क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

Karwa Chauth 2022: बिखरती परिवार व्यवस्था के बीच करवा चौथ का महत्व

Google Oneindia News

भारत में बहुत असाधारण काम को भी बहुत साधारण तरीके से करने की परंपरा रही है। हमारे ज्यादातर व्रत, उत्सव, पर्व त्यौहार जो बहुत ही साधारण तरीके से मनाये जाते हैं, उनके पीछे असाधारण दर्शन निहित होता है।

इन व्रत, त्यौहार, उत्सव के अपने धार्मिक महत्व वैसे न हों, जैसे बताये जाते हैं लेकिन इनके अपने व्यक्तिगत और सामाजिक महत्व तो होते ही हैं।

karwa chauth 2022 how much Importance festivals in modern times

व्रत, त्यौहार और उत्सव की इसी साधारण सी परंपरा ने भारत को एक उत्सव प्रधान देश बना दिया है। भारत में सालभर कहीं न कहीं कोई न कोई उत्सव चलता रहता है। हर मौसम और हर क्षेत्र के अपने विशिष्ट पर्व और त्यौहार हैं जिसे समाज बहुत उत्साह से मनाता है और प्रसन्नता पाता है।

करवा चौथ एक ऐसा ही त्यौहार है जब विवाहित स्त्रियां अपने पति और परिवार की खुशहाली के लिए पूरे दिन का व्रत रखती हैं और सायंकाल चंद्रमा का दर्शन करके जल ग्रहण करती हैं।

करवा चौथ की कहानी

इन व्रत, त्यौहार को जब आप समझने का प्रयास करेंगे तो इनके पीछे कोई न कोई कहानी जरूर पायेंगे। आमतौर पर ऐसी कहानियां गढ़ी गयी होती हैं जिसे तार्किक लोग पोंगापंथ या धार्मिक रुढिवाद के रूप में परिभाषित करते हैं। लेकिन ये कहानियां जन सामान्य को सिर्फ उसका महत्व समझाने के लिए होते हैं। इनका निहित मूल उद्देश्य तो कुछ और ही होता है।

जैसे करवा चौथ को लेकर तीन चार कहानियां प्रचलित हैं। वैसे तो करवा का मतलब सिर्फ मिट्टी का एक छोटा बर्तन ही होता है लेकिन इसी करवा को लेकर कई कई कहानियां गढ़ी गयी हैं।

इसमें कहीं शाहूकार के सात बेटे और उनकी बहन करवा वाली कहानी सुनाई जाती है तो कहीं अर्जुन और द्रौपदी की कहानी प्रचलित है। कहीं करवा के पति मरने और उसे करवा चौथ के कारण पुन: जीवित होने की कहानी है तो कहीं पर वीरवती द्वारा अपने पति को पुन: प्राप्त करने की कहानी है।

फिर इन कहानियों में कहीं कहीं ये बातें भी जोड़ दी जाती हैं कि कैसे शिवजी ने स्वयं पार्वती जी को करवा चौथ के व्रत का महत्व समझाया। लेकिन इस करवा चौथ व्रत में मुख्य रूप से गणेश जी की ही पूजा की जाती है।

पश्चिमी मानसिकता वाले व्यक्ति के लिए ये कहानियां मूर्खतापूर्ण और बहकाने वाली लग सकती हैं लेकिन इन कहानियोंं के कारण जो पारिवारिक और सामाजिक ढांचा चाक चौबंद है वह उसे कभी समझ नहीं पायेगा।

करवा चौथ मुख्य रूप से उत्तर भारत के कुछ हिस्सों का त्यौहार है जो अब टीवी और फिल्मों के कारण देश के अनेक हिस्सों में महिलाओं द्वारा पालन किया जाने लगा है।

करवा चौथ का व्रत ठीक ठीक कहां से शुरु हुआ ये कहना तो मुश्किल है लेकिन इसका ज्यादा प्रचलन पंजाबी कलाकारों और फिल्मकारों के कारण ही हुआ। फिल्मों में जब पाकिस्तानी पंजाब से आये फिल्मकारों का दखल बढ़ा तो सबसे पहले उन्होंने ही पति के लिए पत्नी द्वारा किये जानेवाले करवाचौथ व्रत को अपनी फिल्मों में दिखाना शुरु किया।

इससे इस बात का अंदाज लगता है कि करवा चौथ का व्रत मुख्य रूप से पश्चिमी और पूर्वी पंजाब, सिन्ध के इलाके में ही प्रचलित था। लेकिन आज ये व्रत त्यौहार दिल्ली सहित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में भी फैल चुका है। शहरी वर्ग की महिलाएं आमतौर पर इस दिन उपवास रखती ही हैं और अपने पति तथा परिवार के लिए तपस्या करती हैं।

राजस्थान के सवाई माधोपुर में तो चौथ माता का मंदिर भी है जहां महिलाएं अपने पति और परिवार की खुशहाली और सुरक्षा के लिए दर्शन पूजन करती हैंं।

यह भी पढ़ें: Karwa Chauth 2022: करवा चौथ पर ये 16 श्रृंगार करना क्‍यों है जरूरी, जानें क्‍या है महत्‍व

शक्ति, व्रत और तपस्या

भारतीय परंपरा में स्त्री को शक्ति स्वरूप माना गया है। भारत के हर हिस्से में ऐसी कोई न कोई कहानी या व्रत प्रचलित है जहां स्त्री अपने तप बल से अपने पति के प्राणों की रक्षा करती है।

संतोषी माता जैसी फिल्मों ने इस बात को इतने अच्छे तरीके से प्रस्तुत किया था कि एक दौर में यह न केवल एक सफल फिल्म थी, बल्कि संतोषी माता नामक देवी के मंदिर भी बनने लगे थे।

मूल बात ये है कि स्त्री शक्ति स्वरूपा है। उसके तप में इतनी शक्ति है कि वह आनेवाली या आयी हुई किसी विपत्ति को भी टाल सकती है। अगर वह इसी तप से किसी अदृश्य शक्ति के सामने अपने परिवार, पति, पुत्र की सुरक्षा की गारंटी चाहती है तो अदृश्य परमात्म शक्ति को उसकी बात माननी ही पड़ती है।

इसलिए महिलाओं के व्रत को लेकर ज्यादातर कहानियां इसी सिद्धांत के आसपास गढ़ी जाती है। उसके तप और त्याग के कारण ही उसका परिवार सुरक्षित और सुखी रहता है, जो कि उसकी ही क्रियात्मक शक्ति का विस्तार होता है।

भारतीय समाज व्यवस्था में स्त्री को परिवार का आधार माना गया है। इसलिए एक पुरुष का सामाजिक जीवन उसके विवाह से शुरु होता है। भारत में विवाह सामाजिक व्यवस्था का आधार है।

भारत की सामाजिक संरचना ऐसी है कि इसके मूल में परिवार है और परिवार के मूल में विवाह व्यवस्था है। इसलिए भारतीय समाज विवाह को लेकर बहुत संवेदनशील है। इसलिए विवाह में जाति, धर्म, कुल इत्यादि का बहुत ध्यान रखा जाता है।

समाज के लोग इस बात को समझते हैं कि अगर ये व्यवस्थाएं टूटेंगी तो समाज भी टूट जाएगा और जब समाज टूटेगा तो इसका सबसे बड़ा नुकसान व्यक्ति को ही होगा।

स्त्री है परिवार का आधार

इसलिए भारतीय समाज स्त्री को लेकर बहुत संवेदनशील रहता है। स्त्री के बिना परिवार नहीं बसेगा और परिवार के बिना समाज का बनना असंभव है। एक स्वस्थ समाज का आधार परिवार ही है जिसके मूल में स्त्री का वास है।

यह स्त्री ही है जो एक परिवार को बनाती है। इसलिए स्त्री के ऊपर ही उस परिवार को सुव्यवस्थित और सुरक्षित रखने की परोक्ष रूप से सबसे अधिक जिम्मेवारी होती है। इसलिए वह भांति भांति प्रकार से अपने परिवार को समृद्ध और सुरक्षित रखने के उपाय करती है, जिसमें व्रत और त्यौहार भी शामिल हैं। करवा चौथ ऐसा ही एक व्रत है।

व्रत, उत्सव, तीज त्यौहार ये सब भारत की पारिवारिक और सामाजिक व्यवस्था को बनाये रखने के आधार हैं। इनकी आलोचना करना, इनके महत्व को कमतर बताना, इनका उपहास उड़ाना या फिर इन्हें पूरी तरह से खारिज करना परोक्ष रूप से भारत की परिवार व्यवस्था और समाज पर हमला जैसा होता है।

ऐसे निहित तत्व हैं जो कहीं बाजार की हवश में, तो कहीं वर्ग संघर्ष की चाहत में भारत की पारिवारिक और सामाजिक व्यवस्था के आधार व्रत, उत्सव और तीज त्यौहार पर हमला करते हैं। कुछ हद तक ये लोग सफल भी हुए हैं लेकिन इनके झांसे में आकर जिन लोगों ने अपनी सामाजिक व्यवस्थाओं को त्याग दिया है उन्हें सिवाय दुख के कुछ मिला नहीं है।

लेकिन अच्छी बात ये है कि भारत का अधिकांश समाज इन झांसेबाजों की बात को सुनता ही नहीं है। वह अपने व्रत, त्यौहार, उत्सव तथा तप और तपस्या से अपने जीवन को व्यवस्थित बनाये हुए है।

बाजारवाद की आंधी में परिवार के टूटने और समाज के बिखरने के खतरे के बीच करवाचौथ का यही सबसे बड़ा महत्व है। बाजार का सीधा हमला परिवार पर ही होता है।

बाजारवाद वहां सफल ही नहीं हो पाता जहां परिवार व्यवस्था होती है। इसलिए वह पूरे दल बल के साथ परिवार व्यवस्था और समाज पर हमला करता है। बाजार की ताकतें खूब अच्छे से ये समझती हैं। यूरोप और अमेरिका में बाजारवादी ताकतें इसका सफल प्रयोग कर चुकी हैं।

वहां परिवार नाम की ईकाई को ही उपभोक्तावाद के नाम पर नष्ट कर दिया गया। अब उनके निशाने पर भारत है।

इसलिए एक स्त्री के लिए इस समय सबसे बड़ी जिम्मेवारी अपनी उस परिवार नामक ईकाई को बचाकर रखना है जिसके होने में ही उसका होना है।

सौभाग्य से भारत की मजबूत परंपरा में करवा चौथ या छठ जैसे व्रत उसे ऐसा करने का मजबूत आधार प्रदान करते हैं। भारतीय स्त्रियां अपने व्रत और तपबल से अपने परिवार को इस नयी आफत से बचा रही है। परिवार टूटने से बचेगा तो स्त्री भी बिखरने से बच जाएगी। यही करवा चौथ जैसे व्रत का सबसे बड़ा महत्व है।

यह भी पढ़ें: Karwa Chauth 2022 Fasting Rules: अविवाहित लड़कियां कैसे रखें करवा चौथ का व्रत? क्या है नियम?

(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)

Comments
English summary
karwa chauth 2022 how much Importance festivals in modern times
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X