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शनि जयंती पर बना भावुका, सोमवती अमावस्या का संयोग, वटसावित्री अमावस्या भी इसी दिन

By Gajendra Sharma
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नई दिल्ली, 27 मई। ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन शनिदेव की जयंती मनाई जाती है। इस दिन भावुका अमावस्या और वटसावित्री अमावस्या व्रत भी किया जाता है। 30 मई 2022 को सोमवार होने के कारण सोमवती अमावस्या का भी विशेष संयोग बना है। साथ ही इस पूरे दिन सर्वार्थसिद्धि योग होने से यह दिन विशिष्ट बन गया है।

शनि जयंती पर बना भावुका, सोमवती अमावस्या का संयोग, वटसावित्री अमावस्या भी इसी दिन

जिन लोगों को शनि की साढ़ेसाती, ढैया, महादशा, अंतर्दशा आदि चल रही हो वे इस दिन शनि देव की मूर्ति पूजा, शनि मंत्रों का जप, होम, शनि स्तोत्र, शनि कवच का पाठ करें और शनि से जुड़ी वस्तुओं का दान करें। शनि जयंती के दिन सोमवार, कृतिका नक्षत्र, सुकृति योग, नाग करण रहेगा। इस दिन सूर्य और चंद्र दोनों वृषभ राशि में रहंगे। वृषभ राशि में सूर्य, चंद्र, बुध की युति होने से विशिष्ट योग बना है।

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शनि पूजन में उपयोगी वस्तुएं

शनैश्चर जयंती के दिन नवग्रहों में न्यायाधिपति और देवता का दर्जा प्राप्त शनिदेव का विशेष पूजन किया जाता है। इस दिन शनि मंदिर में शनिदेव का तैलाभिषेक करें। काले तिल, काले उड़द, लोहा, काले कपड़े और सरसों या तिल का तेल शनि देव को अर्पित करें। नीले पुष्प अर्पित करें और तिल से बनी मिठाइयों का नैवेद्य लगाएं। मंदिर में ही बैठकर शनि स्तोत्र या शनि शांति मंत्रों का जाप करें। इस दिन शनि मंदिर के बाहर बैठे भिखारियों को उड़द से बनी मिठाई जैसे इमरती, उड़द के लड्डू आदि अवश्य खिलाएं। इससे शनिदेव प्रसन्न होंगे और इच्छित वर प्रदान करेंगे।

साढ़ेसाती और ढैया वाले क्या करें

  • इस समय शनि का गोचर स्वराशि कुंभ में चल रहा है। मकर राशि पर साढ़ेसाती का अंतिम ढैया, कुंभ पर द्वितीय और मीन राशि पर प्रथम ढैया चल रहा है। इसके अलावा लघुकल्याणी ढैया कर्क और वृश्चिक राशि पर चल रहा है। इसलिए इन पांचों राशि के जातकों को शनि की शांति के विशेष प्रयास करने चाहिए।
  • मकर, कुंभ, मीन, कर्क और वृश्चिक राशि वाले जातक शनि जयंती के दिन शनिदेव का तिल के तेल से अभिषेक करें या पंडित से करवाएं। इसके बाद शनि शांति मंत्रों से हवन करवाएं। गरीबों, दिव्यांगों, अनाथों को भोजन करवाएं।
  • शनि मंत्र ऊं शं शनैश्चराय नम: का जाप करते हुए पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा करें। पीपल के पेड़ में मीठा दूध अर्पित करें और उसके नीचे बैठकर शनि स्तवराज का पाठ करें।
  • शनि अमावस्या के दिन हनुमान चालीसा या हनुमान बाहु अष्टक का पाठ करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
  • शनि जयंती की रात्रि में 10 से 12 बजे से मध्य पीपल के पेड़ के नीचे आटे के 27 दीपक प्रज्वलित करें। दीपक बनाने के लिए आटा गूंथते समय उसमें नमक न डालें। साथ ही तिल का तेल और तिल्ली के दानें आटे में डालें। दीपक में तिल्ली का तेल भरकर प्रज्वलित करें।
  • इस बार सोमवती अमावस्या भी है इसलिए भगवान शिव का अभिषेक पूजन करने से कष्टों से मुक्ति मिलेगी।
  • कालसर्प दोष, नाग दोष, चंद्र-सूर्य ग्रहण दोष, पितृ दोष वाले जातक इस दिन रुद्राभिषेक करवाएं।
  • जन्म कुंडली में राहु-केतु पीड़ाकारी हैं तो किसी सपेरे से लेकर सर्प को जंगल में मुक्त करवाएं।

अन्य राशि के जातक क्या करें

उपरोक्त पांच राशि को छोड़कर बाकी सात राशि के जातक भी शनिदेव का पूजन, अभिषेक अपनी इच्छित कामना की पूर्ति के लिए करें। शनि मंत्रों का जाप करके यथाशक्ति गरीबों को भोजन करवाएं, वस्त्र भेंट करें।

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English summary
Shani Jayanti, Somvati Amavasya, Vatsavitri Amavasya on 30th May, due to the presence of Sarvarthasiddhi Yoga this day has become special. read deatils here.
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