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मध्यप्रदेश में मुसलमानों से बेरुखी, बीजेपी के बाद कांग्रेस ने भी मुंह फेरा

By प्रेम कुमार
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भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के बदले राजनीतिक व्यवहार ने चुनाव का रंग बदल दिया है। बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस ने भी मंदिर-मंदिर दौरा, नारियल फोड़ना, पूजा-पाठ-यज्ञ में रुचि दिखलायी है। व्यक्तिगत निष्ठा के नाम पर धार्मिक व्यवहारों को चुनावी रंग में रंग दिया गया लगता है। मुसलमान उम्मीदवारों से कांग्रेस की बेरुखी ने ये सवाल पैदा कर दिया है कि क्या मुस्लिम उम्मीदवार जिताऊ नहीं रह गये हैं? अगर नहीं, तो क्यों?

मध्यप्रदेश में मुसलमानों से बेरुखी, बीजेपी के बाद कांग्रेस ने भी मुंह फेरा


हिन्दुत्व के मुद्दे पर बीजेपी से होड़ लेती कांग्रेस के बदले व्यवहार ने सबसे ज्यादा मुसलमानों को बेचैन किया है। प्रदेश में 40 सीटें ऐसी हैं जहां मुसलमानों का प्रभाव है। सबसे ज्यादा 50 फीसदी भोपाल उत्तर सीट पर हैं। मगर, कांग्रेस ने सिर्फ 3 सीटों पर ही मुसलमान उम्मीदवार उतारे हैं। एक समय था जब कांग्रेस एकीकृत मध्यप्रदेश से 20 मुसलमान उम्मीदवार दिया करती थी।

अगर बीजेपी की बात करें तो बीजेपी ने सिर्फ एक मुस्लिम उम्मीदवार दिया है। बीजेपी की रणनीति मुसलमानों से दूर दिखने की रही है। वह 90 फीसदी बनाम 10 फीसदी की लड़ाई लड़ने में अपना फ़ायदा देखती है।

चूकि हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण में कांग्रेस ने भी हिस्सेदारी करने का फैसला किया। इसलिए अब परम्परागत धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत से ऊपर उठकर पार्टी को सॉफ्ट हिन्दुत्व के एजेंडे पर उतरना पड़ा है। इसी का असर मुसलमानों की उम्मीदवारी में भी देखा जा सकता है।

अगर महिलाओं की बात करें तो मध्यप्रदेश में बीजेपी ने 25 उम्मीदवार दिए हैं, जबकि कांग्रेस ने 28. हालांकि पिछले चुनाव के मुकाबले दोनों ही दलों ने महिलाओं को कम तवज्जो दी है। बीजेपी ने 2013 में 28 महिलाओं को मैदान में उतारा था, जबकि कांग्रेस ने 23 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है।

चुनावी नज़रिए से देखा जाए तो मध्यप्रदेश में मुसलमानों की स्थिति महिलाओं से भी बदतर है। राजनीतिक भागीदारी में महिलाएं कहीं आगे हैं। मगर, इसकी वजह मुसलमानों के प्रति मध्यप्रदेश में पैदा हुआ राजनीतिक छुआछूत है। महिलाओं का स्ट्राइक रेट अच्छा रहा है। विगत चुनाव में बीजेपी से 22 विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचीं थीं, जबकि कांग्रेस से 23 महिलाएं।

चुनाव में जिताऊ होने का गुण उम्मीदवार बनने का बड़ा कारण होता है। मगर, जब जिताऊ होने का कारण जब धर्म हो जाए तो यह स्थिति ख़तरनाक हो जाती है। मध्यप्रदेश में मुसलमानों को टिकट देने के मामले में राजनीतिक दलों ने जो बेरुखी दिखायी है वह कोई शुभ संकेत नहीं है।

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English summary
madhya pradesh assembly election 2018 bjp congress and muslims
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