Imran Khan attacked: इमरान खान के हकीकी मार्च पर हमले की हकीकत क्या है?
Imran Khan attacked: राजनीति जो न करवाये वो कम है। खासकर भारतीय उपमहाद्वीप में तो राजनीति के नाम पर नेता ऐसे ऐसे पैतरें खेलते हैं कि रंगमंच के कलाकार भी हार मान लें।
गुरुवार को पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर और वर्तमान नेता इमरान खान पर जिस तरह से "हमला" हुआ, उसे देख सुन कर मन में पहला सवाल यही उठा कि कहीं ये हमला भी रंगमंच पर सजी कठपुतलियों का प्रायोजित खेल तो नहीं था?
इस सवाल के कई कारण हैं। पहला कारण तो स्वयं वह इमरान खान ही हैं जिनके पैर में गोली मारकर कथित तौर 'प्राणघातक हमला' हुआ। इमरान खान इस समय हकीकी आजादी मार्च कर रहे हैं। लाहौर से एक रैली लेकर इस्लामाबाद जा रहे हैं। इस रैली के जरिए उनकी मांग है कि तत्काल पाकिस्तान में चुनाव करवाये जाएं।
फौज की मदद से 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने वाले इमरान खान को इसी साल अप्रैल में सभी विपक्षी दलों ने मिलकर सत्ता से बाहर कर दिया था। लगभग चार साल के अपने शासनकाल में इमरान खान पाकिस्तान में हर मोर्चे पर फेल हुए। उस फौज की राजनीति के लिए भी वो सटीक नहीं बैठ रहे थे जिसने चुनाव में धांधली करवाकर इमरान खान की पार्टी पीटीआई को जीत दिलवाई थी।
इमरान खान को सत्ता से हटाने के लिए मौलाना फजलुर्रहमान ने न केवल इमरान खान की पार्टी द्वारा चुनाव में की गयी धांधलियों को मुद्दा बनाया, बल्कि फौज पर भी हमला बोला। जैसा कि पाकिस्तान में लॉन्ग मार्च एक राजनीतिक रिवायत बन चुकी है, फजलुर्रहमान ने इमरान खान की सरकार और फौज के खिलाफ लॉन्ग मार्च निकाला। सभी विपक्षी दलों को एक किया। नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग और आसिफ अली जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी से हाथ मिलाया और चारों तरफ से दबाव बनाकर अप्रैल में इमरान खान को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया।
इमरान खान किसी भी कीमत पर प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़ना नहीं चाहते थे। इसके लिए राजनीतिक गुणा भाग से ज्यादा अपनी तीसरी पत्नी बुशरा बीवी के टोने टोटकों पर अधिक भरोसा किया। बार बार पार्टी बदलने वाले शेख रशीद ने भी इमरान सरकार बचाने का पूरा प्रयास किया लेकिन सरकार बची नहीं। आप समझ सकते हैं कि बहुत बेइज्जती के साथ इमरान खान को सत्ता से बाहर कर दिया गया और शरीफ परिवार से शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नये प्रधानमंत्री नियुक्त हुए।
इसके बाद से ही इमरान खान सत्ता में वापसी के लिए लगातार रैलियां कर रहे हैं। उनका वर्तमान हकीकी आजादी मार्च भी इसी कड़ी का हिस्सा है ताकि वो अपना राजनीतिक जनाधार बचा सकें।
हालांकि बीते शुक्रवार से शुरु हुआ उनका ये हकीकी मार्च उम्मीद के मुताबिक सफल नहीं हुआ। बीते शनिवार को वो लॉन्ग मार्च छोड़कर लाहौर लौट गये थे। उस दिन उन्हें कमोके में एक जनसभा को संबोधित करना था। अफवाह ये उड़ाई गयी कि वो पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं के साथ कोई मीटिंग करने लाहौर गये हैं लेकिन सच्चाई ये थी कि उनकी रैली में उम्मीद के मुताबिक भीड़ नहीं आयी थी।
संभवत: इसीलिए उन्होंने चार दिन पहले ट्विटर पर एक चेतावनी भी जारी की थी कि पाकिस्तान में क्रांति होने वाली है। उन्होंने कहा था कि "अब देखना ये है कि ये क्रांति शांतिपूर्ण बैलेट के जरिए होगी या रक्तपात से।" इमरान खान के इस बयान से कोई भी इमरान खान की छटपटाहट को समझ सकता है। ऐसे में अगर इमरान खान के उसी हकीकी मार्च पर बंदूक से हमला हो जाता है तो पहला सवाल तो यही उठता है कि क्या इमरान खान चार दिन पहले जो संकेत कर रहे थे, उसकी पहले से कोई प्लानिंग थी?
ये तो पाकिस्तान की जांच एजंसियों का काम है कि वो इस बात का पता लगायें कि हमलावर ने इमरान खान को निशाना क्यों बनाया लेकिन पाकिस्तान की राजनीति में इमरान खान के रोल और उनके लॉन्ग मार्च पर हुए हमले का विश्लेषण करने पर हमला इतना भी जानलेवा नहीं लगता जैसा कि मीडिया ने प्रचारित कर दिया है। खासकर तब जब इमरान की पार्टी के दो नेताओं असद उमर और मियां इकबाल ने इमरान खान से बात करने के बाद बयान जारी कर दिया।
इस बयान के मुताबिक इमरान खान ने अपने ऊपर हुए इस हमले के लिए तीन लोगों पर शक जाहिर किया है। इसमें पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, शरीफ की पार्टी के नेता राना सनाउल्लाह, और पाकिस्तानी खुफिया एजंसी आईएसआई के मेजर जनरल फैसल नसीर का नाम लिया है।
इमरान खान द्वारा इन नामों पर शक किये जाने के बाद बताना भी जरूरी नहीं कि यह हमला कितना 'जानलेवा' रहा होगा। लेकिन सबसे पहले उस घटनाक्रम को देखिए जिसमें इमरान खान पर हमला हुआ।
इमरान खान पर जब बंदूक से फायर किया गया तब वो बस पर बने एक स्टेज पर सवार होकर आगे बढ रहे थे। उनके साथ दर्जन भर दूसरे नेता भी बस पर बने उस मंच पर मौजूद थे। इमरान खान सबसे आगे वहां खड़े थे जहां हाथों से पकड़ने के लिए रेलिंग बनी हुई थी। उसी रेलिंग पर एक बैनर लगा हुआ था जिसके कारण मंच पर खड़े लोगों का कमर से नीचे का हिस्सा दिख ही नहीं रहा था।
अचानक से गोलीबारी होती है। पहले किसी मशीनगन (संभवत: एके-47) से गोलीबारी की आवाज आती है। फिर किसी पिस्तौल से दो तीन गोलियां चलती हैं। इतने में मंच पर खड़े इमरान खान सहित सभी नेता वहीं बैठ जाते हैं।
बाद में पता चलता है कि इमरान खान के पैर में तीन गोलियां लगी हैं, और वो लंगड़ाते लेकिन मुस्कुराकर हाथ हिलाते हुए उस बस से नीचे उतरते हैं। उन्हें इलाज के लिए लाहौर रवाना कर दिया जाता है।
इस घटनाक्रम को ही देखें तो कई सवाल कौंधते हैं। पहला, अगर इमरान खान के पैर दिख ही नहीं रहे थे तो फिर उनके पैरों में गोली कैसे लगी? बस पर ऊपर खड़े इमरान खान पर गोली नीचे से चलाई गयी तो ऐसे में शरीर के ऊपरी हिस्से में न लगकर गोली पैरों में कैसे लगी? वह भी तब जब पैरों वाला हिस्सा दिखाई ही नहीं दे रहा था। तो क्या हमलावर इतना बड़ा शार्प शूटर था जिसने अंदाज से ऐसे गोली चलाई कि सीधे इमरान खान के पैरों में जाकर लगी?
लेकिन जिस व्यक्ति को मौके से गिरफ्तार किया गया वह कोई शार्प शूटर नहीं था। उसके हाथ में एक देशी तमंचा था जिससे इतना सटीक निशाना लगाया ही नहीं जा सकता। उसने गोली मारने की कोई ऐसी खास वजह भी नहीं बतायी है कि उस पर बहुत शक जाता हो।
ऐसे हाई प्रोफाइल लोगों पर सामान्य नागरिक कभी इस तरह बंदूक से हमले का दुस्साहस नहीं करते। लेकिन इन सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि एके-47 से जो ताबड़तोड़ गोलीबारी हुई वो किसने की? वह कौन था और कहां गायब हो गया?
एक और गंभीर सवाल इस पूरे घटनाक्रम में पैदा होता है कि हमला अगर ऊपर खड़े इमरान खान को निशाना बनाकर किया गया था तो नीचे खड़े एक व्यक्ति को गोली कैसे लगी कि वह मर गया? ऐसे और भी कई सवाल जांच से उभरेंगे जो इमरान की राजनीति और चरित्र दोनों पर सवाल खड़ा करेंगे।
यह बात सही है कि पाकिस्तान में टार्गेट किलिंग कोई नयी बात नहीं है। पाकिस्तान में आम आदमी से लेकर खास नेता तक इसके शिकार बनते रहे हैं लेकिन इमरान खान पर हमला पूरी तरह से संदेहास्पद है। इसे देखकर ऊपरी तौर पर कहीं से ऐसा नहीं लगता कि हमलावर उन्हें मारने आया था।
हो सकता है पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और हो। लेकिन राजनीति के रंगमंच पर पर्दे के पीछे जो रिहर्सल होते हैं, वो पर्दे पर कभी दिखाई कहां देते हैं? पर्दे पर तो वही दिखता है जो रंगमंच के उस कलाकार द्वारा अभिनय किया जाता है। जैसे, इमरान खान ने अपने राजनीतिक दुश्मनों पर हमले का शक जाहिर करके शुरु भी कर दिया है।
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