उत्तराखंड में भितरघात के मामले में कार्रवाई से बचने के पीछे क्या है भाजपा की रणनीति, जानिए
भितरघात पर कार्रवाई करने से पहले परिणाम का है इंतजार
देहरादून, 18 फरवरी। उत्तराखंड भाजपा में इन दिनों चुनाव परिणाम से ज्यादा भितरघात को लेकर चर्चा है। पार्टी को कई सीटों पर भितरघात का डर सताने लगा है। इतना ही नहीं 3 विधायक खुलकर मीडिया के सामने भितरघात का आरोप लगा चुके हैं, जिसमें सबसे बड़ा आरोप पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर ही लगा है। लेकिन पार्टी सूत्रों का दावा है कि पार्टी हाईकमान फिलहाल भितरघात के मामले में कार्रवाई करने से बच रही है। जिसका कारण परिणाम आने से पहले ही भितरघात को स्वीकार करने से होने वाला नुकसान बताया जा रहा है। इस स्थिति में पार्टी चुनाव परिणाम का इंतजार करेगी।
केन्द्रीय नेतृत्व कर रहा मॉनिटरिंग
प्रदेश में 14 फरवरी को सभी 70 सीटों पर मतदान सम्पन्न हो चुका है। लेकिन मतदान सम्पन्न होते ही भाजपा में भितरघात के आरोपों ने पार्टी को असहज स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। अब मामला दिल्ली तक पहुंच गया है। केन्द्रीय नेतृत्व ने मामले की रिपोर्ट तलब की है। लेकिन फिलहाल कोई कार्रवाई करने से बचती नजर आ रही है। पार्टी इस समय चुनाव परिणामों का भी इंतजार कर रही है। चुनाव परिणाम ही इन आरोपों को भी सही या गलत साबित कर सकती है। हालांकि प्रदेश स्तर के संगठन मंत्री भी इसकी जांच कर रहे हैं जो कि रिपोर्ट हाईकमान को सौंपेंगे। लेकिन इस रिपोर्ट पर कार्रवाई तुरंत हो ऐसा लगता नहीं है। पार्टी फिलहाल पूरे मामले में डेमेज कंट्रोल करने में जुटी है। हाईकमान ने विधायकों के आरोपों की रिपोर्ट तलब की है। साथ ही मीडिया में दिए बयानों को भी तलब किया गया है। भाजपा हाईकमान को इस प्रकरण से चुनावी नुकसान होने का खतरा लग रहा है। ऐसे में तुरंत जांच के निर्देश दे दिए हैं।
3 विधायकों ने लगाया है आरोप
चुनाव प्रक्रिया खत्म होते ही भाजपा के 3 विधायकों ने भितरघात का आरोप लगाया है। सबसे बड़ा आरोप लक्सर विधायक संजय गुप्ता ने प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर लगाया है। विधायक ने उन्हें हराने का आरोप लगाया है। पार्टी के दूसरे विधायक कैलाश गहतोड़ी ने चंपावत सीट पर पार्टी कार्यकर्ताओं पर खुलकर भितरघात का आरोप लगाया है। इसके अलावा काशीपुर विधायक हरभजन सिंह चीमा ने भी अपने बेटे त्रिलोक सिंह चीमा के चुनाव लड़ने पर भितरघात का दावा किया है। इन सभी विधायकों के आरोपों की जांच भाजपा ने प्रदेश संगठन मंत्री से कराने के निर्देश दिए हैं। जिसकी जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद हाईकमान को भेजी जाएगी।
परिणाम बाद कार्रवाई संभव
इससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी खुद मामले की गंभीरता से लेते हुए खुद भी विधायकों से बातचीत की है। हालांकि पार्टी अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में भी है। जिसके लिए 10 मार्च का इंतजार किया जा रहा है। चुनाव परिणाम विपरीत आने पर आरोपियों पर कार्रवाई भी संभव है। फिलहाल पार्टी जल्दबाजी में कोई बड़ा एक्शन नहीं लेना चाहेगी। जिससे गलत संदेश जाए और विपक्ष को ये मौका मिले, कि पार्टी के अंदर भितरघात के आरोपों की जांच सही पाने के बाद ही कार्रवाई हुई है। ऐसे में पार्टी को दूसरी सीटों पर भी नुकसान की आशंका है। पार्टी इन सभी मसलों पर चुनाव परिणाम आने के बाद ही समीक्षा करेगी। हार या जीत के आधार पर ही रिपोर्ट को आधार बनाकर कार्रवाई संभव है।
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