Motivational Story: पत्नी होती है घर की लक्ष्मी, जो बदल देती है घर का भाग्य
नई दिल्ली। हर परिवार का आधार होती है महिला। विशेष रूप से पत्नी की भूमिका में वह अपने घर को सजाने- संवारने में, घर के प्रत्येक सदस्य की जरूरतें उसकी इच्छानुसार पूरी करने में अपना पूरा जीवन लगा देती है। इस पूरी दौड़ भाग को आमतौर पर महत्व नहीं दिया जाता। सब मान कर चलते हैं कि स्त्री का काम ही यही है।
लेकिन सच्चाई तो यह है कि एक मकान को अपनी चतुराई, अपनी मेहनत और अपने जतन से स्त्री घर बना देती है। सही मायनों में कहा जाए तो स्त्री घर का भाग्य बना देती है।
कैसे, एक रोचक कथा के माध्यम से जानते हैं
किसी गांव में सात भाई रहते थे। माता- पिता का देहांत हो चुका था। सातों भाई कंगाली में जीवन काट रहे थे। वे रोज जमींदार के खेतों में काम करने जाते और शाम को मजदूरी में एक-एक किलो चने लेकर आते। घर आकर वे चने सेकते और खाकर सो जाते। गांव के मंदिर के पंडित जी से उनकी दशा देखी ना गई। उन्होंने एक दिन बड़े भाई से कहा कि तुम्हारा विवाह तो हो चुका है। बहू का गौना क्यों नहीं करा लाते? भाई ने कहा कि पंडित जी! खुद के खाने के तो ठिकाने नहीं हैं, उसे कहां से खिलाएंगे? पंडित जी ने कहा- बेटा, स्त्री के हाथ में पुरुष का भाग्य होता है। क्या पता, उसके पैर पड़ते ही तुम्हारे दिन भी फिर जाएं। पंडित जी की बात पर सातों भाइयों ने विचार- विमर्श किया और दूसरे दिन बड़ा भाई अपनी पत्नी को लेकर आ गया। पत्नी को कोठरी में छोड़ वह जमींदार के यहां काम करने चला गया।
नई बहू ने पूरा घर साफ-सुथरा कर दिया
नई-नवेली पत्नी ने घर की दशा देखी। पड़ोसन उसे अपने यहां ले गई, प्रेम से भोजन कराया और भाइयों के जीवन का सारा हाल सुनाया। वापस आकर नई बहू ने झाड़ू उठाई और पूरा घर साफ-सुथरा कर दिया। शाम को सब भाई चने लेकर लौटे, तो बहू सब चने लेकर पड़ोसन के घर चली गई। वहां आधे चने बेचकर उसने तेल, मसाले और गुड़ ले लिया, वहीं चक्की में चने पीस लिए और घंटे भर में रोटी, चने की दाल और गुड़ की पत्तल सातों भाइयों के सामने परोस दी। सब भाइयों की आंखें फटी रह गईं। ऐसा भोजन अपने घर में उन्होंने कभी ना किया था। दूसरे दिन भाई काम पर चले, तो भाभी ने सबको रात की बची एक-एक रोटी नाश्ते में परोसी। जीवन में पहली बार वे नाश्ता करके घर से निकले।
रोज मजदूरी में अनाज बदल-बदल कर लाएं
दूसरे दिन सातों भाइयों को पहली बार जल्दी घर पहुंचने की उमंग उठी। जल्दी-जल्दी काम निपटा कर वे चने लेकर घर पहुंचे और फिर स्वादिष्ट भोजन पाया। आज बहू ने अनाज रखने के कई कोठे भी बना लिए थे और सभी भाइयों से कहा कि रोज मजदूरी में अनाज बदल-बदल कर लाएं। देखते ही देखते घर हर तरह के अनाज से भर गया। अब अतिरिक्त अनाज बेचकर नए बर्तन और बारी-बारी से सबके नए कपड़े भी आ गए। दो महीने के अंदर सारे घर की दशा बदल गई।
स्त्री ही घर का भाग्य बदल सकती है
एक दिन पंडित जी उनके घर के सामने से निकले, तो भाइयों ने उनका आशीर्वाद लिया। पंडित जी ने मुस्कुराकर कहा- कहा था ना मैंने। स्त्री ही घर का भाग्य बदल सकती है क्योंकि वही घर की लक्ष्मी होती है। सभी भाइयों ने हाथ जोड़ लिए और कहा कि आपने और इस लक्ष्मी बहू ने हमारा जीवन बदल दिया।
शिक्षा
तो देखा साथियों, घर सजाने का, संग्रह का गुण स्त्री में ईश्वर प्रदत्त होता है। स्त्री जहां जाती है, वहां बसाहट लाती है, सजावट लाती है और लाती है जीवन की सारी खुशियां। इसीलिए अपने घर की स्त्री का सम्मान करें क्योंकि वही होती है आपके जीवन का, घर का आधार।
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