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इस साल अलग-अलग दिन मनेगी परशुराम जन्मोत्सव और अक्षय तृतीया

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। प्रत्येक वर्ष परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया एक ही दिन मनाई जाती है, लेकिन इस बार ये दोनों पर्व अलग-अलग दिन मनाए जाएंगे। ऐसा इन पर्वों को मनाने के लिए आवश्यक नक्षत्र और तिथियों का अलग-अलग दिन आने के कारण है। परशुराम जयंती 25 अप्रैल को और अक्षय तृतीया इस वर्ष 26 अप्रैल को मनाई जाएगी। हालांकि इन दोनों पर्वों को एक ही दिन मनाने की पारंपरिक मान्यता के चलते कई जगह दोनों पर्व 26 अप्रैल को ही मनाए जाएंगे।

क्यों बनी ऐसी स्थिति

क्यों बनी ऐसी स्थिति

भगवान परशुराम का जन्म वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में रात्रि के प्रथम प्रहर में उच्च के छह ग्रहों से युक्त मिथुन राशि पर राहु के स्थित होने पर हुआ था। रात्रि का प्रथम प्रहर प्रदोषकाल का समय होता है, यानी परशुराम का जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन प्रदोषकाल में हुआ था। इसलिए जन्म समय प्रदोष काल ही लेना शास्त्र सम्मत है। 25 अप्रैल को द्वितीया तिथि प्रातः 11.52 बजे तक रहेगी, उसके बाद तृतीया तिथि प्रारंभ होगी जो 26 अप्रैल को दोपहर 1.24 बजे तक रहेगी। इस प्रकार तृतीया तिथि में प्रदोषकाल 25 अप्रैल को ही रहेगा। इसलिए भगवान परशुराम का जन्मोत्सव 25 अप्रैल को ही मनाना शास्त्र सम्मत है। इसके अलावा अक्षय तृतीया उदयव्यापिनी लेना उचित होगा, जो 26 अप्रैल को रहेगी। इसलिए स्वयंसिद्ध मुहूर्त 26 अप्रैल को रहेगा।

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क्यों खास है अक्षय तृतीया

क्यों खास है अक्षय तृतीया

  • अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना जाता है। इस दिन किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं है।
  • अक्षय तृतीया के दिन जल से भरे नए घड़े के मुंह पर आम के पत्ते लगाकर, उस पर खरबूजा रखकर पूजा की जाती है, जिसे अक्षय पात्र कहा जाता है। इस पात्र को किसी ब्राह्मण को दान किया जाता है या मंदिर में अर्पित किया जाता है।
  • अक्षय तृतीया के दिन गन्ने के रस से बने पदार्थ, दही, चावल, दूध से बने व्यंजन, खरबूजे का भोग भगवान को लगाया जाता है।
किसानों के लिए यह नए वर्ष का प्रारंभ होता है...

किसानों के लिए यह नए वर्ष का प्रारंभ होता है...

  • किसानों के लिए यह नए वर्ष का प्रारंभ होता है। इस दिन से वे कृषि कार्य का प्रारंभ करते हैं।
  • इस दिन से बद्रिकाश्रम में मंदिर के पट खुलते है। इसलिए इस दिन भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा की जाती है।
  • इस दिन दान का बड़ा महत्व है। किसी गरीब या जरूरतमंद को भोजन, अन्न का दान करना चाहिए। गौ को घास डालें।
  • भगवान परशुराम जन्मोत्सव ब्राह्मणों का विशेष पर्व है। इस दिन शोभायात्राएं निकाली जाती हैं। लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते घरों में ही आयोजन होंगे।
  • अक्षय तृतीया के दिन बड़ी संख्या में विवाह आयोजन होते हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते विवाह समारोह स्थगित रहेंगे।
  • अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण खरीदने और पूजा करने का विशेष महत्व होता है, इससे अक्षय समृद्धि बनी रहती है।

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English summary
Parshuram Jayanti 2020 on 25th april and Akshay Tritiya 2020 on 26th april 2020, here is Importance and Puja Vidhi.
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