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Gujarat Election 2022: नेहरू परिवार की अरुचि और केजरीवाल की कम तैयारी के बावजूद मोदी ने झौंकी पूरी ताकत

जहां नेहरू परिवार ने गुजरात के चुनाव प्रचार से बेरुखी दिखाई है, वहीं केजरीवाल ने संगठन को मजबूत किए बिना सत्ता पाने का लक्ष्य रखा है। लेकिन मोदी ने अपनी पूरी ताकत भाजपा की सीटें बढ़ाने के लिए लगा दी है।

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narendra modi bjp vs aap congress in gujarat assembly elections 2022

Gujarat Election 2022: गुजरात विधानसभा के चुनाव नरेंद्र मोदी और मल्लिकार्जुन खड़गे ही नहीं, अरविन्द केजरीवाल के लिए भी ख़ास अहमियत रखते हैं| गुजरात की सीटें बढा कर नरेंद्र मोदी को यह साबित करना है कि उनका करिश्मा कायम है| अगर गुजरात में सीटें बढती हैं, और हिमाचल विधानसभा में भी भाजपा दुबारा जीतती है, तो संदेश जाएगा कि मोदी का करिश्मा सिर्फ गुजरात में ही नहीं पूरे देश में कायम है|

narendra modi bjp vs aap congress in gujarat assembly elections 2022

नए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पिछली बार की सीटें बचा कर साबित करना है कि नेहरू-गांधी परिवार के बिना भी कांग्रेस को पटरी पर लाया जा सकता है| लेकिन सोनिया, राहुल और प्रियंका ने जिस तरह गुजरात के चुनाव प्रचार से बेरुखी दिखाई है, उससे यह संदेश गया है कि उनका परिवार किसी अन्य को जमने नहीं देगा, ताकि उनके वफादार फिर यह कह सकें कि नेहरू परिवार ही कांग्रेस को बचा सकता है| इसलिए कांग्रेस भाजपा से लड़ने की बजाए, खुद से ही लड़ती नजर आ रही है|

अरविन्द केजरीवाल को साबित करना है कि वह कांग्रेस का विकल्प बन सकते हैं और अन्य क्षेत्रीय नेताओं ममता बनर्जी, केसीआर, शरद पवार, नीतीश कुमार से बड़े नेता बन चुके हैं| इसलिए मोदी, खड़गे और केजरीवाल तीनों ही चुनाव प्रचार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है|

नरेंद्र मोदी ने 2017 में भी ऐसी मेहनत की थी, लेकिन वह पार्टी की सीटें बरकरार रखने में कामयाब नहीं हुए थे, भाजपा 115 से घट कर 99 पर आ गई थी| भाजपा को सरकार के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी का खामियाजा भुगतना पड़ा था। उसी से सबक लेकर मोदी ने इस बार चुनाव से सवा साल पहले बड़ा ऑपरेशन किया और मुख्यमंत्री समेत पूरा मंत्रिमंडल ही बदल डाला था|

इसके बावजूद नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने गुजरात के चुनाव प्रदेश नेतृत्व के भरोसे नहीं छोड़े, चुनाव की कमान मुख्यमंत्री या प्रदेश अध्यक्ष के हाथ में नहीं है, बल्कि सारा प्रबन्धन अमित शाह के हाथ में है| जबकि स्टार प्रचारक के तौर पर मोदी और योगी को आगे रखा गया है|

भाजपा की सीटें बढ़ाने के लिए नरेंद्र मोदी दिन रात एक कर रहे हैं। पहले चरण में उन्होंने 20 रैलियों को संबोधित किया| पहली दिसंबर को राज्य की आधी सीटों पर चुनाव से एक रात पहले नरेंद्र मोदी काफी चिंतित थे| भाजपा के गढ़ सूरत से अच्छी खबर नहीं आई थी|

इसलिए दूसरे दौर के चुनाव में एक्स्ट्रा ताकत झोंकने की रणनीति बनाई गई। रात को ही तय हुआ कि अगले दिन मोदी दिन भर अहमदाबाद की 16 विधानसभा सीटों पर रोड शो करें| मोदी इस सुझाव पर तुरंत सहमत हो गए| अंतिम निर्णय लेने से पहले तीन महत्वपूर्ण सवाल थे। पहला यह कि क्या प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिहाज से यह ठीक होगा, और क्या 12 घंटे के भीतर सुरक्षा एजेंसियां 54 किलोमीटर के मार्ग की सुरक्षा की गारंटी लेंगी| दूसरा सवाल यह था कि प्रधानमंत्री की उम्र और पिछले 15 दिन से लगातार प्रचार में लगे होने के कारण क्या वह उनके लिए संभव होगा| तीसरा सवाल था कि क्या रात भर में तैयारी हो सकेगी|

लेकिन जब प्रधानमंत्री और एसपीजी ने हरी झंडी दे दी, तो संगठन को तुरंत चाक चौबंद कर दिया गया| अगले दिन यानि पहली दिसंबर को उन्होंने चुनाव प्रचार की इतनी लंबी लकीर खिंच दी कि खड़गे और केजरीवाल उनका मुकाबला कर ही नहीं सकते| पीएम मोदी का यह रोड शो गुजरात की राजनीति के इतिहास में किसी नेता का सबसे लंबा रोड शो रहा| इस रोड शो के दौरान उन्होंने तीन रैलियाँ भी की।

भाजपा गुजरात में 1995 से सत्ता में है| उसके सामने असल चुनौती सीटों की संख्या में गिरावट को रोकना है| 2002 में भाजपा को 127 सीटें मिलीं थीं, 2002 से भाजपा का स्कोर लगातार घट रहा है, घटते घटते 2017 में वह 99 तक नीचे आ गई थी| जो बहुमत से सिर्फ 7 ज्यादा थी| इस बार मोदी और शाह ने इस ट्रेंड को खत्म करके अपनी सीटें बढाने का लक्ष्य रखा है| केजरीवाल के मैदान में उतरने से भाजपा का यह काम आसान हो गया है|

वैसे हर राजनीतिक दल एक लक्ष्य तय कर के ही चुनाव लड़ता है| कांग्रेस गुजरात के बाहर जरुर गुजरात में सरकार बनाने का दावा कर रही है, लेकिन गुजरात में कांग्रेस का ऐसा कोई दावा नहीं| राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा को बीच में छोड़ कर एक दिन गुजरात में प्रचार किया, लेकिन उन्होंने अपनी दोनों पब्लिक मीटिंग में कांग्रेस के लिए वोट नहीं माँगा, वह मोदी के खिलाफ और अपनी भारत जोड़ो यात्रा के बारे में ही बोल कर चले गए| दूसरे दौर के चुनाव में तो उन्होंने रैली का कोई प्रोग्राम ही नहीं बनाया| इससे यह अवधारणा बन रही है कि कांग्रेस ने हार मान कर मैदान केजरीवाल के लिए खाली कर दिया है कि वह मोदी को हरा सकता है, तो हरा ले| कांग्रेस तो कई बार से नहीं हरा पाई|

केजरीवाल स्पष्ट बहुमत मिलने का दावा कर रहे हैं, वह प्रेस कांफ्रेंसों और मीडिया शो में पत्रकारों को लिख कर पर्चियां बाँट रहे हैं, जिन में वह बता रहे हैं कि आम आदमी पार्टी 92 सीटों से ज्यादा सीटें जीत कर सरकार बनाएगी| खैर केजरीवाल यह लिखित में देने वाला दावा पंजाब के अलावा उत्तराखंड और गोवा में भी कर चुके हैं| वह उस कहावत पर अमल करते हैं कि लग जाए तो तीर, नहीं तो तुक्का|

भारतीय जनता पार्टी ने भी 140 सीटों का लक्ष्य रखा है, और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मोदी और अमित शाह कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे| भाजपा के पक्ष में यह बात जाती है कि मोदी और शाह दोनों गुजराती में भाषण करते हैं| जबकि कांग्रेस के दोनों प्रमुख प्रचारक मल्लिकार्जुन खड़गे और अशोक गहलोत प्रभावी वक्ता नहीं माने जाते| इसी तरह आम आदमी पार्टी के स्टार प्रचारक केजरीवाल और भगवंत सिंह मान दोनों ही बाहरी हैं|

यह भी पढ़ें: Gujarat Election 2022: गुजरात चुनाव में भी मोदी के बाद योगी ही योगी

(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं। लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)

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English summary
narendra modi bjp vs aap congress in gujarat assembly elections 2022
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