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ये हैं वो 3 वजहें, जिनके चलते पंजाब कांग्रेस प्रभारी पद से होगी हरीश रावत की विदाई

पंजाब कांग्रेस प्रभारी पद से होगी हरीश रावत की विदाई

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देहरादून, 2 अक्टूबर। उत्तराखंड में कांग्रेस की चुनाव अभियान की कमान संभाल रहे पूर्व सीएम हरीश रावत अब पूरा फोकस उत्तराखंड पर ही करेंगें। कांग्रेस हाईकमान हरीश रावत को पंजाब की टेंशन से कार्यमुक्त करने की तैयारी में हैं। हरीश रावत से कांग्रेस का प्रभार वापस लिया जा सकता है। हरीश रावत खुद भी कई बार हाईकमान से अपनी जिम्मेदारियों को कम करने की गुजारिश कर चुके हैं। इसके पीछे हरीश रावत का कारण उत्तराखंड पर फोकस करना है। हरीश रावत की इस गुजारिश का हाईकमान ने संज्ञान लिया है। अब हरीश रावत चुनाव तक पूरी तरह उत्तराखंड में सक्रिय रहेंगें।

दोहरी जिम्मेदारी से पड़ रहा था हरदा पर असर

दोहरी जिम्मेदारी से पड़ रहा था हरदा पर असर

पंजाब में कांग्रेस के अंदर चल रही खींचतान का असर उत्तराखंड की राजनीति पर भी पड़ा है। पंजाब में जो भी प्रकरण हुए उसमें हरीश रावत को बतौर प्रभारी एक्टिव होना पड़ा। हरीश रावत ने भी अपनी दोनों जिम्मेदारियों को बखूबी निभाने की कोशिश भी की। लेकिन हरीश रावत इस विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड पर फोकस करना चाहते हैं। इसके पीछे उनका उत्तराखंड में सीएम पद का चेहरा बनने की इच्छा है। बतौर पंजाब प्रभारी वे उत्तराखंड पर पूरी तरह से फोकस नहीं कर पा रहे थे। इतना ही नहीं कई बार वे कांग्रेस के बड़े कार्यक्रमों को भी बीच में छोड़कर पंजाब का मुद्दा सुलझाते नजर आए। पंजाब की टेंशन का कोई हल निकलता न देख हरीश रावत ने पंजाब प्रभारी पद से कार्यमुक्त होने की इच्छा जता दी।

पंजाब प्रकरण से उत्तराखंड पकड़ कमजोर

पंजाब प्रकरण से उत्तराखंड पकड़ कमजोर

हरीश रावत को पंजाब की टेंशन से कई परेशानियां भी हुई। पहली उनकी इमेज पंजाब की टेंशन से साथ खराब होती चली गई। सिद्धू और कैप्टन के बीच हुए विवाद को न सुलझा पाने, सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को बनाए जाने और नवजोत सिंह सिद्धू के कांग्रेस अध्यक्ष से इस्तीफा, कैप्टन अमरिंदर के कांग्रेस छोड़ने के चलते हरीश रावत पर कांग्रेसी भी हमलावर होते गए। जो कि हरीश रावत की कार्यक्षमता पर भी सवाल था। इसके बाद हरीश रावत के सामने बड़ा चेलेंज उत्तराखंड में कांग्रेस के अंदर अपना दबदबा कायम रखना है। उत्तराखंड कांग्रेस में हरीश रावत के अलावा प्रीतम सिंह और किशोर उपाध्याय ही एक्टिव हैं। जो​ कि हरीश रावत के सामने लगातार चुनौतियां खड़ी कर रहे हैं। इतना ही नहीं प्रीतम और​ किशोर हरीश रावत के विकल्प के तौर पर पार्टी के सामने खड़े हैं। हरीश रावत के कमजोर होते ही पार्टी ​प्रीतम और किशोर को लेकर भी विचार कर सकती है। लेकिन पार्टी के बड़े फैसलों में इस समय हरीश रावत की छाप नजर आ रही है। ऐसे में पंजाब पर फोकस करने से हरीश रावत की उत्तराखंड से पकड़ कम होने का डर सता रहा था।

भाजपा को भी मिला मौका

भाजपा को भी मिला मौका

हरीश रावत के लिए उत्तराखंड में भाजपा भी हमलावर थी। पंजाब प्रकरण को लेकर भाजपा हरीश रावत पर जमकर प्रहार करने में जुटी थी। जो भी पंजाब की राजनीति में उठापटक होती उसके लिए हरीश रावत पर जमकर निशाना साधा जा रहा था। हरीश रावत पंजाब प्रकरण के लिए खुद की ​छवि को कभी भी धूमिल होते नहीं देखना चाहते हैं। ऐसे में चुनाव से पहले ही खुद को पंजाब की टेंशन से दूर करना चाहते थे। पंजाब प्रभारी से हटने से पहले वे शुक्रवार को उत्तराखंड में मीडिया के सामने आकर अपना पक्ष भी रख चुके हैं। शुक्रवार को ही हरीश रावत संकेत दे चुके थे कि वे अब पंजाब की टेंशन से दूर होने जा रहे हैं। अपना और पार्टी का पक्ष रखकर वे अभी तक के सभी प्रकरण से खुद को किनारा कर चुके हैं। इतना ही नहीं वे कांग्रेस की आगे की नीतियों को भी सामने रखकर ये संकेत दे चुके हैं कि वे उत्तराखंड पर ही फोकस कर रहे हैं।

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English summary
These are the 3 reasons, due to which Harish Rawat will be farewell from the post of Punjab Congress in-charge
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