Lumpy Virus: आधे गुजरात में फैला यह रोग, 1 चरवाहे की 100 गायें मरीं, चारागाह बना कब्रगाह
वडोदरा। लंपी स्किन डिजीज (lumpy virus) ने देश के कई राज्यों में कोहराम मचा रखा है। यह एक खतरनाक त्वचा रोग है, जो वायरल होकर फैल रहा है, मवेशियों को मार रहा है। अकेले गुजरात में इस रोग ने हजारों मवेशियों की जिंदगी लील ली है। अब तक इसका संक्रमण गुजरात के 23 जिलों में फैल चुका है। राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए टास्क फोर्स का गठन किया। इससे पहले, 14 जिलों को "नियंत्रित जिले" घोषित करने के आदेश जारी किए, जिसमें मवेशियों के परिवहन और पशु मेला आयोजित करने पर रोक लगाई गई थी।
23 जिलों में फैल चुका लंपी का संक्रमण
सरकार ने लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी/लम्पी वायरस) के निदान के लिए वैक्सीनेशन अभियान शुरू कराया है। हालांकि, इस डिजीज का प्रकोप बहुत तेजी से फैलता जा रहा है। अगस्त की शुरूआत तक दक्षिण गुजरात इसके प्रकोप से बचा हुआ था, लेकिन अब यह वायरस वहां भी पहुंच गया है। वलसाड जिले में पाया गया है, जहां डेयरी की गायों में गांठदार वायरस के लक्षण देखे गए हैं। वलसाड गौशाला में लम्पी वायरस के 3 मामले सामने आए हैं। इसलिए स्वास्थ्य टीम डॉक्टरों को लेकर गौशाला पहुंच गई है।
हजारों पशुओं में मिले वायरस के लक्षण
पशुपालन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि, कई स्थानों पर पशु चिकित्सकों ने गायों का टीकाकरण कर प्रभावित गायों को आइसोलेट कर दिया है। हालांकि, बहुत से ऐसे इलाके हैं, जहां संदिग्ध गांठ वाले वायरस की चपेट में आ चुकी गायों को रखने की कोई व्यवस्था नहीं है। उदाहरण के लिए, हिम्मतनगर में संदिग्ध लम्पी वायरस वाली एक गाय घूमती मिली, जिससे स्थानीय लोगों में हड़कंप मच गया। शहर में अन्य जानवरों में लम्पी वायरस फैलने की आशंका से लोग बड़े चिंतित हैं। एक नागरिक ने कहा कि, संक्रमित गाय शहर के छापरिया इलाके में घूम रही है...और प्रशासनिक टीम उसे पकड़ने नहीं आईं। यह लापरवाही है कि, संदिग्ध रोग से पीडि़त गाय का सैंपल भी नहीं लिया गया। यह गाय शहरभर में घूम चुकी है, जो अन्य जानवरों को भी संक्रमित करेगा।
वैक्सीनेशन के बावजूद प्रकोप बढ़ रहा
3 दिन पहले इस रेाग से गुजरात के 16 जिलों में पशु संक्रमित पाए गए। हाल में राजकोट पुलिस आयुक्त राजू भार्गव ने भी इस रोग को फैलने से रोकने के लिए अधिसूचना जारी की। कुछ लोगों का कहना है कि, सरकार का टीकाकरण अभियान भी इस रोग के प्रसार को रोकने के लिए काम नहीं कर रहा है। वहीं, दक्षिण गुजरात के वलसाड जिले में भी इसके लक्षण पाए जाने पर प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
हेल्पलाइन नंबर-1962 से मिल रही मदद
सरकार की ओर से पशुपालकों को हेल्पलाइन नंबर-1962 के जरिए मदद पहुंचाई जा रही है। राजकोट के एक पशुपालक ने कहा कि, हमने हेल्पलाइन 1962 को कॉल किया था। उसके कुछ समय बाद टीम आई तो मवेशी का इलाज किया गया। वहीं, राजकोट के एक चिकित्सक ने कहा कि, यह रोग अब तक आधे से ज्यादा गुजरात में पहुंच चुका है। सौराष्ट्र-कच्छ से शुरू होकर अब लम्पी वायरस दक्षिण गुजरात तक देखा जा रहा है। पता नहीं इस वायरस ने गुजरात के कई पशुओं को प्रभावित किया है। गायों के मृतदेहों का ढेर जगह-जगह लगा हुआ है। इससे दूध उत्पादन को भी बड़े पैमाने पर नुकसान होगा।
एक चरावाहे की 100 गायों ने दम तोड़ा
एक बड़ी दुखद खबर कच्छ से आई है। यहां कच्छ के भुजपुर गांव के एक चरावाहे अल्ताफ बाफन (26) के पास जुलाई की शुरुआत में, लगभग 450 गाएं थीं। वह भुजपुर के विभिन्न निवासियों के स्वामित्व वाले मवेशियों को भी चराने के लिए किराए पर बाहर ले जाता था। उसका दिल तब दहल गया, जब लम्पी स्किन डिजीज (एलएसडी) से कम से कम 100 गायों की मौत हो गई। अब उसके पास गायों का झुंड सिकुड़ गया है। उसने बताया कि, दो गायों की मौत हाडाकुडी चरागाह पर हुई, जहां वह मवेशियों को चराने के लिए ले जाता था। उसने कहा कि, चारागाह अब पशु कब्रिस्तान में तब्दील हो गया है।