अब उत्तराखंड के पहाड़ों में महकेगा कश्मीर का केसर, हर्षिल घाटी में खिले फूल
अब उत्तराखंड के पहाड़ों में महकेगा कश्मीर का केसर, हर्षिल घाटी में खिले फूले
देहरादून, 3 नवंबर। केसर की खुशबू का जब भी जिक्र होता है तो कश्मीर की वादियों की याद ताजा हो जाती है। लेकिन अब केसर की खुशबू उत्तराखंड के पहाड़ों में भी महकने लगी है। उत्तराखंड में सेब के लिए प्रसिद्ध हर्षिल घाटी केसर की खुशबू से महकने लगी है। भारत सरकार के कृषि विज्ञान केन्द्र ,जिला प्रशासन और उद्यान विभाग की पहल पर पहली बार कश्मीर की तर्ज पर हर्षिल घाटी में केसर की खेती को बढ़ावा देने की पहल परवान चढ़ने लगी है। योजना के तहत घाटी के पांच गांवों के काश्तकारों को निशुल्क केसर के कंद रुपी बीज बांटे गए थे। जिनके फूल खिलने से काश्तकारों और स्थानीय लोगों के चेहरे भी खिल उठे हैं।
2018-19 में हुआ था ट्रायल
उत्तराखंड के सीमांज जनपद की उत्तरकाशी की हर्षिल घाटी में सेब और राजमा का उत्पादन होता है। जो कि देश-विदेश तक पहुंचती है। लेकिन अब यह घाटी केसर की खेती के लिए भी जानी जाएगी। घाटी का मौसम व मिट्टी मुफीद होने के चलते कृषि विज्ञान केंद्र ने वर्ष 2018-19 में पहले ट्रायल के तौर पर किसानों को केसर के बीज दिए थे। जो कि सफल हुआ है। इस वर्ष जिला प्रशासन व उद्यान विभाग ने जिला योजना 2021-22 से घाटी के सुक्की, झाला, मुखबा, पुराली व जसपुर गांवों के किसानों को केसर के बीज दिए थे। किसानों ने इनके बीज लगाए, जो कि एक से डेढ़ महीने में ही फूल खिलने शुरू हो गए हैं।
गुणवत्ता की हाेगी जांच
कृषि
विज्ञान
केंद्र
चिन्यालीसौड़
के
उद्यान
विशेषज्ञ
डॉ.
पंकज
नौटियाल
का
कहना
है
कि
हर्षिल
घाटी
में
उत्पादित
हो
रहे
केसर
की
गुणवत्ता
की
जांच
करेगा।
डॉ.
पंकज
नौटियाल
ने
बताया
घाटी
के
तीन
गांवों
की
पांच
जगहों
से
सैंपल
लिए
जाएंगे।
इसके
बाद
लैब
में
केसर
में
मिलने
वाले
क्रोसिन,
क्रोसेटिन
व
सेफ्रेनल
तत्वों
के
आधार
पर
इसकी
गुणवत्ता
परखी
जाएगी।
इसमें
कश्मीर
के
केसर
का
सैंपल
भी
रखा
जाएगा।
इससे
कश्मीर
के
केसर
के
साथ
भी
इसका
तुलनात्मक
परीक्षण
होगा
ताकि
काश्तकारों
को
वाजिब
दाम
मिल
सकें।
मुखबा
गांव
की
राजेश्वरी
सेमवाल
और
उनके
पुत्र
सुधांशु
सेमवाल
ने
बताया
कि
उन्हें
8
किलो
बीज
मिले
थे।
जिनसे
कि
एक
माह
में
फूल
निकलने
लगे।
एक
फूल
से
3
पत्ती
निकल
रही
है।
सुधांशु
ने
बताया
कि
वे
गंगोत्री
धाम
के
पुरोहित
हैं,
केसर
का
इस्तेमाल
वे
मां
गंगा
के
पूजा
में
कर
रहे
हैं।
सुक्की
गांव
के
किसान
मोहन
सिंह
राणा
ने
बताया
कि
उन्हें
6
किलो
बीज
मिले
थे,
जिसे
उन्होंने
22
सितंबर
को
बोया
था।
एक
महीने
के
भीतर
उन
पर
फूल
आने
शुरू
हो
गए
हैं।
15
अक्टूबर
तक
फूल
आते
रहे।
हर्षिल
के
किसान
नागेंद्र
सिंह
रावत
ने
भी
केसर
के
बीज
बोए
थे।
उनके
खेतों
में
भी
फूल
खिल
रहे
हैं।
जानकार
बताते
हैं
कि
एक
किलो
केसर
की
कीमत
2
से
3
लाख
रुपए
तक
मिल
जाते
हैं।
केसर क्यों है खास
केसर दुनिया का सबसे महंगा मसाला है। एक तरह से केसर दुर्लभ मसाला है क्योंकि यह बहुत कम जगहों पर पाया जाता है। इतना दुर्लभ मसाला होने के कारण केसर में औषधीय गुण भी अद्भुत है। केसर को सनसाइन स्पाइस भी कहा जाता है। आयुर्वेद में केसर को पूरे शरीर को स्वस्थ्य रखने का बेहतरीन औषधि माना जाता है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल दूध और दूध से बने रेसिपी में किया जाता है। केसर को लोग यौन शक्ति बढ़ाने की दवा मानते है, लेकिन केसर के अनेक फायदे हैं। केसर में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं कि यह शरीर की प्रत्येक कोशिकाओं को बाहरी हमले से बचाता है। केसर में मौजूद ये एंटीऑक्सीडेंट्स सेल्स में फ्री रेडिकल्स को बनने नहीं देते, जिससे कोशिकाएं क्षतिग्रस्त नहीं होती।
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