव से ही राजकुमार और उस स्त्री के संकट दूर हुए।

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English summary
Today is Som Pradosh Vrat, here is Importance, Puja Vidhi and shubh muhurat and katha.
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