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उत्तराखंड त्रासदी में आई एक अच्छी खबर, UP के कुछ 'लापता' मजदूर एक गांव में मिले

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देहरादून: मजदूरों के एक ग्रुप को जिन्हें तीन दिनों से लापता बताया जा रहा था, वह रैनी गांव के अस्थाई हेलीपैड के पास मिले हैं। गांव के इस हिस्से का अभी शहर से संपर्क टूटा हुआ है। इन मजदूरों में से ज्यादातर उत्तर प्रदेश के मेरठ और अमरोहा इलाके के बताए जा रहे हैं। जब इन लोगों से इनके परिवार वालों का कोई संपर्क नहीं हो पा रहा था तो उनकी शिकायत पर इन्हें लापता घोषित कर दिया गया था। अब स्थानीय प्रशासन इन मजदूरों को इनके घर वापस भेजने का इंतजाम कर रहा है।

परिवार की शिकायत पर 'लापता' घोषित हुए थे

परिवार की शिकायत पर 'लापता' घोषित हुए थे

दरअसल, बाढ़ में पुल के बह जान की वजह से रैनी गांव दो हिस्सों में बंट गया था। इसके दूसरे हिस्से का संपर्क जोशीमठ से अभी भी टूटा हुआ है। जिस समय ग्लेशियर टूटने के बाद इलाके में तबाही मची ये सारे मजूदर किसी दूर-दराज के गांव में एक मोबाइल कंपनी का काम कर रहे थे। बाढ़ की वजह से मोबाइल नेटवर्क बाधित होने की वजह से जब वो तीन दिनों तक परिवार वालों से संपर्क नहीं कर सके तो उनके परिवार वालों को लगा कि ये लोग भी बाढ़ में बह चुके हैं। तीन दिन बाद जब इन्होंने किसी तरह से परिवार वालों से संपर्क किया तो पता चला कि उनकी शिकायत पर उन्हें लापता घोषित किया गया है। फिर ये लोग रैनी गांव पहुंचकर आईटीबीपी और स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों को अपनी आपबीती सुनाई। अब जोशीमठ की एसडीएम कुमकुम जोशी को इन लोगों के खाने और यातायात की सुविधा देने की जिम्मेदारी दी गई है।

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तीन दिन चलकर रैनी गांव तक पहुंचे

तीन दिन चलकर रैनी गांव तक पहुंचे

तीन दिनों तक बाढ़ की वजह से फंसे रहे सन्नी दत्त नाम के एक मजदूर ने बताया है कि, 'मैं कुछ और लोगों के साथ एक दूर के गांव में एक कंपनी का मोबाइल नेटवर्क लगाने का काम कर रहा था, तभी हमें बाढ़ की जानकारी मिली। नीचे आने में हमें लगभग तीन दिन लग गए। जब हम उस इलाके में पहुंच गए, जहां मोबाइल नेटवर्क काम कर रहा था, तब हमने हमारे परिवार वालों से संपर्क किया। ' दत्त के साथ काम करने वाले कमिंदर ने कहा कि वो और उसके साथ पांच लोगों को लापता घोषित कर दिया गया था, क्योंकि तीन दिनों तक वह अपने परिवार से संपर्क नहीं कर सके थे। उसने कहा, 'जब हमने अपने परिवार वालों से बात की तो उन्होंने कहा कि स्थानीय पुलिस ने हमें लापता माना है। लेकिन, हमारे फोन से हमारा पूरा परिवार खुश हो गया। वो चाहते हैं कि मैं जल्द से जल्द लौट जाऊं। मुझे उम्मीद है कि आज मैं अमरोहा के लिए निकल जाऊंगा।'

राहत और बचाव का काम जारी

राहत और बचाव का काम जारी

रविवार को चमोली जिले के तपोवन-रैनी इलाके में ग्लेशियर टूटने से भयानक तबाही मची थी। इसके चलते धौलीगंगा और अलगनंदा नदियों में भयानक बाढ़ आ गई थी और कई घरों और ऋषिगंगा पॉवर प्रोजेक्ट को नुकसान पहुंचा था। राज्य सरकार के मुताबिक अभी तक 32 शव बरामद हो चुके हैं और 206 लोगों के अभी भी गायब होने की सूचना है, जिसमें से 25 से 35 के तपोवन सुरंग में फंसे होने की संभावना है। गौरतलब है कि आईटीबीपी, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन के लोग रैनी गांव के दोनों हिस्सों को जोड़ने वाले पुल को चालू करने के लिए दिन-रात लगे हुए हैं।

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English summary
Some of the missing laborers from UP met a village near Raini after the Uttarakhand glacier breakup incident
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