फ्लैशबैक 2021: अक्टूबर में आई प्राकृतिक आपदा ने करा दी 2013 की केदारनाथ जलप्रलय की याद ताजा
2021 में 17 से 19 अक्टूबर के बीच हुई बारिश ने भारी तबाही मचाई
देहरादून, 22 दिसंबर। उत्तराखंड में आपदा कई बार कहर बरपा चुका है। लेकिन 2021 में 17 से 19 अक्टूबर के बीच हुई बारिश ने भारी तबाही मचाई। 2013 में केदारनाथ के जलप्रलय के बाद 2021 की प्राकृतिक आपदा सबसे बड़ी आपदा बताई जा रही है। जिसमें मौत का आंकड़ा भी 298 तक पहुंच गया और लापता लोगों की संख्या 66 बताई गई।
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7
साल
बाद
फिर
से
कहर
बनकर
आई
आपदा
उत्तराखंड
में
7
साल
बाद
एक
बार
फिर
आसमानी
आफत
तबाही
का
मंजर
लेकर
आई।
जो
कि
आपदाग्रस्त
इलाकों
के
लोगों
को
गहरे
जख्म
दे
गया।
नैनीताल,
यूएसनगर,
चंपावत,
पिथौरागढ़,
रुद्रप्रयाग
जिलों
में
भारी
नुकसान
हुआ
है।
यह
पहली
बार
नहीं
कि
पहाड़ी
राज्य
इस
तरह
की
मुसीबत
का
सामना
कर
रहा
हो।
ये
मंजर
एक
बार
फिर
16-17
जून
2013
की
याद
ताजा
कर
गया
है।
जब
केदारनाथ
सहित
राज्य
के
अन्य
हिस्सों
में
तबाही
हुई
थी।
उससे
पहले
भी
पहाड़ी
राज्य
को
कई
बार
ऐसी
प्राकृतिक
आपदाओं
का
सामना
करना
पड़ा
है।
उत्तराखंड
में
2021
के
अक्टूबर
माह
में
इतनी
भारी
बारिश
हुई
कि
नए
रिकॉर्ड
कायम
हुए
हैं।
बारिश
अपने
साथ
कुदरत
का
कहर
लेकर
आई।
जिसने
हर
जगह
तबाही
मचा
दी।
मौसम
विभाग
ने
कुमाऊं
क्षेत्र
में
पंतनगर
और
मुक्तेश्वर
में
24
घंटे
के
दौरान
हुई
सबसे
ज्यादा
बारिश
के
आंकड़े
जारी
किये।
ये
आंकड़े
बताते
हैं
कि
इन
दोनों
जगहों
पर
पिछले
24
घंटे
के
दौरान
हुई
बारिश
अब
तक
के
ऑल
टाइम
रिकॉर्ड
से
करीब
दोगुनी
रही
है।
पंतनगर
में
बारिश
के
आंकड़े
25
मई
1962
से
दर्ज
किये
जा
रहे
हैं।
यहां
अब
तक
24
घंटे
के
दौरान
10
जुलाई
1990
को
सबसे
ज्यादा
228
मिमी
बारिश
हुई
थी,
लेकिन
18
अक्टूबर
2021
सुबह
8.30
बजे
से
19
अक्टूबर
2021
की
सुबह
8.30
बजे
तक
यहां
403.2
मिली
बारिश
दर्ज
की
गई।
इसी
तरह
मुक्तेश्वर
में
1
मई
1897
से
बारिश
के
आंकड़े
दर्ज
किये
जा
रहे
हैं।
यहां
अब
तक
24
घंटे
के
दौरान
सबसे
ज्यादा
बारिश18
सितम्बर
1914
को
254.5
मिमी
दर्ज
की
गई
थी,
जबकि
इस
बार
यहां
24
घंटे
के
दौरान
340.8
मिमी
बारिश
हुई
है।
आपदा
राजनीतिक
दलों
के
लिए
बनी
अवसर
2021
में
आई
आपदा
के
बाद
उत्तराखंड
में
चुनावी
साल
में
जमकर
राजनीति
हुई।
2013
की
आपदा
में
जिस
तरह
की
राजनीति
देखने
को
मिली,
उसी
तरह
अक्टूबर
की
आपदा
सियासत
का
केन्द्र
बन
गया।
2013
में
आई
आपदा
के
बाद
कांग्रेस
सरकार
के
तत्कालीन
सीएम
विजय
बहुगुणा
की
कुर्सी
छोड़नी
पड़ी।
जिसके
बाद
हरीश
रावत
को
दायित्व
सौंपा
गया।
लेकिन
इस
बार
आपदा
आने
से
2
माह
पहले
ही
पुष्कर
सिंह
धामी
को
सीएम
की
कुर्सी
सौंपी
गई
थी।
ऐसे
में
धामी
के
लिए
आपदा
बड़ा
चेलेंज
लेकर
आया।
ऐसे
में
धामी
ने
आपदा
प्रबंधन
और
आपदा
पुर्नवास
पर
फोकस
किया।
साथ
ही
आपदा
के
मानकों
पर
भी
बदलाव
कर
धामी
ने
अपनी
कुर्सी
बचा
ली।
जिसके
बाद
गृह
मंत्री
अमित
शाह
ने
उत्तराखंड
आकर
धामी
की
पीठ
थपथपाई।
हालांकि
कांग्रेस
और
हरीश
रावत
ने
आपदाग्रस्त
क्षेत्रों
में
पैदल
पहुंचकर
आपदा
को
अवसर
बनाया।
जिसके
बाद
आपदा
फिर
से
राजनीति
का
केन्द्र
बन
गया।