Jyestha Amavasya 2023: इस अमावस्या पर करें धन की तंगी दूर करने वाले ये चमत्कारी उपाय
Jyestha Amavasya 2023: सभी दोषों में भी कोई भी दोष होने पर मनुष्य का जीवन नर्क के समान बन जाता है। तर्पण आदि करने से इन दोषों की शांति होती है।
Jyestha Amavasya on 19th May 2023: वर्ष की समस्त अमावस्या में ज्येष्ठ अमावस्या को बड़ी अमावस्या कहा गया है। इस अमावस्या के दिन शनि जयंती और वटसावित्री व्रत किया जाता है। इस बड़ी अमावस्या के दिन अनेक उपाय किए जाते हैं जो धन की वर्षा करवाकर जीवन को सुखों से भर देते हैं। 19 मई को आ रही ज्येष्ठ अमावस्या के दिन अपनी आवश्यकता और कामना के अनुसार ये विशिष्ट उपाय कीजिए, फिर देखिए क्या बदलाव आता है आपके जीवन में। ये सारे उपाय अलग-अलग ग्रंथों से लिए गए हैं। इनमें कुछ ज्योतिषीय उपाय हैं तो कुछ वेदोक्त और पुराणोक्त उपाय हैं।
रोग एवं शत्रु नाश के लिए
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन रोगों और अपने शत्रुओं को परास्त करने के लिए यह उपाय कीजिए। आज किसी हनुमान मंदिर में जाएं। हनुमानजी के गदा से थोड़ा सिंदूर लेकर पांच पीपल के पत्तों पर सिंदूर से हं लिखें और उसके नीचे शत्रु का नाम लिखें। इन पांचों पत्तों को किसी निर्जन स्थान, जंगल आदि में किसी पेड़ के नीचे एक फीट गहरा गड्ढा खोदकर उसमें डालकर मिट्टी से गड्ढा भर दें। चुपचाप चले आएं और पीछे मुड़कर न देखें। वापस आते समय कुछ हलचल, आवाज अनुभव हो तो भी पीछे न मुड़ें। यदि रोगी का रोग ठीक करना चाहते हैं तो पीपल के पांच पत्ते लेकर उन पर सिंदूर से ऊपर हं लिखें और नीचे रोगी का नाम लिखकर इन पत्तों को बहते पानी में बहाकर पीछे मुड़े बिना घर आ जाएं।
धन तंगी दूर करने के लिए
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन दोपहर 12 बजे से पूर्व पीपल के पेड़ की 54 परिक्रमा करते हुए पानी में कच्चा मीठा दूध मिलाकर अर्पित करें। इस दौरान ऊं नमो भगवते वासुदेवाय या कृं कृष्णाय नम: मंत्र का मानसिक जाप करते रहें। 54 परिक्रमा पूरी होने के बाद वहीं बैठकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। फिर सूर्यास्त के बाद उसी पीपल के पेड़ के नीचे उड़द के आटे के सात दीपक बनाकर उनमें तिल का तेल भरकर प्रज्जवलित करें। इस प्रयोग से धन तंगी दूर होगी।
पितृदोष, कालसर्प दोष, नागदोष की शांति के लिए
अमावस्या का दिन पितरों को प्रसन्न करने का दिन होता है। इस दिन पितृदोष, कालसर्प दोष, नाग दोष, ग्रहण दोष, विष दोष दूर करने के लिए पितृ पूजा करें। किसी पवित्र नदी या कुएं-बावड़ी के किनारे किसी पुराहित से पितरों की शांति के निमित्त पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध करवाएं। गायों को हरा चारा खिलाएं। ब्राह्मणों को भोजन करवाएं, उचित दान-दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
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