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Papmochani Ekadashi 2020: अनजाने में किए पापों का नाश करती है पापमोचनी एकादशी

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। चैत्र माह के कृष्णपक्ष में आने वाली एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहा जाता है। इस बार यह एकादशी 19 मार्च 2020 को आ रही है। इस एकादशी का व्रत करने से समस्त पापों का नाश होता है और व्रती के मोक्ष का द्वार खुलता है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। पंचांग भेद के कारण कुछ जगह यह एकादशी 20 मार्च को बताई गई है, लेकिन 19 को करना शास्त्र सम्मत रहेगा।

एकादशी की कथा

एकादशी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार चैत्ररथ नामक एक सुंदर वन में ऋषि च्यवन के पुत्र ऋषि मेधावी तपस्या कर रहे थे। एक दिन वन में मंजुघोषा नामक अप्सरा की नजर ऋषि पर पड़ी तो वह उन पर मोहित हो गई और उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करने लगी। उसी समय वहां से कामदेव गुजर रहे थे, तो अप्सरा की मंशा भांपकर उसकी सहायता करने लगे। कामदेव की मदद से अप्सरा अपने यत्न में सफल हुई और ऋषि काम पीडि़त हो गए। काम के वश में ऋषि शिव की तपस्या भूल गए और अप्सरा के साथ रमण करने लगे। कई वर्षों बाद जब उनकी चेतना जागी तो उन्हें भान हुआ कि वह शिव की तपस्या करना भूल गए हैं। उन्हें अप्सरा पर बहुत क्रोध आया और अप्सरा को पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया। दुखी अप्सरा ऋषि के पैरों में गिरकर श्राप मुक्ति की विनती करने लगी, अप्सरा की याचना से द्रवित होकर ऋषि मेधावी ने उसे विधि सहित चैत्र कृष्ण एकादशी का व्रत करने के लिए कहा और स्वयं के पापों का नाश करने के लिए ऋषि ने भी इस एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से दोनों का पाप नष्ट हुआ। अप्सरा पिशाचिनी के श्राप से मुक्त हुई और उसे पुनः सुंदर रूप प्राप्त हुआ।

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व्रत विधि

व्रत विधि

पाप मोचनी एकादशी के संबंध में भविष्योत्तर पुराण में कहा गया है कि इस दिन भगवान विष्णु की षोडशोपचार पूजा करना चाहिए। व्रती दशमी तिथि के दिन एक बाद सात्विक भोजन करे। एकादशी के दिन सूर्योदय पूर्व उठकर स्नान करे और व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करे। पूजा के बाद एकादशी की कथा का श्रवण या पठन करे। भागवत कथा का पाठ भी करे। इस दिन निराहार रहते हुए रात्रि जागरण करे और भगवान के भजन, मंत्रों का जाप करें। द्वादशी के दिन प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु का पूजन कर ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें और व्रत खोलें। इस एकादशी के दिन चारोली का फलाहार किया जाता है।

पापमोचनी एकादशी का फल

पापमोचनी एकादशी का फल

  • पापमोचनी एकादशी व्रत के प्रभाव से व्यक्ति अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति पा लेता है।
  • इस व्रत के प्रभाव से व्रती को मृत्यु के पश्चात बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है।
  • इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के बंधनों से मुक्ति मिल जाती है।
  • गृहस्थ जीवन में रहते हुए यदि पति-पत्नी इस व्रत को करे तो उनके दांपत्य जीवन में सुख व्याप्त होता है।
  • धन-संपत्ति, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

एकादशी तिथि कब से कब तक

  • एकादशी प्रारंभ 18 मार्च को मध्यरात्रि के बाद तड़के 4.24 बजे से
  • एकादशी पूर्ण 19 मार्च को मध्यरात्रि के बाद प्रातः 5.58 बजे तक

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English summary
Papmochani Ekadashi is observed during Krishna Paksha of Chaitra month according to North Indian Purnimant calendar and Krishna Paksha of Phalguna month according to South Indian Amavasyant calendar.
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