कांग्रेस ने की बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग, कहा- राज्य में संवैधानिक तंत्र टूटा
नई दिल्ली, 23 मार्च: कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग की है। अधीर रंजन चौधरी ने राज्य के बीरभूम जिले में एक उप पंचायत प्रमुख मारे जाने के बाद जवाबी आगजनी के बाद फैली हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग की है। बीरभूम ज़िले के रामपुरहाट में सोमवार को हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई जिसको लेकर गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट तलब की है।
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने पश्चिम बंगाल में बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति" और पिछले एक महीने में 26 राजनीतिक हत्याओं का हवाला देते हुए राष्ट्रपति कोविंद से बीरभूम में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 355 को लागू करने का आग्रह किया। सोमवार, 21 मार्च 2022 को बीरभूम जिले के बोगटुई गाँव में सत्ताधारी दल के दो समूहों के बीच हिंसक लड़ाई हुई। उप प्रधान श्री भादु शेख, मारे गए और जवाबी कार्रवाई में क्षेत्र के घरों पर हमला किया गया और आग लगा दी गई, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं और बच्चों समेत 12 लोगों की मौत हो गई। सभी पीड़ित अल्पसंख्यक समुदाय के हैं।
चौधरी ने कहा कि, पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह चरमरा गई है। यह अत्यंत दुख की बात है कि पिछले महीने ही पश्चिम बंगाल में 26 राजनीतिक हत्याएं हुई थीं। चुनावी हिंसा और चुनाव के बाद की हिंसा ने कई लोगों की जान ले ली है। पूरा राज्य भय और हिंसा की चपेट में है। राज्य में संवैधानिक तंत्र के टूटने के संबंध में राष्ट्र का ध्यान आकर्षित करने के लिए मैंने कल यानी 22 मार्च को संसद में यह गंभीर मामला उठाया था।
चौधरी ने आगे लिखा कि, पश्चिम बंगाल में बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए मैं आपसे संविधान के अनुच्छेद 355 को लागू करने का अनुरोध करता हूं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पश्चिम बंगाल सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार चले।
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इस प्रकरण पर आज कलकत्ता हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट से कहा कि अगर उच्च न्यायालय आदेश देता है तो राष्ट्रीय एजेंसी इस प्रकरण की जांच करने के लिए तैयार है। उच्च न्यायालय ने बंगाल से रामपुरहाट हिंसा पर स्थिति रिपोर्ट कल दोपहर 2 बजे तक जमा करने को कहा है। अदालत ने राज्य को निर्देश दिया है कि वह जिला न्यायाधीश की उपस्थिति में सीसीटीवी कैमरे लगाए और घटना स्थल की चौबीसों घंटे निगरानी करे।