38 साल बाद घर लौटा सियाचिन में शहीद लांस नायक चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर, अब दो अन्य शहीद परिवारों को भी जगी आस
सियाचिन में शहीद चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर हल्द्वानी पहुंचा
देहरादून, 16 अगस्त। सियाचिन में शहीद हुए लांस नायक चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर 38 साल बाद आज हल्द्वानी पहुंच गया है। इस दौरान पूरा इलाका तिरंगामय और भारत माता के जयघोष के साथ देशभक्ति माहौल हो गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शहीद को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए दूर-दूराज क्षेत्रों से लोग पहुंचे थे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की
बुधवार को शहीद लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का पार्थिव शरीर घर पर लाया गया। जहां तकरीबन 10 मिनट परिजनों को अंतिम दर्शन कराए गए। इसके बाद शहीद के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि स्थल पर लाया गया है। यहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की। सियाचिन में 38 साल पहले शहीद हुए लांस नायक चंद्रशेखर का पार्थिव देह खराब मौसम के चलते मंगलवार को घर नहीं लाया जा सका था।
मई 1984 में सियाचिन में पेट्रोलिंग के दौरान हुए थे शहीद
मई 1984 में सियाचिन में पेट्रोलिंग के दौरान 20 सैनिकों की टुकड़ी ग्लेशियर की चपेट में आ गई थी। इनमें लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला भी शामिल थे। बीते 14 अगस्त को उनके परिजनों को पार्थिव शरीर मिलने सूचना दी गई थी।
नायक दया किशन जोशी और सिपाही हयात सिंह भी शहीद हुए थे
वर्ष 1984 में सियाचिन की चोटी पर गई यूनिट में शहीद लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला के साथ नायक दया किशन जोशी और सिपाही हयात सिंह भी शहीद हुए थे। चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर घर आने के बाद अब दूसरे परिवारों को भी उनके शहीदों के पार्थिव शरीर घर आने की उम्मीद जग गई है।
मात्र 24 साल में ही सिपाही हयात सिंह शहीद हो गए थे
सिपाही हयात सिंह की वीरांगना बच्ची देवी ने बताया कि मात्र 24 साल में ही सिपाही हयात सिंह शहीद हो गए थे, उनकी नौकरी को पांच साल छह महीने ही हुए थे। उस समय उनका बेटा राजेंद्र तीन साल का था। बेटी गर्भ में थी। पिता की शहादत के पांच माह बाद बेटी पुष्पा का जन्म हुआ। बच्ची देवी मूल रूप से रीठा साहिब की हैं। 16 साल से हल्द्वानी के भट्ट विहार स्थित कृष्णा कॉलोनी में रह रही हैं। वर्ष 1978 में शहीद हयात सिंह फौज में भर्ती हुए थे। दो महीने की छुट्टी पर घर आए थे। एक महीने की छुट्टी के बाद अचानक चिट्ठी आई और छुट्टी रद्द करके उन्हें बुला लिया गया था। बच्ची देवी इस समय अपने बेटे राजेंद्र के साथ रहती हैं। बेटी पुष्पा शादी के बाद लखनऊ में रह रही हैं।
1984 में छुट्टी पर आने वाले थे नायक दयाकिशन जोशी
नायक दयाकिशन जोशी का परिवार आवास विकास हल़्द्धानी में रहता है। परिवार में पत्नी विमला जोशी और दो बेटे हैं। वर्ष 1984 में उनके पति छुट्टी पर आने वाले थे। लेकिन सियाचिन पर तैनात होने के कारण शहीद हो गए।उस दौरान उनका बड़ा बेटा संजय तीन साल का और छोटा भास्कर एक साल का था। विमला जोशी ने विपरीत परिस्थितियों में परिवार का पालन पोषण किया। उनके बड़े बेटे संजय 9.कुमाऊं रेजीमेंट ;लखनऊ में तैनात हैं और छोटा बेटा भास्कर निजी क्षेत्र में नौकरी कर रहे हैं।
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