Joshimath Disaster : पीड़ित लोगों के लिए तोड़ दी अपनी गुल्लक, 10 साल के मासूम ने कहा - "मै करूँगा उनकी मदद"
Joshimath Disaster : काशी के एक 10 साल के मासूम को इतना विचलित कर दिया कि खुद को रोक नही पाया और मानव की गलतियों के आगे मानवता की मिसाल बन कर पूरी मानव जाति से जोशीमठ के लोगों के मदद के लिए गुहार लगाई है।
उत्तराखंड के जोशीमठ में आई प्राकृतिक आपदा ने प्रकृति के उस रूप को दुनियां के सामने रखा है जो निश्चित तौर पर मानव की गलतियों का नतीजा कहा जा सकता है और इस आपदा ने न केवल मानव की सोच को बल्कि विज्ञान को भी चुनौती दिया है। सदियों से हमारे पूर्वजों ने कहा है कि प्रकृति के साथ कभी खिलवाड़ नही करना चाहिए क्योंकि प्रकृति कभी माफ नही करती, भले ही विज्ञान की मदद से मानव चांद को छूने में कामयाब हो गया लेकिन चांद को धरती पर नही ला सकता। ऐसा ही कुछ देखने मिल रहा है भारत के जोशीमठ में। जिसके वजह से न सिर्फ वहां के रहने वाले बल्कि देशभर के लोगों को झकझोर के रख दिया। वहां के लोगों को घर छोड़कर जाने को मजबूर कर दिया। यही नही आज जोशीमठ के लोगों के सामने खाने-पीने की बड़ी समस्या है। इस आपदा ने यहां के लोगों की चैन की नींद उड़ा दी है अनगिनत परेशानियों ने न सिर्फ बड़ो को बल्कि बच्चों को भी बेवक्त रुला दिया है।
जोशी मठ से आ रही वीडियो को देख मासूम का दिल मर्माहित
सोशल
मीडिया
पर
जोशीमठ
से
जिस
तरह
की
वीडियो
सामने
आ
रही
है
उसे
देख
इंसानो
की
रूह
कांप
जा
रही
है,
लोगों
की
आंखे
नम
हो
जा
रही
है।
सोशल
मीडिया
पर
वायरल
हो
रही
ऐसी
ही
कुछ
तस्वीरों
ने
काशी
के
एक
10
साल
के
मासूम
को
इतना
विचलित
कर
दिया
कि
खुद
को
रोक
नही
पाया
और
मानव
की
गलतियों
के
आगे
मानवता
की
मिसाल
बन
कर
पूरी
मानव
जाति
से
जोशीमठ
के
लोगों
के
मदद
के
लिए
गुहार
लगाई
है।
जोशीमठ
के
लोगों
के
लिए
तोड़
दी
अपनी
जमा-पूंजी
की
गुल्लक
दरअसल
जिस
मासूम
ने
दुनिया
भर
के
लोगों
से
मदद
मांगी
है
वह
10
साल
का
मासूम
काशी
के
रहने
वाला
शिवांश
शर्मा
है।
इस
आपदा
में
परेशान
लोगों
और
वहां
के
ज्योतिष
मठ
में
रह
रहे
साधु-संतों
के
खान-पान
और
अन्य
चीजों
के
लिए
अपने
गुल्लक
तोड़कर
मदद
का
हाथ
आगे
बढ़ाया
है।
भले
ही
मदद
के
लिए
दी
गई
धनराशि
ज्यादा
नहीं
है,
लेकिन
एक
बच्चे
की
भावनाओं
की
कीमत
इस
धनराशि
से
कहीं
ज्यादा
है।
वाराणसी
के
शिवांश
शर्मा
एक
धार्मिक
और
व्यवसायिक
परिवार
से
जुड़े
हैं।
वाराणसी
के
एक
इंग्लिश
मीडियम
स्कूल
में
कक्षा
चार
में
पढ़ने
वाला
शिवांश
2
दिन
पहले
अपने
पिता
अजय
शर्मा
के
मोबाइल
में
ज्योतिष
मठ
में
आई
आपदा
के
वीडियो
देख
रहा
था।
सोशल
मीडिया
प्लेटफॉर्म
पर
लगातार
सामने
आ
रहे
दर्दनाक
वीडियो
से
इतना
विचलित
हुआ
कि
उसने
अपनी
गुल्लक
तोड़
दी।
गुल्लक को तोड़ता देख मासूम बेटे का जवाब सुनकर चौक गए पिता
शिवांश
के
पिता
अजय
शर्मा
का
कहना
है
कि
बेटे
को
गुल्लक
तोड़ता
देख
कर
हम
सभी
ने
उससे
पूछा
कि
गुल्लक
क्यों
तोड़
रहे
हो
जिस
पर
उसने
पैसे
गिनते
हुए
जवाब
दिया
तो
मैं
भी
आश्चर्य
चकित
रह
गया।
जवाब
था
कि
जोशीमठ
में
आई
आपदा
और
वहां
पर
रह
रहे
संत
और
अन्य
लोगों
को
खाने
पीने
के
लिए
परेशानी
उठानी
पड़
रही
है।
इसलिए
मैं
यह
पैसे
उन
लोगों
की
मदद
के
लिए
भेजूंगा।
अपने
बेटे
की
इस
सोच
से
प्रभावित
पिता
भी
खुद
को
रोक
नही
पाए
और
उसकी
मदद
के
लिए
हाथ
बढ़ाया।
स्वामी
अविमुक्तेश्वरानंद
सरस्वती
के
कार्यालय
से
किया
संपर्क
मासूम
बेटे
की
मासूमियत
को
मानव
जाति
के
लिए
मिशाल
बनता
देख
पिता
ने
बेटे
की
मदद
की।
बताया
वीडियो
देखकर
वह
इतना
विचलित
हो
गया
कि
उसने
अपनी
गुल्लक
तोड़नी
शुरू
कर
दी।
पिता
ने
जब
शिवांश
को
गुल्लक
तोड़ते
हुए
देखा
तो
पूछा
कि
वह
ऐसा
क्यों
कर
रहा
है?
शिवांश
ने
जवाब
दिया
कि
जोशीमठ
में
आई
आपदा
और
वहां
पर
रह
रहे
संत
और
अन्य
लोगों
को
खाने-पीने
के
लिए
परेशानी
उठानी
पड़
रही
है,
इसलिए
इन
पैसों
को
उन
लोगों
की
मदद
के
लिए
भेजूंगा।
शिवांश
के
पिता
अजय
शर्मा
ने
बताया
कि
उन्हें
मदद
करने
का
कोई
रास्ता
नहीं
नजर
आया
तो
उन्होंने
स्वामी
अविमुक्तेश्वरानंद
सरस्वती
के
कार्यालय
से
संपर्क
किया।
इसके
बाद
वहां
से
मिले
बैंक
खाते
में
मासूम
के
गुल्लक
से
निकले
जमा-पूंजी
के
वो
10
हजार
रुपए
की
धनराशि
को
भेज
दिया
गया।
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10 साल के मासूम शिवांश ने भले ही अपने नन्हे हांथो से अपने मिट्टी के बने गुल्लक को तोड़ कर जोशीमठ के लोगों के मदद के लिए कदम बढ़ाया है। लेकिन क्या अन्य जनपद, राज्य और देश के लोग इस सोच को आगे बढाने में कामयाब होंगे, क्या हम दुबारा जोशीमठ के लोगो को नया जीवन मिलेगा। क्या वर्तमान में बेकाबू स्थिति से उन्हें उबार पाएंगे, क्या उनकी जरूरतों को पूरा कर पाएंगे, क्या जोशीमठ के लोगों के आंसुओ को रोक पाएंगे। ऐसे अनगिनत सवाल लोगों के दिल और दिमाग मे चल रहे होंगे। लेकिन सच यही है कि मासूम शिवांश ने जो सन्देश दिया उसे आगे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है। हम जोशीमठ को पुनः जीवंत रूप दे सकते है और इसके लिए हर किसी को आगे बढ़ कर आना होगा।