केदारनाथ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए जरूरी खबर, भक्तों के लिए बंद किया गया गर्भगृह, जानें वजह
केदारनाथ धाम में गर्भगृह में प्रवेश अस्थायी तौर पर बंद
देहरादून, 20 सितंबर। अगर आप केदारनाथ धाम दर्शन के लिए सोच रहे हैं तो ये खबर आपके काम की है। केदारनाथ धाम में गर्भगृह में प्रवेश अस्थायी तौर पर बंद कर दिया गया है। भक्तों को सभामंडप से ही दर्शन कराए जा रहे हैं। इसके पीछे की वजह मंदिर में उमड़ रही भक्तों की भीड़ बताई जा रही है। वर्तमान में मंदिर 14 से 15 घंटे खुल रहा है।
मंदिर के गर्भगृह से दर्शन व्यवस्था बंद
बारिश का क्रम कम होते ही केदारनाथ धाम में एक बार फिर श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। भीड़ बढ़ते ही बीकेटीसी ने मंदिर के गर्भगृह से दर्शन व्यवस्था बंद कर दी है। बीते दस दिनों से केदारनाथ में यात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस वजह से भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मंदिर में नई व्यवस्था बनाई गई है। बीते तीन दिनों से सभामंडप से ही भक्तों को दर्शन कराए जा रहे हैं।
रात नौ बजे तक कराए जा रहे दर्शन
दर्शन का समय सुबह पांच बजे से दर्शन अपराह्न तीन बजे तक कराए जा रहे हैं। इसके बाद आराध्य को भोग लगाया जा रहा है, जिसके चलते एक से डेढ़ घंटे के लिए मंदिर को बंद किया जा रहा है। साढ़े चार बजे से फिर से मंदिर में दर्शन शुरू हो रहे हैं जो रात नौ बजे तक कराए जा रहे हैं।
श्रद्धालुओं का आंकड़ा 12 लाख पहुंच गया
केदारनाथ में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा 12 लाख पहुंच गया है। यात्रा में अब एक माह की शेष बचे हैं। जिस तरह की भीड़ उमड़ रही है, ऐसे में यात्रियों की संख्या 15 लाख पहुंचने की उम्मीद जताई गई है। फिलहाल 15 अक्टूबर तक ये व्यवस्था बनाई गई है।
केदारनाथ धाम में ही यात्रियों को गर्भ गृह के दर्शन करने की अनुमति
चारों धाम में केदारनाथ धाम में ही यात्रियों को गर्भ गृह के दर्शन करने की अनुमति होती है। जबकि बद्रीनाथए गंगोत्री और यमुनोत्री में श्रद्धालु बाहर से ही दर्शन करते हैं। केदारनाथ मन्दिर उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग जिले में है। केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है।
मन्दिर में मुख्य भाग मंडप और गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ
पत्थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडव वंश के जनमेजय ने कराया था। यहां स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया। यह मन्दिर एक छह फीट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है। मन्दिर में मुख्य भाग मंडप और गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ है। बाहर प्रांगण में नन्दी बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं। मन्दिर का निर्माण किसने करायाए इसका कोई प्रामाणिक उल्लेख नहीं मिलता हैए कहा जाता है कि इस मन्दिर का जीर्णोद्धार आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था।
गर्भगृह की दीवारों में सोने की परत लगाने का काम किया जा रहा
उधर केदारनाथ मंदिर को भव्य बनाने की दिशा में मंदिर समिति ने पहल की है। गर्भगृह की दीवारों, जलेरी और खंभों में सोने की परत लगाने का काम किया जा रहा है। इसके लिए एक दानदाता ने मंदिर में सोने की परत का काम कराने का अनुरोध किया था। जिस पर बद्री केदार मंदिर समिति ने शासन से इसकी परमिशन ली। अब परमिशन मिलने के बाद काम शुरू कर दिया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 2017 में एक दानीदाता के सहयोग से बीकेटीसी ने गर्भगृह की दीवारों पर चांदी की परत चढ़ाई थी। दो क्विंटल और तीस किलोग्राम से अधिक चांदी से गर्भगृह की जलेरी, छत्र को भी चांदी से सजाया गया था। लगभग तीन वर्ष पूर्व केदारनाथ मंदिर के मुख्य द्वार पर भी अलग से चांदी का दरवाजा लगाया गया है। अब केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों से चांदी की परतें निकाल दी गई है। अब गर्भगृह की दीवारों, जलेरी और खंभों में सोने की परत लगाई जाएगी। यह कार्य अक्तूबर तक पूरा हो जाएगा। सोने की जो परतें लगाई जाएंगी वह लेमिनेट होंगी जिनकी चमक कम नहीं होगी और इन्हें आसानी से पानी से भी धोया जा सकेगा
ये भी पढ़ें-पशुओं में आई लंपी बिमारी को लेकर बाबा रामदेव का बड़ा बयान, पाकिस्तान की और से आई है बीमारी