उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून में तीसरा विधानसभा भवन एक बार फिर सुर्खियों में, जानिए क्या है मामला
देहरादून के रायपुर में प्रस्तावित है विधानसभा भवन
देहरादून, 9 जुलाई। उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून के अलावा ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसेंण में विधानसभा भवन का निर्माण हो चुका है। लेकिन अब तीसरा विधानसभा भवन एक बार फिर सुर्खियों में है। जो कि देहरादून के रायपुर में प्रस्तावित है। इसमें अभी पर्यावरणीय स्वीकृति का पेंच फंसा है।
करीब
60
हेक्टेयर
भूमि
ट्रांसफर
रायपुर
विधानसभा
क्षेत्र
में
प्रस्तावित
विधानसभा
भवन
के
निर्माण
के
लिए
राज्य
सरकार
को
करीब
60
हेक्टेयर
भूमि
ट्रांसफर
हो
चुकी
है।
शेष
भूमि
के
लिए
अभी
केंद्रीय
वन
एवं
पर्यावरण
मंत्रालय
से
अंतिम
मंजूरी
नहीं
मिली
है।
वन्यजीवों
की
सुरक्षा
को
लेकर
एक
प्लान
केंद्रीय
मंत्रालय
को
भेजा
जाएगा।
इसके
बाद
ही
वन
भूमि
हस्तांतरण
की
प्रक्रिया
पूरी
हो
पाएगी।
केंद्रीय
वन
एवं
पर्यावरण
मंत्रालय
से
सैद्धांतिक
मंजूरी
पूर्व
में
मिल
चुकी
है।
आसपास
वनीय
क्षेत्र
होने
की
वजह
से
मंत्रालय
ने
कुछ
शर्तें
लगाई
हैं,
जिनके
वन्यजीवों
की
सुरक्षा
को
लेकर
एक
योजना
का
प्रस्ताव
तैयार
होना
है।
वन
विभाग
के
मुताबिक,
प्रस्ताव
तैयार
कर
केंद्रीय
मंत्रालय
को
भेजा
जाएगा।
रायपुर
में
है
प्रस्तावित
भवन
देहरादून
में
वर्तमान
में
जो
विधानसभा
भवन
है
वह
विकास
भवन
की
बिल्डिंग
है।
इसमें
विधानसभा
भवन
के
अनुरूप
सुविधा
नहीं
है।
गैरसेंण
के
भराड़ीसैंण
में
भी
विधानसभा
भवन
का
निर्माण
किया
जा
रहा
है।
अस्थाई
राजधानी
देहरादून
में
रायपुर
में
नई
विधानसभा
और
सचिवालय
भवन
निर्माण
के
लिए
करीब
300
एकड़
यानी
करीब
121.45
हेक्टेयर
भूमि
चिह्नित
है।
इसमें
से
करीब
60
हेक्टेयर
भूमि
पर
वनीय
स्वीकृति
मिल
चुकी
है।
इसके
लिए
2017
में
ही
राज्यसंपत्ति
विभाग
7.62
करोड़
रुपये
वन
विभाग
में
जमा
करा
चुका
है।
शेष
करीब
61
हेक्टेयर
भूमि
के
लिए
उसे
करीब
16
करोड़
रुपये
जमा
कराने
हैं।
राज्यसंपत्ति
विभाग
ने
अभी
यह
धनराशि
जमा
नहीं
कराई
है।
इस
भवन
के
पास
ही
सचिवालय
और
आवास
प्रस्तावित
हैं।
कांग्रेस
ने
सरकार
को
घेरा
देहरादून
के
रायपुर
में
तीसरा
विधानसभा
भवन
को
लेकर
राज्य
सरकार
की
पहल
पर
राजनीति
भी
शुरू
हो
गई
है।
मुख्य
विपक्षी
कांग्रेस
ने
इस
पर
धामी
सरकार
को
घेरा
है।
पूर्व
सीएम
हरीश
रावत
ने
आरोप
लगाए
है
कि
धामी
सरकार
एक
उत्तराखंड
द्रोही
कदम
उठाए
इसकी
साजिश
आगे
बढ़ाई
जा
रही
है।
हरीश
रावत
ने
सोशल
मीडिया
के
जरिए
पोस्ट
किया
है
कि
2013
में
जब
तत्कालीन
मंत्रिमंडल
ने
गैरसैंण-भराड़ीसैंण
में
विधानसभा
भवन
बनाने
का
निश्चय
किया,
उसी
दिन
देहरादून
वापस
आकर
कुछ
लोगों
ने
एक
दूसरे
विधानसभा
भवन
और
सचिवालय
निर्माण
के
षड्यंत्र
की
नींव
भी
रखी
और
भारत
सरकार
से
वन
भूमि
की
क्लीयरेंस
मांगी।
जिस
क्लीयरेंस
को
आने
वाली
सरकारों
ने
छोड़
देने
का
निर्णय
किया।
हरदा
ने
आगे
लिखा
है
कि
प्रबल
जीत
के
जश्न
में
डूबी
हुई
भाजपा
और
उनके
जश्न
से
खुश
हो
रहा
उत्तराखंड,
को
अनजान
में
रखकर
इस
वन
भूमि
के
एक
और
विधानसभा
भवन
सचिवालय
आदि
निर्माण
के
लिए
अनुमति
प्राप्त
कर
दी
गई
है।
उन्होंने
कहा
कि
पहले
से
ही
भाजपा
की
नई
सरकार
के
धोखे
से
कि
भराड़ीसैंण
में
बजट
सत्र
आहूत
न
करने
और
ग्रीष्मकालीन
राजधानी
को
महज
एक
धोखा
बनाकर
छोड़
देने
से
सुलग
रही
आग
को
यह
प्रचंड
आग
में
बदलने
वाला
कदम
जिसने
भी
उठाया
है
और
जिसके
भी
कहने
पर
यह
उठाया
गया
है
जो
भी
शक्तियां
इस
षड्यंत्र
के
पीछे
हैं,
वह
वर्तमान
सरकार
की
हितैषी
है
या
नहीं
है,
मैं
नहीं
जानता।
मगर
वह
उत्तराखंड
के
द्रोही
अवश्य
हैं।
हरदा
ने
कहा
कि
इसके
खिलाफ
वे
लड़ेंगे।