UP Nikay Chunav: प्रत्याशियों के लिए संजीवनी साबित होगा सोशल मीडिया, ग्रुप बनाकर शेयर कर रहे मैसेज
यूपी निकाय चुनाव को लेकर प्रत्याशियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में प्रचार भी शुरू कर दिया है। इसके अलावा इस बार प्रत्याशी प्रचार के लिए सोशल मीडिया का भी जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं।
UP Nikay Chunav की तैयारियां एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली हैं। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार अपने-अपने इलाके में प्रचार प्रसार करना प्रारंभ कर दिए हैं। अभी तक जहां नगरीय इलाकों में सन्नाटा पसरा था वहीं अब बैठकों और पार्टियों का दौर शुरू हो गया है। चट्टी चौराहों पर लोगों का जुटान होना शुरू हो गया है और लोग अपने मनपसंद उम्मीदवार के प्रचार प्रसार में लगे हुए हैं। चट्टी चौराहों पर जहां चुनावी चकल्लस शुरू हो गई है वहीं सोशल मीडिया भी इससे अछूता नहीं है। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर अपने अपने माध्यम से प्रचार-प्रसार करने के लिए उम्मीदवारों द्वारा तमाम तरह के नए-नए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।
व्हाट्सएप,
फेसबुक
और
टेलीग्राम
का
ले
रहे
सहारा
वाराणसी
जिले
में
चुनाव
लड़ने
वाले
कई
प्रत्याशियों
द्वारा
अपने-अपने
वार्ड
और
इलाके
का
व्हाट्सएप
और
टेलीग्राम
पर
ग्रुप
बनाया
जा
चुका
है।
इसके
अलावा
फेसबुक
मैसेंजर
का
भी
कुछ
लोगों
द्वारा
सहारा
लिया
जा
रहा
है।
प्रतिदिन
इलाके
में
किए
जाने
वाले
भ्रमण,
लोगों
की
समस्याओं
का
समाधान
करने
व
आश्वासन
देने
से
लेकर
शादी
समारोह
सहित
अन्य
आयोजनों
में
शामिल
होने
की
फोटो
भी
इन
ग्रुपों
में
शेयर
किए
जा
रहे
हैं।
कुल
मिलाकर
धरातल
के
साथ
ही
सोशल
मीडिया
पर
भी
चुनावी
बयार
अब
रफ्तार
पकड़ती
नजर
आ
रही
है।
अपने
इलाके
का
वीडियो
बनवा
कर
करेंगे
प्रचार
जिन
इलाकों
में
नए
उम्मीदवार
चुनाव
लड़ने
वाले
हैं
वे
लोग
अपने
इलाके
की
समस्या
से
जुड़े
वीडियो
तथा
समस्या
से
जूझने
वाले
लोगों
के
बयान
से
संबंधित
वीडियो
और
उम्मीदवार
के
बयान
से
संबंधित
वीडियो
को
शामिल
कर
वीडियो
एडिटिंग
करवा
कर
भी
कुछ
लोग
प्रचार
करना
शुरू
कर
दिए
हैं।
वहीं
इस
तरीके
से
प्रचार
करना
भी
लोगों
को
खूब
पसंद
आ
रहा
है।
सोशल
मीडिया
के
इस
दौर
में
चुनाव
प्रचार
करने
के
लिए
कई
ऐसे
वीडियो
मिक्सिंग
करने
वाले
लोग
हैं
जो
अब
चुनाव
तक
यही
काम
करना
चाहते
हैं।
वाराणसी
के
रहने
वाले
राकेश
विश्वकर्मा
नामक
वीडियो
ग्राफर
ने
बताया
कि
इस
काम
के
लिए
अभी
3
प्रत्याशियों
ने
संपर्क
किया
है
और
उनका
कहना
है
कि
जैसे
ही
हरी
झंडी
दी
जाती
है
उनके
इलाके
में
आकर
वीडियो
बनाना
होगा।
हैंडबिल
बांटने
का
दौर
धीरे-धीरे
हो
रहा
खत्म
वहीं
इस
बारे
में
प्रिंटिंग
प्रेस
से
जुड़े
लोगों
से
बात
किया
गया
तो
उन्होंने
कहा
कि
पहले
की
अपेक्षा
अब
हैंड
बिल
बांटने
का
दौर
भी
धीरे-धीरे
खत्म
हो
रहा
है।
हालांकि
यह
बताया
गया
कि
हैंड
बिल
और
पंपलेट
की
जगह
लोग
स्टिकर
को
अधिक
तवज्जो
दे
रहे
हैं।
प्रिंटिंग
प्रेस
से
जुड़े
मुन्ना
जायसवाल
ने
बताया
कि
वाहनों
में
स्टीकर
लगाने
के
बाद
वाहन
जहां
तक
जाते
हैं,
वहां
तक
प्रत्याशी
का
आसानी
से
प्रचार
हो
जाता
है।
इसके
अलावा
स्टीकर
टिकाऊ
रहते
हैं
जो
चुनाव
तक
आसानी
से
चल
जाते
हैं।
एक
साथ
भेजिए
हजारों
को
एसएमएस
कई
ऐसी
कंपनियां
हैं
जो
बल्क
मैसेज
की
सुविधा
उपलब्ध
करा
रही
हैं।
उन
लोगों
द्वारा
बनाए
गए
सॉफ्टवेयर
और
वेबसाइट
के
माध्यम
से
एक
ही
साथ
हजारों
लोगों
को
संदेश
भेजा
जा
रहा
है।
किसी
त्योहार
पर
बधाई
संदेश
या
फिर
किसी
कार्यक्रम
के
बारे
में
अपने
इलाके
के
लोगों
को
सूचना
देना
इससे
काफी
आसान
हो
गया
है।
व्हाट्सएप
पर
कुछ
लोगों
को
मैसेज
भेजने
की
अपेक्षा
बल्क
में
एक
ही
साथ
हजारों
लोगों
को
मैसेज
भेजने
में
नेताओं
को
फायदा
नजर
आ
रहा
है।
इस
बारे
में
बल्क
मैसेज
भेजने
वाले
कुछ
लोगों
से
बात
किया
गया
तो
उन्होंने
बताया
कि
नंबर
यदि
प्रत्याशी
उपलब्ध
कराते
हैं
तो
उनसे
केवल
मैसेज
का
चार्ज
लिया
जाता
है।
यदि
प्रत्याशी
चाहते
हैं
कि
हमारे
इलाके
के
मोबाइल
नंबर
भी
उनको
मिल
जाए
तो
उसके
लिए
अलग
से
चार्ज
लेकर
नंबर
उपलब्ध
कराने
का
प्रयास
किया
जाता
है।
कम
खर्च
में
हो
जा
रहा
है
अच्छा
प्रचार
इस
बारे
में
प्रत्याशियों
से
बातचीत
किया
गया
तो
उनका
कहना
है
कि
स्मार्टफोन
और
सोशल
मीडिया
के
चलते
चुनाव
प्रचार
करना
काफी
आसान
और
सस्ता
हो
गया
है।
लोगों
ने
कहा
कि
पहले
के
दौर
में
जहां
प्रिंटिंग
कराने
के
अलावा
माइक
से
अलाउंस
भी
कराया
जाता
था
और
घूम
घूम
कर
पंपलेट
चिपकाए
जाते
थे।
लेकिन
अब
नई
सुविधाएं
आ
जाने
के
चलते
प्रत्याशियों
को
बहुत
ज्यादा
परेशान
नहीं
होना
पड़ेगा
और
खर्च
भी
कम
होगा।
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