लोकसभा चुनाव 2019: 'हिंदू-मुसलमान' और 'पाकिस्तान' के सहारे भाजपा?
नई दिल्ली। रविवार, 31 मार्च, 2019 को दादरी के गाँव बिसाहड़ा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की चुनाव-सभा. वे भाजपा के प्रत्याशी, केंद्रीय मंत्री और वर्तमान सांसद महेश शर्मा के लिए प्रचार करने आये हैं। अपने सुपरिचित जोगिया वेश में बड़े जोश के साथ वे कह रहे हैं- 'किसको याद नहीं है कि इसी बिसाहड़ा में क्या-क्या हुआ था। किस तरह से समाजवादी पार्टी की सरकार ने हमारी भावनाओं को दबाने का प्रयास किया था... हम बिसाहड़ा को भूले नहीं हैं..... हम बिसाहड़ा के साथ हैं...’।
बिसाहड़ा वही गांव है जहाँ सितम्बर, 2015 में उग्र भीड़ ने मुहम्मद अखलाक के घर में घुस कर पीट-पीट कर उसकी हत्या कर दी थी। उसके जवान बेटे को अधमरा कर दिया था. महिलाओं को भी नहीं छोड़ा था। भीड़ को यह कह कर उकसाया गया था कि अखलाक ने गोहत्या की है और उसके फ्रिज में गोमांस रखा है।
प्रदेश में तब अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। अखलाक की हत्या के आरोप में 19 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया था। अखलाक के घर मिले मांस की जांच कराई गई थी। अलग-अलग प्रयोगशालाओं की जांच रिपोर्ट में विरोधाभास था लेकिन अंतत: इसकी पुष्टि नहीं ही हो पायी कि वह गोमांस था। भाजपा और हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया था कि सपा सरकार गो-हत्या के आरोपियों बचा कर गो-रक्षा करने वालों को फंसा रही है।
रविवार
को
योगी
की
चुनाव-सभा
की
सबसे
अगली
पांत
में
अखलाक
की
हत्या
के
अभियुक्त
विशाल
सिंह
राणा
और
पंकज
बैठे
थे।
आजकल
वे
जमानत
पर
हैं।
योगी
ने
जब
मंच
से
कहा
हैं
कि
हम
बिसाहड़ा
के
साथ
हैं
तो
दोनों
बड़े
जोश
में
योगी
के
समर्थन
में
नारे
लगाने
लगे।
योगी
की
सभा
में
अखलाक
की
हत्या
के
अन्य
अभियुक्तों
के
शामिल
होने
की
चर्चा
भी
है।
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ढाई साल पुरानी इस वारदात की याद दिलाने का योगी का खास मकसद है। जब वे यह कहते हैं कि 'तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने किस तरह हमारी भावनाओं को दबाने का प्रयास किया था’ तो वे श्रोताओं को यह बता रहे होते हैं कि समाजवादी पार्टी 'गोहत्या करने वालों के साथ है।’ इसीलिए वे आगे कहते हैं कि 'उस सरकार में अगर आप बैलगाड़ी या भैंसागाड़ी से जा रहे थे और कहीं पान खाने के लिए रुक गये तो बैल-भैंस की चोरी हो जाते थे .... जब से हम सरकार में आये हमने सभी अवैध बूचड़खाने बंद करा दिये...’.
यानी, सपा सरकार में 'उन’ लोगों को इतनी छूट थी कि राह चलते पशुओं को चुराकर बूचड़खाने भेज दिया जाता था. यह भी कि, 'उन्हें’ खुश करने के लिए 'बहुसंख्यक’ लोगों यानी हिंदुओं के खिलाफ झूठे मुकदमे लिखाये जाते थे। कैराना और मुजफ्फरनगर से 'हिंदुओं के पलायन’ की 'मार्मिक कथाएँ’ प्रचारित की जा रही हैं।
हिंदू-मुसलमान, पाकिस्तान, गो-रक्षा, अयोध्या में राम मंदिर, हिंदू-स्वाभिमान, राष्ट्रवाद, वगैरह भाजपा के स्टार प्रचारकों का मुख्य स्वर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसी सुर में हैं और योगी भी। अपनी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करने से ज्यादा वे श्रोताओं के हिंदू होने की भावना को सहलाने वाली बातें कर रहे हैं।
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स्पष्ट है कि भाजपा विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन की काट के लिए जातीय जोड-तोड़ के अलावा उग्र हिंदू ध्रुवीकरण ही पर भरोसा कर रही है। गोरक्षपीठ के महंत, संन्यासी-राजनेता, योगी आदित्यनाथ यहाँ इस मुहिम के अगुवा बने हैं। कट्टर और आक्रामक-हिंदू नेता की उनकी छवि को भाजपा ने दूसरे राज्यों के चुनाव में भी भुनाया ही था।
योगी ने अपने चुनाव-प्रचार अभियान की शुरुआत सहारनपुर स्थित माँ शाकम्भरी देवी के दरबार से यूँ ही नहीं की।शाकाहार की देवी शाकम्भरी की उपासना कर मांस के वैध-अवैध कारोबार के लिए ख्यात पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उन्होंने खास संदेश देने की कोशिश की है. 'टाइम्स ऑफ इण्डिया’ में आज ही प्रकाशित अपने साक्षात्कार में उन्होंने इस संदेश को पूरी तरह स्पष्ट किया है – 'विपक्ष देवबंद में भरोसा करता है, हम माँ शाकम्भरी में।’
विपक्षी गठबंधन को 'देवबंद’ से जोड़ देने की मंशा और क्या हो सकती है?
प्रियंका गांधी अपने अयोध्या दौरे में हनुमानगढ़ी गईं लेकिन रामलला के दर्शन किये बिना लौट गईं. 'रामलला के दर्शन न कर प्रियंका ने हिंदुओं का अपमान किया’- योगी अपने भाषणों में कह रहे हैं। प्रियंका ने सफाई दी थी कि क्योंकि राममंदिर मसला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए मैं वहाँ नहीं गयी। योगी अपनी चुनाव सभाओं में पूछ रहे हैं, बल्कि जनता को समझा रहे हैं कि 'प्रियंका वहाँ इसलिए नहीं गयी कि एक विशेष धर्म नाराज हो जाएगा।’ यानी कांग्रेस मुसलमानों को खुश रखने वाली पार्टी है।
पाकिस्तान, आतंकवाद, सर्जिकल स्ट्राइक, सेना की बहादुरी, देशभक्ति, वगैरह भाजपा के चुनाव अभियान के अन्य विशेष मुद्दे हैं। प्रधानमंत्री से लेकर सभी स्टार प्रचारक अपनी सभाओं में ये मुद्दे प्रमुख रूप से उठाकर विपक्ष को घेर रहे हैं। योगी अपनी सभाओं में बता रहे हैं कि 'कांग्रेस आतंकवादियों को बिरयानी खिलाती है, जबकि मोदी ने उन्हें गोलियाँ खिलाईं।’
भाजपा के स्टार प्रचारकों की कोशिश है कि विपक्ष को 'राष्ट्रवाद’ और 'देशभक्ति’ के जाल में फंसाए रखा जाए. कहा जा रहा है कि 'सेना आतंकवादी ठिकानों’ पर हमला कर रही है और वे सेना से सबूत मांग रहे हैं’, 'विपक्षी नेताओं के भाषणों पर पाकिस्तान में तालियाँ बज रही हैं’, 'पाकिस्तान और आतंकवादी चाहते हैं कि मोदी हार जाएँ।’
हिंदू-स्वाभिमान जगाने और राष्ट्रवाद के इन मुद्दों ने मोदी सरकार की असफलताओं को ढंक दिया है। राफेल सौदे में गड़बड़ी के आरोप, बेरोजगारी, नोटबंदी के नकारात्मक प्रभाव, अर्थव्यस्था के संकट समेत मोदी सरकार के खिलाफ दूसरे बड़े मुद्दे नेपथ्य में चले गये हैं। आने वाले दिनों में भाजपा का यह चुनाव-राग और तेज होगा. यूपी के कठिन मोर्चे पर वह मजबूत विपक्षी गठबन्धन को इन हथियारों से कितना कमजोर कर पाती है, यह वक्त ही बताएगा।
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