Adhik Maas Purnima 2020: जानिए लक्ष्मीनारायण व्रत का मुहूर्त और पूजा विधि
नई दिल्ली। आश्विन अधिकमास की पूर्णिमा 1 अक्टूबर 2020 को आ रही है। अधिकमास, पुरुषोत्तम मास या मलमास की पूर्णिमा अत्यंत विशेष होती है। इस दिन लक्ष्मीनारायण व्रत किया जाता है। शास्त्रीय मान्यता है कि यह व्रत करने से समस्त सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। धन, संपत्ति, सुख, वैभव में वृद्धि की जा सकती है। इस व्रत के प्रभाव को यदि कुंवारी कन्याएं करें तो उन्हें सुयोग्य वर प्राप्त होता है और यदि युवक करें तो उन्हें सुशील पत्नी प्राप्त होती है। यह ऐसा व्रत है जिसे करने से धनवान बनने से आपको कोई नहीं रोक सकता। इस बार अधिकमास की पूर्णिमा के दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहा है। 1 अक्टूबर को पूर्णिमा तिथि अर्धरात्रि के बाद तक रहेगी। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में वृद्धि योग और सर्वार्थसिद्धि योग और गुरुवार के संयोग ने इसे और भी प्रभावशाली बना दिया है।
लक्ष्मीनारायण व्रत काफी महत्वपूर्ण है
लक्ष्मीनारायण व्रत को पूरा परिवार करे तो ज्यादा शुभ और प्रभावी होता है। पूर्णिमा के दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व पूरा परिवार जाग जाए। घर में झाड़ू-पोछा करके सभी लोग स्नान करें। उगते सूर्य को जल का अर्घ्य दे। इसके बाद अपने पूजा स्थान को साफ-स्वच्छ करके पहले दैनिक पूजा संपन्न करें और फिर भगवान लक्ष्मीनारायण के सामने हाथ में अक्षत, जल, पूजा की सुपारी और जल लेकर व्रत का संकल्प लें। यदि किसी विशेष कामना की पूर्ति से आप यह व्रत कर रहे हैं तो उस कामना के पूरे होने की विनती भगवान से करें। इसके बाद दोपहर में 12 बजे से पहले मुहूर्त में पूजा करें।
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एक चौकी पर आधा लाल और आधा पीला कपड़ा बिछाएं
इसके लिए पूजा स्थान में पूर्वाभिमुख होकर बैठें। एक चौकी पर आधा लाल और आधा पीला कपड़ा बिछाएं। कपड़ा बिलकुल नया और कोरा होना चाहिए। पीला कपड़ा दाहिनी ओर तथा लाल कपड़ा बायीं ओर बिछाना है। इसके बाद लाल कपड़े पर मां लक्ष्मी और पीले कपड़े पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। एक ही तस्वीर में दोनों हो तो उसे कपड़े के मध्य में रखें। अब कुमकुम, हल्दी, अक्षत, रौली, चंदन, अष्टगंध से पूजन करें। सुगंधित पीले और लाल पुष्पों से बनी माला पहनाएं। मां लक्ष्मी को कमल का पुष्प अर्पित करें। सुहाग की समस्त सामग्री भेंट करें। मखाने की खीर और शुद्ध घी से बने मिष्ठान्न का नैवेद्य लगाएं। लक्ष्मीनारायण व्रत की कथा सुनें। इस पूरे दिन व्रत रखें। क्षमतानुसार फलाहार कर सकते हैं। रात्रि में पूर्णिमा के चांद का दर्शन पूजन करें। दूसरे दिन ब्राह्मण दंपती को भोजन करवाकर यथाशक्ति दान-दक्षिणा देकर अपना व्रत खोलें।
व्रत के लाभ
- अधिकमास की पूर्णिमा का व्रत सुख-सौभाग्य में वृद्धि करता है।
- धन प्राप्ति की कामना से किया जाए तो वह अवश्य पूरी होती है।
- अविवाहित कन्या या युवक व्रत करें तो उन्हें योग्य जीवनसाथी मिलता है।
- सांसारिक सुख, भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
- भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
पूजन मुहूर्त
लक्ष्मीनारायण व्रत का पूजन अभिजित मुहूर्त में करना सबसे शुभ होगा। यह मुहूर्त 1 अक्टूबर को प्रातः 11.52 से 12.40 बजे तक रहेगा।
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